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6 घंटे तक टॉयलेट करने नहीं जा सकते कोरोना का इलाज कर रहे स्वास्थ्यकर्मी, पानी पीने पर भी है रोक

Highlights: -ग्रेटर नोएडा के जिम्स में है 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड -मरीजों के इलाज में जुटे स्वास्थ्यकर्मियों के लिए बनाई गई है प्रोटोकॉल बुक -घर में रहकर भी परिवार से नहीं मिल सकते डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी

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ग्रेटर नोएडा। कोरोना वायरस के खिलाफ पूरी दुनिया जंग लड़ रही है। इसमें सबसे अहम किरदार स्वास्थ्यकर्मी निभा रहे हैं। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के मरीजों में जुटे मेडिकल स्टाफ का आभार करने को लोगों से थाली और ताली बजाने को कहा। जिस पर देशवासियों ने बड़े ही शानदार तरीके से डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों का आभार व्यक्त किया। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में जुटे ये स्वास्थ्यकर्मी 6 घंटे की ड्यूटी के दौरान टॉयलेट तक करने नहीं जा सकते। इतना नहीं, इस बीच ये लोग कुछ खा-पी भी नहीं सकते।

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दरअसल, गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने जनपद में कई आइसोलेशन वार्ड तैयार किए हैं। इनमें ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) को भी शामिल किया गया है। जिसमें 20 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। यहां पर कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्यकर्मी दिन-रात काम कर रहे हैं। यही कारण है कि कई मरीज ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। लेकिन, आइसोलेशन वार्ड में रहने वाले स्टाफ को बड़ी कठिन ड्यूटी करनी पड़ती है। इनके ऊपर कई पाबंदियां लागू होती हैं। बकायदा यहां पर प्रोटोकॉल बुक रखी गई है। जिसके हिसाब से ही स्वास्थ्यकर्मियों को नियमों का पालन करना होता है।

ड्यूटी के दौरान नहीं जा सकते टॉयलेट

राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों के इलाज में जुटे डॉ. मोहित कृष्णा का कहना है कि डॉक्टरों को छोड़कर अन्य स्टाफ की ड्यूटी 6-6 घंटे की शिफ्ट लगी हुई है। सुरक्षा उपायों के चलते इस दौरान किसी को भी शौचालय तक जाने की अनुमति नहीं है। साथ ही इस बीच न तो कुछ खा सकते हैं और न ही पी सकते हैं। हमें ड्यूटी पर आने से दो घंटे पहले ही भोजन करना पड़ता है, ताकि नित्य क्रिया की जरूरत ड्यूटी के दौरान ना पड़े।

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ड्यूटी के बाद नष्ट करना होता है पीपीई

जिम्स आइसोलेशन वार्ड के प्रभारी डॉ. सौरभ श्रीवास्तव बताते हैं कि मरीजों का इलाज करने के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को भी सुरक्षा का बहुत ध्यान रखना होता है, ताकि वह संक्रमण की चपेट में न आ जाएं। इस दौरान पर्सनल प्रोटेक्शन एक्यूपमेंट (पीपीई) का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे ड्यूटी खत्म होने के बाद हर रोज अच्छे तरीके से नष्ट किया जाता है। इसका इस्तेमाल एक ही बार होता है। फिर कर्मी को अच्छे से नहाना पड़ता है, तभी वह अपना रोजमर्रा का काम कर सकता है। उन्होंने बताया कि पीपीई ऊपर से नीचे तक का एक सूट होता है जो कि एक विशेष पॉलीथिन मिक्स्ड फाइबर से बना होता है।

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घरों में खुद को क्वारंटाइन करते हैं डॉक्टर और स्टाफ

कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों और स्टाफ का कहना है कि उन्हें सबसे ज्यादा दुख इस बात का होता है कि घर जाकर भी वह अपने परिवारवालों से घुल मिल नहीं सकते। इसके लिए उन्हें खास हिदायत दी गई है। क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा हो सकता है। वह अपने घर तो जाते हैं लेकिन कमरे में जाकर खुद को क्वारंटाइन कर लेते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने घरों में कपड़े, बर्तन व रोजमर्रा का अपना सामान भी अलग से रखा हुआ है।