
गुना. जनशिक्षक के आत्महत्या मामले में आखिरकार 13 दिन बाद पुलिस ने आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कर ली है। जिसमें बीईओ, बीआरसी, लिपिक तथा एक कर्मचारी शामिल है। इनमें से विकास खंड शिक्षा अधिकारी हरिनारायण जाटव को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जबकि तीन आरोपी अभी फरार हैं। गौर करने वाली बात है कि जनशिक्षक ने आत्महत्या से पहले जिन लोगों द्वारा उसे प्रताडि़त करने के लिए आरोपी बताया था। इसकी जांच करने में पुलिस को 10 दिन लग गए। वहीं दूसरी ओर प्रशासन द्वारा गठित एक जांच दल भी इसकी पड़ताल में लगा हुआ था। बताया जाता है कि मामले में आरोपियों को बचाने में राजनीतिक लोग लगे हुए थे। इस मामले में पत्रिका ने लगातार प्रमुखता से प्रकाशित किया। परत दर परत मामले के हर एक बिन्दु का खुलासा किया। जिसका परिणाम गुरुवार को आरोपियों के खिलाफ एफआईआर
के रूप में सामने आया।
आरोपियों को बचाने के प्रयास, प्रशासनिक कार्रवाई अभी भी अधूरी
जनशिक्षक चंद्रमौलेश्वर श्रीवास्तव को प्रताड़ना से तंग आकर अपनी जान देनी पड़ी। इसके बावजूद कुछ लोग आरोपियों को बचाने में इस हद तक लगे हैं कि प्रशासनिक कार्रवाई 10 दिन बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। वहीं इसके उलट सिटी कोतवाली पुलिस ने महज 10 दिनों में जांच कर चार आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। साथ ही एक आरोपी को गिरफ्तार करना बताया है जबकि शेष तीन अन्य फरार बताए जा रहे हैं। बता दें कि चंद्रमौलेश्वर श्रीवास्तव महारानी लक्ष्मीबाई विद्यालय में जनशिक्षक के पद पर पदस्थ थे। 10 जून को खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उन्होंने जहर खा लिया था। इससे पहले उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतड़ना के आरोप लगाए थे। जहर खाने के बाद उनकी हालत बिगड़ी तो वहां मौजूद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने उन्हें तत्काल अस्पताल नहीं भिजवाया। यही देरी मौत की वजह भी
बनी। काफी देर बाद श्रीवास्तव को जिला अस्पताल ले जाया गया जहां से उन्हें भोपाल रैफर किया गया, जहां उनकी मौत हो गई। घटना के कुछ देर बाद ही 16 कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया।
जीते जी भी न्याय में देरी और मौत के बाद भी
जिस जनशिक्षक को जीते जी न्याय नहीं मिल सका। उसकी मौत के बाद उसे न्याय दिलाने प्रशासन ने जो जांच दल गठित किया है, उसकी कार्रवाई कछुआ गति से चल रही है। आत्महत्या के बाद कलेक्टर ने प्रारंभिक जांच के आधार पर शुरूआती निलंबन की कार्यवाही कर पूरे मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम गठित की। जिसमें एसडीएम गुना और जिला शिक्षा अधिकारी को शामिल किया गया। टीम ने शुरुआत में उन 16 जनशिक्षकों के बयान दर्ज किए जिन्होंने बीआरसी की कार्यशैली से तंग आकर अपने इस्तीफे सौंपे थे। इसके बाद अन्य सभी संबंधितों के बयान दर्ज किए गए। जांच दल ने तर्क दिया कि कुछ लोग जो जिले के बाहर हैं उनके बयान दर्ज नहीं हो पाए हैं। इसलिए अभी तक जांच पूरी नहीं हो पाई है।
देखें वीडियो- बस में रंगरलिया मानते पकड़ा गया जोड़ा
Published on:
24 Jun 2021 06:31 pm
बड़ी खबरें
View Allगुना
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
