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मरम्मत के बजाय दीवार पर लिख दिया भवन क्षतिग्रस्त हालत में है

स्कूलों को संवारने शासन ने दिया बजट, फिर भी हालात बदतर 15 जून से नया शिक्षण सत्र, ज्यादातर स्कूलों में नहीं सुधरी रंगत

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मरम्मत के बजाय दीवार पर लिख दिया भवन क्षतिग्रस्त हालत में है

मरम्मत के बजाय दीवार पर लिख दिया भवन क्षतिग्रस्त हालत में है

गुना. शासन ने जिले के सरकारी स्कूलों की रंगाई पुताई व जीर्णशीर्ण हालत वाले भवनों की मरम्मत और बाउंड्रीवॉल के लिए बजट उपलब्ध करा दिया है। लेकिन अब तक इस बजट से कहीं भी काम शुरू नहीं हुआ है, जबकि 15 जून से नया शिक्षण सत्र शुरू हो जाएगा। ऐसे में विभाग के पास ज्यादा समय भी नहीं बचा है।

सूत्रों का कहना है कि बजट को डकारने के लिए कुछ स्कूलों की आधी अधूरी रंगाई पुताई करवा दी गई है। जबकि उन स्कूलों में शौचालय से लेकर भवन अत्यंत जीर्णशीर्ण हालत में हैं। बता दें कि पिछले साल हुई जोरदार बारिश में शहर से लेकर ग्रामीण अंचल में अधिकांश स्कूल जीर्णशीर्ण हालत में पहुंच गए थे। ज्यादातर भवनों की छत से पानी रिसने लगा था। जिसके कारण कक्षाएं दूसरे भवनों में तक लगानी पड़ी थी। बमोरी, कुंभराज और चांचौड़ा में स्कूल भवनों की हालत ऐसी हो गई थी कि बारिश के दौरान इन स्कूलों में छुट्टी तक घोषित करनी पड़ी थी।
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तीन साल से क्षतिग्रस्त हालत में भवनसरकारी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को सुधारने सरकार तो पर्याप्त बजट उपलब्ध करा रही है लेकिन शिक्षा विभाग में लंबे समय से जमे अधिकारियों के कथित रूप से भ्रष्टाचार के घुन ने शिक्षण व्यवस्था को बिगाड़ दिया है। जिसके कारण स्कूल भवनों की हालत नहीं सुधर पा रही है। यह जानने के लिए ग्रामीण अंचल में भी जाने की जरूरत नहीं है। जिला मुख्यालय पर ही कैंट क्षेत्र में मातापुरा प्राथमिक विद्यालय है। जहां स्कूल भवन पिछले तीन साल से क्षतिग्रस्त हालत में है। वर्तमान में इसकी छत और दीवार अधर में अटकी हुई है। यानी कि कभी भी भरभराकर नीचे गिर सकती है। इसी आशंका के चलते भवन की दीवार पर चेतावनी स्वरूप लिख दिया गया है कि यह भवन क्षतिग्रस्त हालत में है। स्कूल प्रबंधन हर साल इस भवन के बारे में जानकारी लिखकर वरिष्ठ कार्यालय भेज रहा है लेकिन आज तक इस भवन को सुधारने काम नहीं हो सका है।

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तर्क... तेज गर्मी होने से नहीं मिल पा रहे मजदूर

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि जर्जर स्कूल भवनों को ठीक कराने हर साल वार्षिक कार्ययोजना में एस्टीमेट बनाकर भेजा जाता है। जिसके कारण इस बार प्रति स्कूल 50 हजार से लेकर 2 लाख तक का बजट स्वीकृत हुआ है। यानी कि जिस स्कूल में जितना काम कराने की जरूरत है उसके अनुसार बजट उपलब्ध कराया जाएगा। लेकिन हाल ही में देखने में आया है कि बमोरी के कई स्कूलों में बिल्कुल भी काम नहीं हुआ है। कुछ स्कूल ऐसे भी मिले जहां सिर्फ एक दीवार पर ही पुताई हो सकी है। इन अधूरे कार्यों को लेकर स्कूल के जिम्मेदारों से पूछा गया तो उनका कहना था कि अभी आधा अधूरा बजट मिला है। इसलिए पूरा काम नहीं हो पा रहा है। पूरा बजट मिलने पर ही पूर्ण काम हो पाएगा। कुछ अधिकारियों ने तर्क दिया कि इस समय तेज गर्मी पड़ रही है इसलिए लेबर नहीं मिल रही है। जबकि जिस गांव के स्कूल में काम होना है वहां स्थानीय स्तर पर ही मजदूर उपलब्ध हैं। कुल मिलाकर काम में लेटलतीफी कर बजट को डकारने का प्रयास किया जा रहा है।
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वार्षिक कार्ययोजना के अनुसार स्कूल भवन की मरम्मत और पुताई के लिए जो एस्टीमेट भेजा गया था। उसके अनुसार बजट उपलब्ध कराया गया है। कुछ स्कूलों में काम शुरू भी हो गया है। अब तक कहां कितना काम हुआ है यह रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चल पाएगा।

ऋषि कुमार शर्मा, डीपीसी