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गुना। जिले में 108 एंबुलेंस के रूप में संचालित इमरजेंसी सेवा वर्तमान में बीमार है। इसकी हकीकत हाल में एक ही दिन में घटित दो घटनाओं से सामने आई। जिसमें एक केस गर्भवती महिला को समय पर एंबुलेंस न मिलने का था जबकि दूसरे केस में सड़क दुर्घटना में घायल न्यायाधीश सहित उनके परिवार को समय पर 108 एंबुलेंस की सुविधा न मिलने का। इन दोनों ही केसों में प्रथम दृष्टया लापरवाही सामने आ चुकी है लेकिन इसके बाद भी 108 एंबुलेंस व्यवस्था को संभालने वाले जिम्मेदार यह तय नहीं कर पाए कि आखिर क्या वजह रही कि दोनों ही केस में एंबुलेंस पहुंचने में देरी हुई। जिसका खामियाजा मरीज और उनके परिवार को भुगतना पड़ा।
इन दो मामले के दौरान उजागर हुई लापरवाही के बाद पत्रिका टीम ने इस व्यवस्था की पड़ताल की। हमने जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में जाकर देखा कि यहां से डिस्चार्ज होने वाली महिलाओं को 108 जननी वाहन की सुविधा कैसे और कितनी देर में मिल पाती है। यहां करीब 30 मिनट तक पत्रिका टीम ने रुककर पूरी स्थिति का जायजा लिया। जिसमें पता चला कि मरीज को 108 वाहन बुक करने से लेकर वाहन मिलने तक कितनी परेशानियों से गुजरना पड़ता है।
पत्रिका लाइव-एंबुलेंस बुलाने के लिए इस तरह परेशान होते हैं परिजन
स्थान- जिला अस्पताल का मेटरनिटी विंग
समय- शुक्रवार 1.42 बजे
प्रसूता का नाम- सलमा
पति- अंसार
क्या हुआ - जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में सलमा को सीजर से डिलेवरी हुई थी। निर्धारित समय तक भर्ती रखने के बाद दोपहर 12 बजे डिस्चार्ज किया गया। अस्पताल के किसी स्टाफ ने मरीज को यह नहीं बताया कि उन्हें यहां से घर तक जाने के लिए निरूशुल्क 108 जननी वाहन की सुविधा मिल सकती है। अस्पताल के ही दूसरे मरीजों से जानकारी मिलने पर महिला के पति ने 108 नंबर पर फोन लगाया। लेकिन बिजी आता रहा। तीन चार बार लगाने के बाद कॉल उठा। मरीज का नाम, मोबाइल नंबर सहित जहां जाना है वहां का पता पूछा गया। पूरी जानकारी लेने के बाद कहा कि आपको करीब आधे घंटे बाद गाड़ी मिल पाएगी। ड्राइवर का नंबर नोट कर लो, इन्हें फोन लगा लेना। आधा घंटा इंतजार के बाद एंबुलेंस नहीं आई तो ड्राइवर को फोन लगाया गया, उसने कहा कि मैं 30 किमी दूर हूं आने में समय लगेगा। यह कहकर उसने फोन काट दिया। 5 मिनट बाद फिर फोन लगाया तो ड्राइवर ने कहा अब फिर से तुमने फोन लगाया तो मैं फोन बंद कर लूंगा।
इसके बाद 108 नंबर पर कॉल किया तो काफी देर तक बिजी आता रहा। तीन चार बार में फोन उठा, कहा कि गाड़ी तुम्हारे हिसाब से चलेगी या हमारे हिसाब से। अंसार ने कहा कि अस्पताल में जो गाड़ी खड़ी है उसके पास कोई केस नहीं है तो फिर वह गाड़ी हमें क्यों नहीं मिल सकती। यह सुनकर कंट्रोल रूम ऑपरेटर भड़क गया और कहनेे लगा कि जो हम कह रहे हैं उसे सुनो। तुम्हारे हिसाब से यह व्यवस्था नहीं चलती। जब गाड़ी फ्री हो जाएगी तब तुम्हें भेज दी जाएगी। तुम इंतजार करो।
