6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जिस तरह दशहरा, दिवाली और होली मनाते हैं, उसी तरह परीक्षा का उत्सव मनाएं

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने परीक्षा पे चर्चा पर की कार्यशाला, अभिभावकों से की बात  

2 min read
Google source verification
जिस तरह दशहरा, दिवाली और होली मनाते हैं, उसी तरह परीक्षा का उत्सव मनाएं

जिस तरह दशहरा, दिवाली और होली मनाते हैं, उसी तरह परीक्षा का उत्सव मनाएं

गुना। परीक्षा से पहले तैयारी कैसे करें, परीक्षा के तनाव से कैसे बचे और इसे उत्सव की तरह लें। बच्चों में परीक्षा का डर दूर करने के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने परीक्षा को लेकर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें बच्चों के अभिभावकों से चर्चा की और उन्हें बताया कि वह बच्चों पर दबाव न बनाएं और उनका पूरा ध्यान रखें। परीक्षा के दौरान बच्चों से आपका क्या व्यवहार होना चाहिए और उन्हें तनाव से कैसे बचाएं? इसी तरह की कई बिंदुओं पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के प्रतिनिधि डॉ. राहुल जैन ने चर्चा की और अभिभावकों के सवालों के जवाब भी दिए। इस दौरान कार्यशाला में सहायक संचालक शिक्षा राजेश गोयल, उत्कृष्ट विद्यालय प्राचार्य एचएन जाटव, सहायक सांख्यिकी अधिकारी आसिफ खान, जिला व्यावसायिक समन्वयक योगेश तिवारी, बीआरसी अशोक जोश सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। इस दौरान आयोग के सदस्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परीक्षा पे चर्चा 2024 में विद्यार्थियों को दिए गए मंत्रों की व्याख्या भी की।

तनाव मानसिक स्थिति पर डालता है असर

आयोग के प्रतिनिधि ने कहा कि आज के परिवेश में बच्चे परीक्षा को लेकर अधिक तनाव में रहते हैं जो कि उनकी मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। परीक्षा को सहज रूप में लेना चाहिए। बच्चों में इसे लेकर अनावश्यक तनाव न दें उनको मानसिक रुप से सशक्त बनाना है। हम अभिभावकों की यह जिम्मेदारी लेनी है कि अपने बच्चों से मित्रवर व्यवहार रखें। ताकि वह अपनी सभी परेशानियों को बिना किसी झिझक के आपके साथ साझा कर सके। साथ ही वर्तमान समय में मोबाइल के इस्तेमाल से बच्चों पर होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की। उन्होंने अभिभावकों और शिक्षको से कहा की मोबाइल को एक तकनीक के रूप में देखें जो कि बच्चों के भविष्य निर्माण में उनकी सहायता कर सकता है।

जैसे दशहरा, दिवाली मनाते हैं इसी तरह परीक्षा उत्सव की तरह लें

कार्यशाला में परीक्षा को उत्सव की तरह लेने की सीख दी गई। वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान परिवेश में परीक्षा को उत्सव की तरह मनाने की आवश्यकता है। जिस प्रकार हम लोग दशहरा दिवाली होली या अन्य त्योहार का उत्सव मनाते हैं। ठीक उसी प्रकार बच्चों के अंदर परीक्षा को लेकर एक उल्लास के संचार की आवश्यकता है। जिसकी जिम्मेदारी हम सभी की है। बच्चे परीक्षा को भय के रूप में न लेकर के अपने भविष्य निर्माण की सीढ़ी के रूप में देखें, जो की निरंतर अभ्यास से संभव है। आगे बताया कि बच्चों को विषय वस्तु का निरंतर अभ्यास करते रहना बहुत लाभकारी होगा।