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Women Day 2018: इनकी कोचिंग की मदद से एक ही गांव की 27 बेटियां व 5 बहुएं पुलिस में हुई भर्ती

locationग्रेटर नोएडाPublished: Mar 08, 2018 01:31:16 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

बबीता नागर अपने गांव की लड़कियों व महिलाओं को सशक्त करने का काम कर रही हैं।

babita nagar
नोएडा। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम आपको ऐसी महिलाओं व लड़कियों के बारे में बता रहे हैं, जो दूसरों की मदद करके समाज में मिसाल कायम कर रही हैं। आज हम आपको ग्रेटर नोएडा की पहलवान बबीता नागर के बारे में बता रहे हैं। जिन्होंने समाज के विरोध को चुनौती समझकर दुनियाभर में अपनी पहलवानी का लौहा मनवाया और अब अपने गांव की लड़कियों व महिलाओं को सशक्त करने का काम कर रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने अपने गांव की कई महिला व लड़कियों को जागरुक कर दिल्ली पुलिस में भर्ती कराया है।

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ग्रेटर नोएडा के सादुल्लापुर गांव की रहने वाली बबीता ने रुढ़िवादी सोच रखने वाले लोगों को यह साबित करके दिखाया कि लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं हैं। दरअसल, बबीता नागर ने कुश्ती में 2005 में साउथ अफ्रिका में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक हासिल किया और वर्तमान में वह दिल्ली पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं।

गांव की लड़कियों को दिल्ली पुलिस में भर्ती कराया

बबीता अपने गांव की लड़कियों और महिलाओं को जागरूक करने का काम कर रही हैं। जिसके बाद वर्तमान में उनके गांव की 27 लड़कियां व 5 बहुएं दिल्ली पुलिस में नौकरी कर रही हैं। बता दें कि पिछले चार साल से वह अपने गांव सादल्लाहपुर में अपना कोचिंग सेंटर चला रही हैं जिमें वह कई गांवों की करीब 80 लड़कियां व 20 लड़कों को कुश्ती की निशुल्क ट्रेनिंग दे रही हैं। इस साथ ही वह पुलिस या अर्द्धसैनिक बलों में भर्ती के लिए भी लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग दी जाती है।

विरोध होने पर चलाना सीखा ट्रैक्टर
बबीता नागर ने अपने बारे में बात करते हुए बताया कि उनके परिवार में दो बड़े भाई और दो बड़ी बहनें है। वह सबसे छोटी हैं और परिवार में छोटी होने के चलते सभी लोग उन्हें बहुत प्यार करते थे। शुरू से वह लड़कों की तरह ही कपड़े पहनती थीं और स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही बाइक चलानी शुरू कर दी थी। जिसका समाज के लोग विरोध करने लगे और उनके पिता से कहने लगे कि लड़कियों को इस तरह की छूट नहीं देनी चाहिए। इसके बाद बबीता ने पैरंट्स से जिद कर एक बुलेट बाइक खरीदी और अपने गांव के लोगों की सोच बदलने के लिए ट्रैक्टर चलाना भी सीखा।

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