श्रीलका के एक परिवार ने रावण के वंशज होने का दावा किया है। श्रीलंका की रहने वाली जयलीथा खुद को रावण का वंशज बताती है। साथ ही उसके प्रमाण भी दे रही है। बिसरख के रावण मंदिर की देखरेख श्री मोहन योग आश्रम ट्रस्ट बिसरख धाम के ट्रस्टी आचार्य अशोकानन्द जी महाराज करते है। अशोकानन्द जी महाराज ने बताया कि जयलीथा ने श्रीलंका में रावण का मंदिर बनवाया है। साथ ही बिसरख में भी ये रावण के मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे है। उन्होंने बताया कि जयलीथा पिछले काफी समय से रावण मंत्रावलियो और रावण संहिता पर शोध करने के क्षेत्र में काम कर रहे है। उन्होंने बताया कि ये अक्सर ग्रेटर नोएडा आते रहते है। उन्होंने बताया कि जयलीथा ने रावण के वंशज है।
पुतला दहन न करने की यह है वजह श्री मोहन योग आश्रम ट्रस्ट बिसरख धाम के ट्रस्टी आचार्य अशोकानन्द जी महाराज ने बताया कि पुरानी पंरपरा के अनुसार रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता है। एक बार गांव में रामलीला का आयोजन किया गया था। उस समय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। रामलीला अधूरी रह गई। तभी से गांव में रामलीला का आयोजन नहीं किया जाता और न ही रावण का पुतला जलाया जाता है।
अब तक 25 शिवलिंग बिसरख गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलते रहते है। त्रेता युग में बिसरख गांव में ऋषि विश्रवा के घर रावण का जन्म हुआ था। इसी गांव में उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। एक शिवलिंग की गहराई इतनी है कि खुदाई के बाद भी उसका कहीं छोर नहीं मिला है। मान्यता है कि इस अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी।