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ई-ऑफिस : अब एक क्लिक पर मिल सकेगी हर जरूरी जानकारी

समय की होगी बचत, काम में आएगी पारदर्शितासरकारी कार्यालयों में अब जरूरी दस्तावेजों को अधिक दिन तक सुरक्षित रखना होगा आसानजिला मुख्यालय के सभी सरकारी कार्यालयों में ई-ऑफिस प्रणाली हुई लागू- अधिकारी-कर्मचारियों को ऑनलाइन वर्क करने किया जा रहा ट्रेंड

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गुना. जिले के सभी सरकारी विभागों को पेपर लेस बनाने का अभियान सरकार ने छेड़ दिया है। जिसके क्रम में सरकार ने ई-ऑफिस प्रणाली को लागू कर दिया है। जिसके अंतर्गत सभी ऑफिसों में पूरा काम डिजीटल रूप में ही अंजाम दिया जाएगा। फरियादियों के हर आवेदन और शिकायतों को तत्काल पोर्टल पर अपलोड करना होगा। साथ ही अधिकारी-कर्मचारी अपना पूरा काम पोर्टल पर ही ऑनलाइन करेंगे। जिससे संबंधित विभाग के अधिकारी के पास फाइल व जरूरी दस्तावेज तत्काल पहुंच जाएंगे। कुल मिलाकर इस ई-ऑफिस प्रक्रिया से न सिर्फ दस्तावेजों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की झंझट से मुक्ति मिलेगी बल्कि कीमती समय की भी बचत होगी। साथ ही बाबूराज खत्म होगा। प्रत्येक विभाग के काम में पारदर्शिता आएगी।
जानकारी के मुताबिक ई-ऑफिस प्रणाली जिले के सभी सरकारी विभागों में लागू की जानी है। लेकिन अभी पहले चरण में कलेक्टोरेट भवन में संचालित सभी विभागीय कार्यालयों के अलावा अन्य विभागों में भी इसे अपनाया जा रहा है। कार्यालयीन स्टाफ को शुरूआत में ही ई-ऑफिस प्रणाली के तहत काम करने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। लेकिन कई अधिकारी-कर्मचारी ऐसे हैं जो तकनीकी ज्ञान में ज्यादा दक्ष नहीं हैं। इसलिए अभी उन्हें ई-ऑफिस के तहत काम करने में कुछ परेशानियां आ रही हैं। इसके लिए वह बार-बार तकनीकी अधिकारिेयों को फोन लगाकर मदद मांग रहे हैं। ऐसे में जो कर्मचारी थोड़ी बहुत तकनीकी नॉलेज रखते हैं, वे तो फोन पर ही तकनीकी अधिकारी से मिले मार्गदर्शन से समस्या दूर कर लेते हैं। लेकिन कुछ कर्मचारी ऐेसे भी हैं जिनकी समस्या फोन पर दूर नहीं हो पाती उनके लिए तकनीकी अधिकारी को उनके कार्यालय ही जाना पड़ रहा है। यहां बता दें कि कलेक्टर को इस बात का भान पहले से ही था इसलिए उन्होंने इस तरह की समस्या दूर करने के लिए पहले से ही ई-गवर्नेंस के गौतम श्रीवास्तव एवं लोक सेवा प्रबंधक भृगेंद्र सिंह रघुवंशी को जिम्मेदारी दी है। जो कार्यालयीन स्टाफ की तकनीकी समस्याएं दूर करने में मदद करेंगे।


