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#UPTravelGuide रावण के पिता ने खुद इस शिवलिंग को किया था स्थापित, कोई भी नहीं जान सका गहराई, देखें VIDEO

खबर की खास बातेंं— . बिसरख गांव में मौजूद है यह अष्टभुजी शिवलिंग. रावण के पिता विशरवा ऋषि ने शिवलिंग की थी स्थापना. शिवलिंग की कोई नहीं जान सका गहराई  

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ग्रेटर नोएडा. श्रीलंका का कोनसवरम मंदिर दुनिया में रावण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। हालांकि भारत में भी रावण के मंदिरों की कमी नहीं हैं, जिनमें रावण की पूजा होती है। साथ ही दशहरा पर पर रावण दहन नहीं किया जाता है। दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा का बिसरख गांव रावण का जन्मस्थली माना जाता है।

यहां दुनिया का इकलौता अष्टभुजी शिवलिंग है। इस शिवलिंग की गहराई आज कोई नहीं जान पाया है। इसी शिवमंदिर के पास रावण का मंदिर भी है। मान्यता के अनुसार, बिसरख गांव स्थित इस शिवलिंग की स्थापना रावण के पिता विशरवा ऋषि ने की थी। रावण भी इसी शिवलिंग की पूजा किया करते थे।

बुजुर्गोे का कहना है कि बिसरख गांव में रामलीला या फिर रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है। बताया जाता है कि बिसरख गांव का नाम रावण के पिता विशरवा के नाम पर पड़ा। विशरवा की दुवारा स्थापित शिवलिंग आज भी गांव में पूरे वैभव के साथ विराजमान है। यहां शिवमंदिर है। मंदिर के पुजारी सुशील तिवारी ने बताया कि बहुत पहले गांव में पहली बार रामलीला का आयोजन किया गया था। लेकिन वह पूरी नहीं हुई। गांव में एक अनहोनी हो गई थी। उसके बाद रामलीला का आयोजन कराया गया तो एक पात्र की मौत हो गई थी।

उसके बाद से अभी तक रामलीला का आयोजन नहीं कराया जाता है। बिसरख गांव का जिक्र शिवपुराण में है। शिवपुराण के अनुसार, त्रेता युग में ऋषि विश्रवा का जन्म हुआ था। रावण का जन्म उन्हीं के घर हुआ था। ग्रामीणों का कहना है कि रावण की पूजा से खुश होकर शिव ने उन्हें बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दिया था। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने राक्षस जाति का उद्धार कराया था। जिसके लिए उन्होंने सीता का हरण किया था। गांव का एक बड़ा तबका दशानन के कारण खुद को गौरवान्वित महसूस करता है।

रावण से यह भी जुड़ा हैं इतिहास

गाजियाबाद स्थित दूधेश्वर नाथ मंदिर देश के 8 प्रसिद्ध मठों में से एक है। यह मंदिर भी रावण काल से जुड़ा है। दूधेश्वर नाथ मंदिर में विशरवा ऋषि ने कठोर तप किया था। रावण भी इसी मंदिर में पूजा करनेे जाते थे। बिसरख और गाजियाबाद के दूधेश्वर नाथ मंदिर के बीच एक सुरंग थी। बताते है कि इसी सुंरग के जरिये रावण वहां पूजा करने जाता था। फिलहाल सुरंग का खत्म हो गई है।

दूर-दूर से आते है लोग

मंदिर के पुजारी सुशील तिवारी ने बताया कि पूर्व पीएम चंद्रशेखर समेत कई दिग्गज भगवान शिव का अर्शिवाद लेने आते है। यहां कोई मन्नत मांगता है तो वह पूरी होती है। यही वजह है कि एक तरफ जहां दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं। वहीं, देशभर के आचार्य भी पूजा के लिए आते है।

कैसे पहुंचे

दिल्ली के कांलिद्री कुंज की तरफ से जाने वाले लोग परीचौक अथवा नोएडा के सेक्टर—37 होते हुए सूरजपुर पहुंच सकते है। सूरजपुर पुलिस लाइन के पास कुछ ही समय में बिसरख गांव पहुंचा जा सकता है। वहीं गाजियाबाद की तरफ से आनेे वाले लोग गौड़ सिटी गोलचक्कर पहुंचे। यहां से बिसरख पहुंचा जा सकता है। साथ ही वेस्ट यूपी समेत अन्य राज्यों के लोग भी इसी रास्ते के जरिये पहुंच सकते है।