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मानवाधिकार आॅफिस के पास वीआईपी एरिया में कई दिन तड़पता रहा घायल, गुजरती रहीं गाड़ियां

शहर के बीच मानव अधिकार ऑफिस और अथॉरिटी अधिकारियों के आवास के सामने मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। एक घायल 10 से 12 दिन तक सड़क हादसे में घायल होने के बाद रोड किनारे पड़ा हुआ तड़पता रहा।  

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मानवाधिकार आॅफिस के पास वीआईपी एरिया में कई दिन तड़पता रहा घायल, गुजरती रहीं गाड़ियां

ग्रेटर नोएडा. शहर के बीच मानव अधिकार ऑफिस और अथॉरिटी अधिकारियों के आवास के सामने मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। एक घायल 10 से 12 दिन तक सड़क हादसे में घायल होने के बाद रोड किनारे पड़ा हुआ तड़पता रहा। लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली। एक तरफ जहां मानवाधिकार और आॅफिसर्स कॉलोनी पास होने के बाद भी किसी ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। वहीं पास से भी लोग गुजरते रहे। चंद कदमों की दूरी पर एक मल्टी नेशनल कंपनी भी मौजूद है। सोशल मीडिया में मामला वायरल हुआ तो घायल के परिजन भी ग्रेटर नोएडा पहुंच गए। फिलहाल घायल को परिजनों को सौंप दिया गया है।

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एलजी गोलचक्कर के पास में उत्तर प्रेदश मानवाधिकार आयोग का आॅफिस है। साथ ही आॅफिसर्स कॉलोनी। इस कॉलोनी में पुलिस, प्रशासन और अथॉरिटी के अधिकारी रहते है। एलजी गोलचक्कर के पास से रोड ग्रेनो नोएडा अथॉरिटी समेत कई मुख्य सेक्टरों को जोड़ती है। समाजसेवी सुनील नागर ने बताया कि पिछले 10से 12 दिन पहले अज्ञात वाहन की चपेट में आने से पंजाब निवासी अंग्रेज सिंह घायल हो गया था। घायल होने के बाद में वह रोड एक नाले के पास पड़ा रहा। लेकिन उसकी किसी ने सुध नहीं ली। यहां से आए दिन अधिकारी व अन्य वाहन भी गुजरते है। उसे तड़पता हुआ लोग देखते रहे, लेकिन किसी ने भी उसकी सुध नहीं ली।

पुलिस ने भी किया मदद देने से इंकार

उन्होंने बताया कि जब वहां से गुजरा तो रोड किनारे पड़ा हुआ घायल अंग्रेज सिंह को देखा तो हालत का मालूम हुआ। उसके पैर में कई जगह फ्रैक्चर था। शरीर पर अन्य जगह भी चोटें आई थी। अंग्रेज सिंह अपने बारे में कुछ नहीं बता पा रहा था। यह मानसिक रुप से परेशान और भटकता हुआ ग्रेटर नोएडा आ गया था। उन्होंने मामले की सूचना 100 पर कॉल कर पुलिस को दी। आरोप है कि पुलिस मौके पर पहुंची और उसे मानसिक रोगी बताकर मदद से इंकार कर दिया।

अस्पताल में भी इलाज से किया इंकार

सुनील नागर ने बताया कि पुलिस के इंकार के बाद में एबुलैंस बुलाकर पहले उसे भंगेल स्थिति सरकारी अस्पताल में ले गए। लेकिन वहां हड्डी का डॉक्टर न होने की बात कहकर रखने से इंकार कर दिया। आरोप है कि बाद में घायल को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे तो वहां भी मौजूद डॉक्टरों ने उसे एडमिट करने में आनाकानी की। करीब 2 घंटे तक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर उन्हें एडमिट करने की जगह इधर—उधर की बात सुनील नागर से करते रहे। आरोप है कि करीब 2 घंटे तक डॉक्टरों उन्हें घुमाते रहे, लेकिन उसे एडमिट नहीं किया।

सोशल मीडिया पर वायरल हुई घटना तो पहुंचे परिजन

उन्होंने बताया कि जगह सीओ के रुम में जाकर उपस्थित स्टाफ से सख्ती की तो वहां मौजूद एक शख्स ने रजिस्टर में उसका नाम लिखा था। उसके बाद में एडमिट करने की सभी प्रक्रिया पूरी। उन्होंने बताया कि कानूनी प्रकिया तक में डराने की कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि करीब 2 से 3 घंटे कि लंबी जद्दोजहद के बाद में अंग्रेज सिंह को एडमिट कराने में कामयाब हो पाया। बाद में अंग्रेज सिंह उर्फ़ गेज सिंह से पूछताछ की गई तो उसने पिता का नाम राजा, भाई का नाम अर्मेश, चाचा का नाम शेर सिंह बताया। वह पंजाब के जिला फिरोजपुर के गुरदत्तीवाला जगह का भी नाम ले रहा था।

उधर परिजनों की तलाश फेसबुक पर की गई। सुनील नागर ने अपनी फेसबुक पर वायरल की तो प्रशासन को भी लोगों ने जमकर खरी खोटी सुनाई। फेसबुक पर उसके परिजन मिल गए। हालांकि अंग्रेज सिंह की तरफ से बताए गए एड्रेस पर जांच कराई गई तो उसके परिजना मिल गए। अब 18 नवंबर को अंग्रेस सिंह को उसके परिजनों को सौंप दिया गया है।

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