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#Gorakhpur bypoll results 2018 तीन दशक बाद बदला गोरखपुर सांसद का पता, इस बार मंदिर के बाहर का कोर्इ सांसद

  पीठ का रहा है दबदबा, तीन महंत रह चुके हैं सांसद

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SP BSP

सपा और बसपा कार्यकर्ताओं ने मनाया जश्न

गोरखपुर। आखिरकार गोरखपुर लोकसभा संसदीय सीट पर सांसद चुन लिया गया। परिणाम के ऐलान केसाथ ही गोरखपुर के सांसद का पता तीन दशक के बाद बदल चुका है। तीन दशक में पहली बार ऐसा हुआ है कि गोरखपुर सांसद के पते की जगह गोरखनाथ मंदिर नहीं दर्ज होगा। नब्बे के दशक के बाद यह पहली बार ही है कि गोरखनाथ मंदिर का कोई संत या पीठाधीश्वर की जगह कोई और सांसद चुना गया है। इस बार सांसद समाजवादी पार्टी का होगा। सपा-निषाद दल-पीस पार्टी के संयुक्त उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री के गढ़ में सपा को बढ़त दिलार्इ है।
गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में रहने वालों का पूर्वान्चल के प्रसिद्ध पीठ गुरु गोरखनाथ मंदिर से गहरी आस्था रही है। यही वजह है कि इस मंदिर का आशीर्वाद लेकर जो भी प्रत्याशी चुनाव लड़ता रहा वह जीतता रहा। गोरखनाथ मंदिर के महंत रहे कई गुरुओं ने राजनीति में रूचि दिखाई और लोगों ने हाथोंहाथ लिया। हालांकि, आजादी मिलने के बाद शुरूआती दिनों में गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ को हार का भी सामना करना पड़ा था। 1951 में पहला चुनाव लड़े महंत दिग्विजयनाथ को हार का सामना करना पड़ा था। पहला चुनाव वह दो जगह गोरखपुर दक्षिण और गोरखपुर पश्चिम से लड़े थे। दूसरा चुनाव महंत दिग्विजयनाथ 1962 में लड़े लेकिन कांग्रेस के सिंहासन सिंह से हार गए। 1967 में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ पहली बार गोरखपुर से संसदीय चुनाव जीते। लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद महंत अवेद्यनाथ ने संसदीय उपचुनाव में भाग लिया। जनता ने महंत अवेद्यनाथ को भी सांसद के रूप में स्वीकार किया। संसदीय चुनाव लड़ने के दौरान महंत अवेद्यनाथ मानीराम से विधायक थे। लेकिन 1971 में महंत अवेद्यनाथ को भी संसदीय चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के नरसिंह नारायण पांडेय से हारने के बाद महंत अवेद्यनाथ ने विधानसभा की राजनीति ही करने का फैसला किया और विधायक होते रहे। 1989 में उन्होंने संसदीय राजनीति में उतरने का फिर निर्णय लिया। और अखिल भारतीय हिंदू महासभा से महंत अवेद्यनाथ फिर गोरखपुर के सांसद चुने गए। इसके बाद वह लगातार गोरखपुर संसदीय चुनाव जीतते रहे। 1998 में उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने के बाद अपनी सीट उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। 1998 में गोरखपुर से 12वीं लोकसभा का चुनाव जीतकर योगी आदित्यनाथ संसद पहुंचे तो वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। योगी आदित्यनाथ 26 साल की उम्र में पहली बार सांसद बने थे। योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार गोरखपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। 2014 में पांचवी बार वह गोरखपुर से सांसद बने थे। लेकिन 2017 में उनके मुख्यमंत्री बनने और एमएलसी निर्वाचित होने के बाद गोरखपुर संसदीय सीट खाली थी। इस सीट पर 11 मार्च को मतदान हुआ। 14 मार्च को नया सांसद चुन लिया गया। और इसी के साथ गोरखपुर के सांसद के पते के रूप में गोरखनाथ मंदिर की जगह सपा के प्रवीण निषाद का पता दर्ज हो गया।