ये दो बड़ी गंभीर घटनाएं जिन्होंने 108 इमरजेंसी सुविधा की खोली पोल -
केस-1 : जिले के मधुसूदनगढ़ से 3 किमी दूर विदिशा जिले के लटेरी थानांतर्गत सिरोंज रोड पर ताजपुर गांव में बाइक को बचाने के फेर में कार सड़क से उतरकर पलट गई। इसमें लटेरी कोर्ट में पदस्थ एडीजे, उनकी पत्नी और तीन बच्चे थे। हादसे में एडीजे के एक पुत्र की मौत हो गई। दो बच्चों और खुद एडीजे को गंभीर चोट आईं। मधुसूदनगढ़ स्वास्थ्य केंद्र से जानकारी मिली कि यहां की एंबुलेंस खराब है। इसलिए दूसरी लोकेशन से एंबुलेंस मंगाना पड़ेगी। 108 नंबर पर फिर से फोन लगाया तो 15 किमी दूर सुठालिया की एंबुलेंस भेजी गई।
जिसे घटना स्थल पर पहुंचने में ही डेढ घंटे लग गए। इधर स्थानीय लोगों की मदद से ही तीनों बच्चों को मधुसूदनगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया। यहां सात साल के रिजवान को गंभीर चोट के चलते भोपाल रेफर कर दिया। लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई।
केस-2 : जिले की बमोरी विधानसभा अंतर्गत फतेहगढ़ स्वास्थ्य केंद्र के दायरे में आने वाले छतरपुरा गांव की राधिका अग्रवाल को प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने एंबुलेंस के लिए 108 पर कॉल किया। परिजनों का आरोप है कि सुबह 6 बजे सूचना देने पर एम्बुलेंस ने 45 मिनट में पहुंचने का कहा लेकिन डेढ़ घंटे तक भी गांव में नहीं आ सकी। ऐसे में परिजन 2 हजार रुपए में किराया का वाहन कर राधिका को फतेहगढ़ स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे थे तभी रास्ते में बिडरना गांव के समीप ही उसे प्रसव हो गया। राधिका के पति गिर्राज अग्रवाल का आरोप है कि उनके बुलाने पर एम्बुलेंस गांव में नहीं आई और उन्हें बताया जाता रहा कि वाहन उपलब्ध नहीं है। लेकिन जब वह फतेहगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो परिसर में दो-दो एम्बुलेंस पहले से खड़ी थीं तथा उनके ड्राइवर भी वहां मौजूद थे।
35- जिले में कुल 108 एंबुलेंस
03- एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम 108 एंबुलेंस
15- जननी 108 वाहन
17- सामान्य 108 एंबुलेंस
02- खराब एंबुलेंस (ऑफ रोड)
गुना के फतेहगढ़ और मधुसूदनगढ़ में जो दो केस सामने आए हैं, इनमें 108 एंबुलेंस मिलने में देरी की वजह को लेकर हमने अपने स्तर इन्वेस्टिगेशन कराई है। जिसमें वह कारण सामने नहीं आया जो बताया जा रहा है। जज एक्सीडेंट मामले में हमारी पड़ताल में सामने आया है कि घायलों को मधुसूदनगढ़ के 108 जननी वाहन से ही रेफर किया गया है। घटना स्थल पर तत्काल एंबुलेंस न मिलने का सवाल है तो प्रोसेस में जो समय लगता है वह तो लगता ही है। जब एंबुलेंस रवाना हो रही थी तब कॉलर ने ही मना कर दिया था। ऐसी ही स्थिति फतेहगढ़ मामले में भी सामने आई है।
- तरुण सिंह, प्रवक्ता, 108 एंबुलेंस भोपाल
Published on:
29 Apr 2023 03:18 am
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