scriptDDU Convocation अभिनय, सुर एवं ताल की त्रिवेणी ने कर दिया मुग्ध | DDU convocation week, Cultural programme TRIVENI organised | Patrika News
गोरखपुर

DDU Convocation अभिनय, सुर एवं ताल की त्रिवेणी ने कर दिया मुग्ध

सांस्कृतिक संध्या से अविस्मरणीय हुआ दीक्षान्त सप्ताह

गोरखपुरOct 22, 2019 / 02:26 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

DDU Convocation अभिनय, सुर एवं ताल की त्रिवेणी ने कर दिया मुग्ध

DDU Convocation अभिनय, सुर एवं ताल की त्रिवेणी ने कर दिया मुग्ध

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) के 38 वें दीक्षांत सप्ताह समारोह (DDU 38th convocation)के अंतर्गत सांस्कृतिक संध्या (Cultural evening)आयोजित की गई। कई कलाकारों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों से सबका मन मोहा।
सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ महाप्रभु श्रीबल्लभाचार्य रचित मधुराष्टकं के ‘नयनं मधुरं हसितं मधुरम् हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपतेरखिलं मधुरम्’ पर भरतनाट्यम की प्रस्तुति से हुई। प्रसिद्ध भटनाट्यम नृत्यांगना डॉ. स्मिता लाहकर ने राग यमन कल्याण पर आधारित प्रिय पद ‘कृष्णा नी बेगाने बारो….. की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। पहले बालरूप श्रीकृष्ण की मधुरता का मधुरतम वर्णन किया गया, जिनके संयोग से अन्य सजीव और निर्जीव वस्तुएं भी मधुरता को प्राप्त कर लेती हैं तो दूसरे में प्रेम, राग एवं द्वेष को अभिव्यक्ति मिली। नृत्य के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के बाल चरित्र, द्रौपदी चीर-हरण एवं कुरूक्षेत्र में गीता उपदेश जैसे प्रसंगो को बड़े ही मोहक ढ़ग से दर्शको के सामने सजीव कर दिया गया।
असम से आयी हुई कलाकार स्मिता लेहकर ने भाव पूर्ण नृत्य द्वारा दर्शकों के समक्ष श्री कृष्ण छवि को उकेर पूरे कार्यक्रम को मधुमय किया, जिसे उनकी सहयोगी ज्योति संध्या की प्रस्तुति ने और भी जीवंत बनाकर दर्शकों को आनन्दित कर दिया।
कत्थक नृत्य वाराणसी से आये कलाकार विशाल कृष्ण एवं उनके सहयोगी शियाना कृष्ण, अर्चना सिंह एवं नूरिया कम्बों (स्पेन)द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने अपने अद्भूत प्रदर्शन से दर्शको को महादेव एवं महिषासुरमर्दनी दुर्गा के दर्शन करवायें तथा आज जाने की जिद ना करो गीत को भी अपने नृत्य के द्वारा प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के नाटक एवं रंगमंच संकाय के छात्रों ने विलुप्त बुंदेलखंड की लोक नाट्य परंपरा गीत शैली पर आधारित नाटक साधु और सुंदरी का मंचन किया। यह नाटक मूल रूप से संस्कृत के नाटककार बोधायन द्वारा लिखित और डॉ. हिमांशु द्विवेदी द्वारा बुंदेली लोकगीत शैली में रूपांतरित, अनुवादित व निर्देशित है। नाटक की प्रस्तुति में डॉ हिमांशु द्विवेदी ने बुंदेलखंड के गीत, संगीत, नृत्य आदि का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया है तथा इसे बुंदेलखंड की विलुप्त होती लोक नाट्य परंपरा गीत शैली में प्रस्तुत किया है। नाटक में मानवेंद्र सिंह, निशांत कुमार आर्य, प्रगति परिहार, रिशु गंगवार, दीपा साहू, गौरव, लक्ष्य अरोड़ा, सारांश भारद्वाज एवं सुमित ने प्रमुख भूमिका निभाई। संगीत कृतेंद्र, स्वराज, अभिषेक, नरेंद्र, सुजीत एवं प्रकाश परिकल्पना महेंद्र सिंह तोमर ने की।
मुख्य अतिथि के रूप में गीता सिंह, विशिष्ट अतिथि पूर्व मेयर डाॅ.सत्या पांडेय, प्रति कुलपति प्रो.हरिशरण विशेष रूप से मौजूद रहे।
कार्यक्रम संयोजिका प्रो.उमा श्रीवास्तव रहीं, संचालन डाॅ.शुभंकर डे ने किया। प्रो.उषा सिंह ने कलाकारों का परिचय दिया एवं आभार ज्ञापन प्रो. बीना बत्रा कुशवाहा ने किया।
इस दौरान अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, विधि संकाय अध्यक्ष प्रो. जितेन्द्र मिश्र, प्रो. मुरली मनोहर पाठक, प्रो. मुकुंद शरण त्रिपाठी, प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा, मीडिया प्रभारी प्रो. अजय शुक्ल, प्रो.आलोक गोयल, प्रो. विनोद कुमार सिंह, प्रो. नंदिता सिंह, प्रो. सुधा यादव, प्रो. गौर हरि बेहरा, वित्त अधिकारी वीरेंद्र चैबे, पूर्व वित्त अधिकारी अतुल श्रीवास्तव, प्रो. शरद मिश्रा, डॉ. लक्ष्मी मिश्रा, डॉ. अंशु गुप्ता, डॉ. मनीष पांडे, डॉ. श्रद्धा शुक्ला, डॉ. अमित उपाध्याय, डॉ. महेंद्र सिंह, डॉ. अनुपम सिंह, डॉ. आशीष शुक्ला, डॉ. टी. एन. मिश्रा, डॉ. शैलेश चैहान, डॉ ओ.पी. सिंह, डॉ. सुधाकर लाल श्रीवास्तव, डॉ. महेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो