ईरानी खतरों से निपटने की चुनौती, अमरीका ने खाड़ी में तैनात कीं पैट्रियट मिसाइलें
ईरान की आर्थिक स्थिति खराब
राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि अमरीका की ओर से नए सिरे से लगाए गए प्रतिबंधों के कारण देश की आर्थिक स्थिति 1980-88 में पड़ोसी देश इराक से युद्ध के दौरान हुई स्थिति से बदतर हो गई है। उन्होंने आगे कहा कि आज यह तो नहीं कहा जा सकता कि वर्तमान स्थिति 1980-88 के समय से बेहतर है या बदतर है, लेकिन तब युद्ध के समय हमें अपने बैंकों, तेल की बिक्री या आयात और निर्यात में कोई समस्या नहीं थी और तब सिर्फ हथियार खरीद पर प्रतिबंध लगा था। रूहानी ने प्रतिबंधों का सामना करने के लिए राजनीतिक रूप से एक होने का आवाह्न किया। रूहानी ने कहा कि वर्तमान में दुश्मनों का दवाब हमारी क्रांति के इतिहास में अभूतपूर्व है..लेकिन मैं निराश नहीं हूं और मुझे भविष्य की उम्मीद है और मैं मानता हूं कि हम एक होकर इस कठिन परिस्थिति से आगे निकल जाएंगे।
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परमाणु समझौते को लेकर दोनों देशों में बढ़ी है तकरार
बता दें कि अमरीका-ईरान के तनाव ने 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौता पर प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं, जिस पर तेहरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों और जर्मनी के साथ हस्ताक्षर किए थे। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( president Donald Trump ) ने 2018 में खुद इस समझौते को तोड़कर ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिए थे। ईरान ने संकेत दिए हैं कि अगर अन्य सदस्य देश भी अमरीकी प्रतिबंधों का समर्थन करते हैं तो वह अपनी परमाणु हथियार संबंधी गतिविधियां फिर से शुरू कर देगा। यूरोपीय शक्तियों का कहना है कि वे समझौते पर कायम हैं, लेकिन वे इस समझौते को खत्म करने से रोकने के तेहरान की किसी चेतावनी को अस्वीकार करते हैं। बता दें कि बीते दिनों हसन रूहानी ने परमाणु समझौते में शामिल पश्चिमी देशों को चेतावनी देते हुए कहा था कि 60 दिन के अंदर यदि अमरीकी प्रतिबंधों को हटाने के लिए कोई उचित प्रयास नहीं किए गए तो वह फिर से यूरेनियम का उत्पादन शुरू कर देगा।
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