
ग्रेटर नोएडा. 25 अक्टूबर 2019 को धनतेरस है। इस दिन देवताओं के वैद्य धनवन्तरि के साथ—साथ कुबेर देवता की भी पूजा की जाती है। कुबेर को भगवान शिव और ब्रम्हा से वरदान प्राप्त है। हालांकि, धन की इच्छा रखने वाले लोग सदैव माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। कुबेर को भी भगवान ब्रम्हा ने धन का देवता बनाया है। कम लोग जानते हैं कि ये पूर्व जन्म में गरीब ब्राह्मण हुआ करते थे। हम आपको भगवान कुबेर से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
मान्यताओं के अनुसार, कुबेर अपने पूर्व जन्म में गुणनिधि नाम के गरीब ब्राह्मण थे। बचपन में गलत संगत की वजह से जुआ और चोरी करने लगे। जबकि इन्हें धर्म शास्त्रोें की शिक्षा ली थी। लेकिन ये गलत संगत की वजह से ज्ञान से दूर हो गए। गलत संगत की वजह से उनके पिता ने गुणनिधि को घर से निकाल दिया। उनकी हालत दयनीय होती चली गई। येे मांगने के अलावा चोरी भी करने लगे। एक दिन गुणनिधि ने एक मंदिर से प्रयास चुराने का प्रयास किया, लेकिन उसी दौरान ये नगर के रक्षकों का निशाना बन गए और वहीं उनकी मृत्यु हो गई। उसके अगले जन्म में गुणनिधि कलिंग देश के राजा बने। ये भगवान शिव के परमभक्त हुए और उनकी भक्ति से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें यक्षों का स्वामी तथा देवताओं का कोषाध्यक्ष बना दिया।
बिसरख है विश्रवा ऋषि
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कुबेर के पिता विश्रवा महान ऋषि पुलस्त्य के पुत्र थे। उनकी माता का नाम हविर्भुवा था। विश्रवा वेदों के ज्ञाता थे। विश्रवा की दो शादी हुई थी। उनकी पहली पत्नी इड़विड़ा से कुबेर का जन्म हुआ था। इड़ाविड़ा भारद्धाज ऋषि की बेटी थी। विश्रवा ऋषि की दूसरी पत्नी का नाम कैकसी थी। कैकेसी ने रावण, कुंभकर्ण और विभीषण को जन्म हुआ। इनकी एक बेटी शुर्पणखां भी थी। पुराणों के अनुसार, विश्रवा ऋषि का जन्म बिसरख गांव में हुआ था। यहां उन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यह आज भी पूरे वैभव के साथ विराजमान है।
Updated on:
25 Oct 2019 11:39 am
Published on:
25 Oct 2019 11:37 am
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