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सवर्णो के भारत बंद के बाद पुलिस ने अब शुरू की कार्रवाई,इतनों पर कसा शिकंजा

6 सितंबर को सवर्णो ने किया था भारत बंद

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सवर्णो के भारत बंद के बाद पुलिस ने अब शुरू की कार्रवाई, इतने पर कसा शिकंजा

ग्रेटर नोएडा. एससी/एसटी संशोधन बिल के विरोध में देशभर में 6 सितंबर को सवर्णो की तरफ से भारत बंद किया गया था। भारत बंद में सवर्णो के साथ में ओबीसी वर्ग के लोगों ने भी हिस्सा लिया था। इस दौरान बिहार के साथ में मध्यप्रदेश में हिंसक झड़पे सामने आई थी। वेस्ट यूपी में भारत बंद को देखते हुए धारा-144 लागू की गई थी। यहां के मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर में एहितयात के तौर पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करना पड़ा था। ताकि कोई अप्रिय घटना घटित न हो सके।

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यूपी में छुटपूट घटनाओं के बीच भारत बंद शांतिपूर्वक रहा। हालाकि कई जगह तोड़फोड़ और मारपीट की घटना भी सामने आई है। ऐसे उपद्रवियों को पुलिस ने चिहिन्नत करना शुरू कर दिया है। पुलिस अफसरों की माने तो भारत बंद के दौरान बीजेपी के आॅफिस में तोड़फोड़ की गई थी। यह घटना गौतमबुद्धनगर जिले की है। यहां के जहांगीरपुर कस्बा में एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्ण समाज के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। विरोध प्रदर्शन में एरिया के सैकंड़ो लोगों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान एक तरफ जहां केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ सवर्ण समाज के लोग आक्रोशित दिखाई दिए। वहीं स्थानीय नेताओं पर भी जमकर गुस्सा फूटा। इस दौरान लोगों ने बीजेपी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

लोेगों पर हुई एफआईआर

जगह-जगह बीजेपी के झंड़े और होर्डिग्स को फाड़े गए। यहां के स्थानीय नेताओं के ऑफिस में जमकर तोड़फोड़ की गई। प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। इस दौरान जहांगीरपुर कस्बे में दुकानें व व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे है। जेवर कोतवाली प्रभारी एसएस भाटी ने बताया कि 10 से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

बिल के विरोध में किया था भारत बंद

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट को दुरुपयोग मानकर नई गाइड लाइन जारी की थी। जिसके मुताबिक एससी/एसटी एक्ट के तहत घटना में तुरंत मुकदमा दर्ज करने से इंकार किया गया था। डीएसपी रैंक के अधिकारी से जांच की बात कहीं गई थी। उसके बाद ही एफआईआर कर जेल भेजने का प्रावधान तय किया गया था। दलितों को यह व्यवस्था रास नहीं आई और दलितों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। दलितों के विरोध को देखते हुए बिल को वापस ले लिया था। केंद्र सरकार की तरफ सेे वापस लिए गए बिल का विरोध सवर्ण कर रहे है।

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