19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गीताप्रेस ने बताया, सही जानकारी के लिए रामचरितमानस को पढ़ना होगा

रामचरितमानस पर चल रहे विवाद को लेकर पत्रिका की टीम पहुंची गीताप्रेस। गीताप्रेस के प्रबंधक ने बताया की क्या है चौपाई का मतलब, जिसपे इतना विवाद चल रहा है।

2 min read
Google source verification
ram.jpg

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को बैन कर दिए जाने की बात कही है। रामचरितमानस के जातिसूचक होने का आरोप भी लगाया है। जिसके बाद से माहौल गरमाया हुआ है।

रामचरितमानस कि कुछ पंक्तियों पर हमेशा विवाद होता रहा है। इसमें प्रमुख रूप से "ढोल,गंवार, शुद्र ,पशु, नारी सब ताड़ना के अधिकारी" के संदर्भ में गीता प्रेस के प्रबंधक लालमणि तिवारी कहते हैं कि रामचरितमानस को तुलसीदास ने अवधी भाषा में लिखा है।

चौपाई के शब्दों के साथ कोई फेर बदल नहीं किया गया
लालमणि तिवारी ने बताया कि लोग अपनी अपनी समझ के अनुसार इन चौपाइयों का अर्थ निकाल लेते हैं। विवाद को जन्म देते हैं, इसलिए चौपाई के अर्थ को हिंदी में 25 साल पहले बदला गया था। यदि उन्हें इसकी सही और सटीक जानकारी प्राप्त करनी है तो इन ग्रंथों को पढ़ना होगा।

सिर्फ एक चौपाई का अपने हिसाब से अर्थ निकाल कर उस पर बयानबाजी करना सही नहीं है। इस तरह की शंका के समाधान के लिए हमारे यहां सात खंडों में "मानस पीयूष" को छापा जाता है। जहां हर एक चौपाई का अर्थ समझाया गया है।

करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र रामचरितमानस
देवी दयाल अग्रवाल गोरखपुर गीताप्रेस के ट्रस्टी हैं। उन्होनें बताया कि रामचरितमानस पुस्तक से सभी की आस्था जुड़ी हुई है। यह ऐसी पुस्तक है, जिसमें सबसे बड़े त्याग के बारे में बताया गया है। श्रीराम अयोध्या राज्य अपने छोटे भाई भरत को देना चाहते हैं, वहीं भरत अपने बड़े भाई श्रीराम को ही राज्य देने की बात कहते हैं।

सारा जीवन उनकी सेवा और उनके चरणों में बिताने की बात कहते हैं। यह ग्रंथ अटूट प्रेम और मित्रता की भी मिसाल है। जहां श्रीराम प्रभु ने कोल, भीलो और सबरी को गले लगाया। वहीं निषाद राज और श्रीराम प्रभु की मित्रता का सबसे बड़ा सबूत भी है।

हर साल 5 लाख से ज्यादा की होती है रामचरित मानस पुस्तक की मांग
देवी दयाल अग्रवाल ने बताया की हर साल रामचरित मानस की हमलोग 5 लाख पुस्तक छापते हैं। जिसके बाद भी मांग को पूरा नहीं कर पाते हैं।

विश्व में सबसे ज्यादा धार्मिक पुस्तकों को छापने वाली गीता प्रेस मैनेजमेंट के अनुसार हर साल दो करोड़ से ज्यादा धार्मिक पुस्तकें यहां प्रकाशित की जाती हैं। इसमें 9 भाषाओं में 5 लाख से ज्यादा रामचरितमानस को छापा जाता है।


बड़ी खबरें

View All

गोरखपुर

उत्तर प्रदेश

ट्रेंडिंग