चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों का मानना है कि अगर समय समय पर प्रसूताआें की देखभाल केवल हो जाती तो शायद बहुत सी जानें बचार्इ जा सकती थी। प्रसव काल या उस दौरान बेहद संजीदगी से चिकित्सीय देखभाल की जरूरत होती है। समय-समय पर कर्इ जांचें भी आवश्यक होती है। इसमें जरा सी भी लापरवाही जान पर आ जाती है।
हालांकि, आॅडिट रिपोर्ट देखने के बाद डीएम विजयेंद्र पांडियान ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए यह निर्देश दिया है कि प्रसव के दौरान 9 माह तक गर्भवती स्त्री ए.एन.एम/आशा के देखभाल में रहती है। इन सब कारणो से मृत्यु नही होनी चाहिए। उन्होंने संबंधित विभागों को यह भी निर्देशित किया है कि गांव में तैनात स्वास्थ्यकर्मी जो काम नहीं कर पा रहे हैं उनकी जगह पर दूसरों को रखा जाए।
हालांकि, आॅडिट रिपोर्ट देखने के बाद डीएम विजयेंद्र पांडियान ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए यह निर्देश दिया है कि प्रसव के दौरान 9 माह तक गर्भवती स्त्री ए.एन.एम/आशा के देखभाल में रहती है। इन सब कारणो से मृत्यु नही होनी चाहिए। उन्होंने संबंधित विभागों को यह भी निर्देशित किया है कि गांव में तैनात स्वास्थ्यकर्मी जो काम नहीं कर पा रहे हैं उनकी जगह पर दूसरों को रखा जाए।