
ग्रेटर नोएडा. GREATER NOIDA के बिसरख गांव में विश्रवा ऋषि के घर रावण का जन्म हुआ था। विश्रवा ऋषि ने बिसरख गांव में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां अष्टभुजी शिवलिंग है। बताया जाता है कि बिसरख गांव में शिव की एकमात्र अष्टभुजी शिवलिंग है।
इस अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा लंकापति रावण ने भी की थी। शिवमंदिर में यह शिवलिंग आज भी पूरे वैभव के साथ विराजमान है। पुराणों में भी बिसरख गांव का जिक्र किया गया है। रावण के गांव बिसरख में आज भी रामलीला का मंचन नहीं होता है। साथ ही उसके पुतले का दहन भी नहीं किया जाता है।
यहां कोई भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है, वह पूरी होती है। बिसरख गांव में इस बार भी रामलीला का आयोजन नहीं होता है। कुछ सालों पहले तक गांव में दशहरा के दिन मातम छाया रहता था। लेकिन अब थोड़े हालात बदले है। युवाओं की सोच बदली है। हालांकि अभी रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है। यहां रावण की पूजा की जाती है। बिसरख गांव में आज भी खुदाई के दौरान शिवलिंग निकलती है।
तांत्रिक चंद्रास्वामी ने शिवलिंग की गहराई जानने के लिए खुदाई कराई थी। लेेकिन उसका कोई छोर नहीं मिला। चंद्रास्वामी को खुदाई के दौरान एक 24 मुखी शंख मिला था। जिससे वे अपने साथ लेे गए थे। चंद्रास्वामी ने कई बार यहां आकर पूजा की थी। इनके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भी शिव मंदिर में आकर पूजा अर्चना किया करते थे। मान्यता है कि जो भी कोई भी शिवमंदिर में पूजा अर्चना करता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।
Updated on:
08 Oct 2019 02:39 pm
Published on:
08 Oct 2019 02:37 pm
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