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एमएमएमयूटी दीक्षांतः मेट्रोमैन मानद डाॅक्टरेट से सम्मानित, टाॅपर्स को गोल्ड मेडल

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विवि में तीसरा दीक्षांत समारोह  

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एमएमएमयूटी दीक्षांतः मेट्रोमैन मानद डाॅक्टरेट से सम्मानित, टाॅपर्स को गोल्ड मेडल

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शुक्रवार को दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ। दीक्षांत में मेट्रोमैन ई.श्रीधरन को राज्यपाल रामनाईक ने डाॅक्टरेट की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया। वहीं 19 टाॅपरों को गोल्ड मेडल व प्रशस्तिपत्र देकर नवजीवन का आशीर्वाद दिया। दीक्षान्त में 660 इंजीनियर्स को उपाधि दी गई। इसमें बीटेक के 373, एमटेक के 177, एमबीए के 55, एमसीए के 51 के अलावा पीएचडी के तीन शोधार्थी भी थे।
2013 में काॅलेज से विवि बने मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दीक्षांत-2018 की शुरूआत विद्वत परियात्रा से हुई। तीसरे दीक्षान्त की परियात्रा पहुंचने के बाद सबने अपनी निर्धारित जगह ले ली। इसके बाद कुलाधिपति रामनाईक, मुख्य अतिथि मेट्रोमैन ई.श्रीधरन व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित किया। मां सरस्वती और महामना के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की औचारिकता पूरी की। इसके बाद विवि के विद्यार्थियों ने वंदे मातरम और विवि कुलगीत गाया।
फिर दीक्षांत की औपचारिक शुरूआत के लिए कुलपति प्रो.श्रीनिवास सिंह ने राज्यपाल रामनाईक से अनुमति मांगी। कुलाधिपति की अनुमति के बाद कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। फिर राज्यपाल/कुलाधिपति ने छात्र-छात्राओं को दीक्षोपदेश देकर शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद डिग्री अवार्ड करने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद विभागवार मेडल व सर्टिफिकेट देकर देश सेवा के लिए नवप्रवेशित इंजीनियर्स को सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ई.श्रीधरन के संबोधन व राज्यपाल के अध्यक्षीय संबोधन के बाद रजिस्ट्रार ने सबका आभार जताया। स्वागत भाषण कुलपति प्रो.श्रीनिवास सिंह ने दी थी। अंत में राष्ट्रगान के बाद विद्वत परियात्रा वापस होने के साथ दीक्षांत का समापन हो गया।

मां-बाप की जिम्मेदारियों को अब बांट सकने का एक सुकून भी दिखा

इस बार से दीक्षांत के लिए नया ड्रेसकोड लागू किया था। डिग्रीधारक मालवियन्स क्रीम कलर की सदरी में दीक्षांत में पहुंचे थे। देश सेवा के लिए दीक्षा लेकर जा रहे ये इंजीनियर्स दीक्षांत में अपने अभिभावकों-दोस्तों के साथ पहुंचे थे। कड़ी मेहनत और लगन के साथ अपनी पढ़ाई पूरी कर चुके इंजीनियर्स के चेहरे खुशी से दमक रहे थे। मां-बाप के आंखों में भी सुकून था। यार-दोस्तों और अपने माता-पिता के साथ डिजीटल युग के यह युवा हर पल को कैद करने के लिए मोबाइल का जबर्दस्त इस्तेमाल कर रहे थे। वे एक-एक पल को अपने कैमरों में समेटने में लगे थे। खुशी थी नई जिम्मेदारियों के लिए खुद को आगे बढ़ाने की, एक सुकून था कि अभिभावकों की जिम्मेदारियों को वह भी बांट सकेंगे।


इनके हिस्से आया गोल्ड मेडल

एमटेक में गोल्ड मेडल
हिल एरिया डेवलेपमेंट इंजीनियरिंग: शिखर मोहन
पर्यावरण इंजीनियरिंग: हर्षिता सिंह
स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग: चंदन गुप्ता
सिस्मिक डिजाइन इंजीनियरिंग: सिंधुसुता
कंप्यूटर साइंस: श्वेता वाष्र्णेय
इंफारमेशन टेक्नालॉजी: सोनाली पांडेय
पॉवर इलेक्ट्रानिक्स एंड ड्राइव्स: विनीत रंजन
कंप्यूटर इंटीग्रेटेड मैनफैक्चरिंग: बृजेश कुमार सिंह
डिजिटल सिस्टम: अंशिका श्रीवास्तव
कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग: सुगंधा तेजस्वी
कंट्रोल एंड इंस्ट्रूमेंटेशन: अभिषेक यादव
एनर्जी टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट: प्रशांत मल्ल


बीटेक में गोल्ड मेडल

सिविल इंजीनियरिंगः शिवम भल्ला
कंप्यूटर साइंस: सौरभ राम त्रिपाठी
इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग: सोनम प्रजापति
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग: परिधि जोशी
मैकेनिकल इंजीनियरिंग: संदीप मोदनवाल

इस कोर्स के लिए इनको मेडल

एमसीए: श्रवण कुमार चैहान
एमबीए: नेहा सरोज


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