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पुराने दस्तावेजों को अपलोड किया जा रहा
ई-आफिस प्रणाली के तहत कार्यालय को पूरी तरह पेपरलेस किया जाना है। इसके लिए कार्यालय में जो पहले से जरूरी दस्तावेज मौजूद हैं उन्हें स्कैन कर विभाग के पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। साथ ही अब जो भी नया काम हो रहा है उसे पेपर पर न करते हुए सीधे पोर्टल पर ही दर्ज किया जा रहा है।
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क्या है ई-ऑफिस प्रणाली
ई-ऑफिस राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा विकसित एक क्लाउड सक्षम सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है। जिसके तहत जिले के सभी सरकारी विभागों को पूरी तरह से डिजीटली बनाया जा रहा है। इसे ई-ऑफिस प्रणाली को प्रदेश सरकार ने अति महत्वाकांक्षी योजना में शामिल किया है। इसके मध्यम से अब सभी विभाग फाइलों का आदान-प्रदान करना सुनिश्चित करेंगे। भौतिक रूप से कोई भी फाइल स्वीकार नहीं की जाएगी।
इस व्यवस्था को देखने वाले तकनीकी अधिकारी का कहना है कि पेपर लैस कामकाज की दिशा में ई-ऑफिस महत्वपूर्ण एवं बेहतरीन विकल्प है। इसलिए सभी कार्यालयों में केवल ई-फाइल को ही स्वीकार किया जाएगा।
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यह होगा फायदा
ई-ऑफिस प्रणाली से पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। एक बार कार्यालयीन स्टाफ इसमें ट्रेंड हो जाएगा, उसके बाद ई-ऑफिस प्रणाली बिल्कुल आसान लगने लगेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा कम समय में अधिक काम निपटाए जा सकते हैं। इसलिए अधिकारी और कर्मचारी गंभीरता के साथ इसका प्रशिक्षण लेे रहे हैं। विभागाध्यक्षों को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिलवाना सुनिश्चित किया गया है। कोई भी अधिकारी और कर्मचारी ई-ऑफिस से संबंधित जानकारी या प्रशिक्षण के लिए एनआईसी से संपर्क कर सकता है।
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मास्टर ट्रेनर दे रहे प्रशिक्षण
ई-ऑफिस प्रणाली लागू होने के बाद सरकारी दफ्तर धीरे-धीरे पेपरलेस होते जा रहे हैं। यानी कि कागजों पर लिखा-पढ़ी की विदाई का वक्त अब तेजी से करीब आ रहा है। सरकारी कर्मियों को इस कामकाज की जानकारी देने के लिए प्रशासन द्वारा मास्टर ट्रेनरों की तैनाती भी की जा रही है।
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अफसर व बाबूओं के लिए जा रहे डिजीटल सिग्नेचर
े सरकारी दफ्तरों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू होने के बाद अफसर और बाबुओं के डिजिटल सिग्नेचर बनवाए जाने की शुरुआत भी हो गई है। अभी तक सरकारी महकमों में फाइलें दौड़ती हैं। बाबू उल्लू सीधा नहीं होने की स्थिति में कई बार फाइलें दबा लेते हैं। फरियादियों के समय सीमा में काम नहीं हो पाते और वे सरकारी कार्यालयों की दौड़ लगाने के लिए विवश होते हैं। ई-ऑफिस व्यवस्था लागू होने के बाद फाइलों को दबाने या रोकने की फरियादियों की आशंका लगभग समाप्त हो जाएगी। कलेक्ट्रोरेट के बाद यह नई व्यवस्था अंचल के प्रशासनिक कार्यालय व जनपदों में लागू की जाएगी। इसके लिए पहले कार्यालयों को हाईटेक बनाया जाएगा। कुल मिलाकर इस नई व्यवस्था से कागजों की बचत तो होगी ही। साथ ही कामकाज में भी पारदर्शिता आएगी।
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इनका कहना
सभी सरकारी विभागों को पेपरलेस बनाने ई-ऑफिस प्रणाली लागू हो चुकी है। पहले फेज में कलेक्टोरेट भवन में संचालित सभी विभागीय कार्यालय सहित जिला मुख्यालय के अन्य विभागों को शामिल किया गया है। इसके बाद जिले में तहसील स्तर भी यह व्यवस्था लागू की जानी है। हालांकि इसकी तैयारियां अभी से प्रारंभ कर दी गई हैं। कार्यालयीन स्टाफ को पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है। हालांकि अभी कुछ परेशानियां सामने आ रही हैं, जिन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इस नई व्यवस्था में प्रत्येक कार्यालय में पदस्थ स्टाफ के लोगिन आइडी बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से ही उन्हें अपना पूरा काम करना है। एनआईसी के माध्यम से यह पूरी व्यवस्था लागू की जा रही है।
नीरजा सक्सेना, टेक्नीकल हैड एनआईसी