
... तो सरकारी ऑफिस और घरों में नहीं होगा पेयजल संकट,... तो सरकारी ऑफिस और घरों में नहीं होगा पेयजल संकट,... तो सरकारी ऑफिस और घरों में नहीं होगा पेयजल संकट,... तो सरकारी ऑफिस और घरों में नहीं होगा पेयजल संकट,... तो सरकारी ऑफिस और घरों में नहीं होगा पेयजल संकट
गुना . जल संकट से जूझ रहे गुना जिले को आचार्य विद्यासागर महाराज की सीख इससे निजात दिला सकती है। उनकी इसी सीख को अब तक जैन समाज के 7 लोग अपनाकर अपने घर में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग करवा चुके हैं। जिसका लाभ उन्हें मिल रहा है। वहीं अब इसे जैन मंदिर में भी लगाने के लिए काम चल रहा है। खास बात यह है कि यह सिस्टम सामान्य वाटर हार्वेस्टिंग से थोड़ा अलग है। इसमें बारिश के पानी को भूमिगत टैंक में स्टोर किया जाता है। जिसका उपयोग पेयजल के रूप में किया जाता है। जो बाजार के आरओ से भी शुद्ध होता है। यह शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक है। यदि इस तरह के रूफ वाटर हार्वेस्टिंग को सरकारी कार्यालयों के अलावा घरों में अपनाया जाता है तो न तो बाजार से आरओ का पानी खरीदना पड़ेगा और न ही गर्मी के सीजन में पेयजल संकट का सामना करना पड़ेगा।
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पहले खुद अपनाया और अब दूसरों को कर रहे प्रेरित
शहर के चौधरी मोहल्ला निवासी संजय कामिनी ने पत्रिका को बताया कि आचार्य विद्यासागर महाराज के प्रवचनों में उन्होंने बारिश के पानी की शुद्धता और उसके उपयोग के बारे में जाना। जिसके बाद उन्होंने सबसे पहले 2016 में अपने घर में रूफ वाटर हार्वेस्टिंग लगवाया। जो सामान्य वाटर हार्वेस्टिंग से थोड़ा अलग है। क्योंकि इसमें बारिश के पानी को स्टोरेज कर पेयजल के रूप में उपयोग में लाया जाता है जबकि सामान्य हार्वेस्टिंग में छत का पानी पाइप लाइन के जरिए एक गड्ढे में पहुंचाया जाता है। जिसका लाभ भूमिगत जल स्तर को बढ़ाने मेें होता है। खास बात यह है कि उन्होंने अपने घर पर जो सिस्टम लगवाया है उसमें बारिश के पानी को स्टोरेज करने 20 हजार लीटर क्षमता का भूमिगत टैंक बनवाया है। वहीं इस पानी को पेयजल के लिए उपयुक्त बनाने 15 हजार कीमत की फिल्टर मशीन भी लगाई गई है। वे इस पानी का उपयोग पूरे साल भर करते हैं। यही नहीं आसपास के लोग भी उनके यहां से ही पीने का पानी ले जाते हैं। हालांकि उन्होंने कई लोगों को इस तरह का सिस्टम लगाने के लिए प्रेरित किया, जिसके बाद शहर में 7 लोग ऐसा सिस्टम अपने घर पर लगवा चुके हैं।
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जैन मंदिर में 2 लाख लीटर क्षमता का बनेगा टैंक
समाज के अध्यक्ष संजय कामिनी ने बताया कि मंदिर में भगवान का अभिषेक एवं मुनि महाराज अपने भोजन में बारिश का पानी ही उपयोग करते हैं। इसकी वजह है पानी की शुद्धता। वर्तमान में मंदिर परिसर में लगे 350 फुट गहरे बोर में से रस्सी बाल्टी के सहारे पानी उपयोग में लाया जाता है। टैंक बनने के बाद गहरे बोर से पानी खींचने की समस्या दूर हो जाएगी।
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रूफ वाटर हार्वेस्टिंग का लाभ, 55 फुट पर पानी उपलब्ध
शहर के चौधरी मोहल्ला में रहने वाले दीपक जैन ने बताया कि आज से 15 साल पहले उन्होंने अपने घर में बोर कराया था। उस समय मात्र 55 फुट पर पानी निकल आया था। जो आज भी बना हुआ है। जबकि उनके घर से कुछ दूर ही सरकारी बोर है जो 350 फुट गहरा है। वहीं एक निजी मकान में कराए गए बोर में तो 250 फुट पर पानी निकला ।
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ये विभाग लें सबक
जिला अस्पताल परिसर में एक नहीं बल्कि कई बोर प्रबंधन करवा चुका है लेकिन मरीजों को पीने योग्य पानी उपलब्ध नहीं हो पाया। पीएचई विभाग की प्रयोगशाला ने जांच में इस पानी को मरीजों के लिए हानिकारक बताया। जिसके बाद शासन ने यहां एक नहीं बल्कि दो आरओ प्लांट लगाने की स्वीकृति दी। लाखों रुपए खर्च कर यूनिट भी लग गई। लेकिन उचित देखरेख के अभाव में आज भी मरीजों को शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। यदि अस्पताल प्रबंधन संजय जैन के घर में लगे रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अपनाता है तो यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है। यही नहीं इसे नगर पालिका कार्यालय, कलेक्टोरेट सहित अन्य सरकारी विभाग भी अपना सकते हैं।
Published on:
23 Mar 2024 09:39 pm
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