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जल जीवन मिशन भी सरकारी स्कूलों में मुहैया नहीं करा सका पेयजल व्यवस्था

केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना की नहीं हो रही सही मॉनिटरिंगनिर्माण कार्यो पर लगातार उठ रहे सवालनलजल योजना सहित सरकारी स्कूलों में किए गए काम की गुणवत्ता की खुली पोलराशि खर्च होने के बाद भी पेयजल व्यवस्था उपयोग लायक नहीं

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जल जीवन मिशन भी सरकारी स्कूलों में मुहैया नहीं करा सका पेयजल व्यवस्था

जल जीवन मिशन भी सरकारी स्कूलों में मुहैया नहीं करा सका पेयजल व्यवस्था

गुना. जिले के प्रत्येक गांव कासंपूर्ण विकास करने के लिए सरकार एक के बाद एक नई योजना ला रही है। जिसके क्रियान्वयन पर करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है। लेकिन इन योजनाओं का प्रतिफल आम जनता को नहीं मिल पा रहा है। हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार की अति महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन स्कीम की। जिसका उद्देश्य हर नागरिक को उसके घर तक पेयजल पहुंचाना है। जिसमें सरकारी स्कूल भी शामिल हैं। इस योजना के तहत अब तक किए गए काम का जो रिजल्ट सामने आया है। वह काफी निराशाजनक है। क्योंकि योजना के तहत निर्माण कार्य पर भारी भरकम बजट तो खर्च कर दिया गया है लेकिन उसकी गुणवत्ता और अपूर्ण कार्य की वजह से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। क्योंंकि उसका लाभ नहीं मिल पा रहा हैै। स्कूलों में पेयजल के लिए जो इन्फ्रा स्ट्रक्चर बनाया गया है वह उपयोगविहीन होकर क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच रहा है।
जानकारी के मुताबिक जल जीवन मिशन स्कीम की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को की थी। इस योजना को लागू करने के पीछ वजह बताते हुए कहा था कि आज भी देश में लगभग 50 प्रतिशत ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां अभी भी लोगों को पानी की समस्या है। उन क्षेत्रों में पीने के पानी को पहुंचाने के लिए ही जल जीवन मिशन योजना शुरू की गई। इस योजना के तहत गुना जिले के ऐसे सरकारी स्कूल चिन्हित गिए थे, जहां पेयजल व्यवस्था टोंटी के माध्यम से नहीं है। योजना के तहत ठेकेदार द्वारा स्कूल परिसर में पेयजल के लिए नया स्ट्रक्चर बनाया गया। पानी के लिए एक टंकी रखकर पाइप लाइन के जरिए नल कनेक्शन जोड़े गए। बेसिन लगाई गईं। यह सब काम तो कर दिया गया। लेकिन पेयजल की समस्या में जो मूल जड़ थी उसका निदान नहीं निकाला गया। यही कारण रहा कि यह नई व्यवस्था उपयोगविहीन होकर रह गई है। स्कूलों में टोंटी से पानी की व्यवस्था न होने के कारण ही टॉयलेट का उपयोग नहीं हो पा रहा। उनकी सफाई नियमित नहीं हो पा रही। बिना पानी के शौचालय भी उपयोगविहीन हो गए हैं।
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सही मॉनीटरिंग का अभाव
जल जीवन मिशन के तहत जिले के प्रत्येक ब्लॉक में काम चल रहा है। लेकिन इसके काम की गुणवत्ता से आम जनता संतुष्ट नहीं है। कई बार स्थानीय ग्रामीण जनसुनवाई के माध्यम से इसकी शिकायत कर चुके हैं। जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों को मौके पर जाकर निरीक्षण करने के निर्देश दिए। अधिकारी मौके पर पहुंचे भी और ठेकेदार को सही काम करने की हिदायद भी दी। लेकिन बाद में इन कामों की मॉनीटरिंग ठीक से नहीं की गई। यही वजह ैकि निर्माण कार्य पूर्ण होने पर कोई न कोई कमी सामने आ रही है।
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किस स्कूल में क्या है स्थिति
विकासखंड : चांचौड़ा
स्कूल : कमलपुर डांग
स्थिति : पेयजल के लिए स्ट्रक्चर बना हुआ है। पाइप लाइन फिट कर टोंटियां लगा दी गईं हैंं। लेकिन पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
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विकासखंड : बमोरी
स्कूल : मावि रत्नागिर
स्थिति : स्कूल परिसर में पहले हैंडपंप लगा था। जिसमेें बाद में मोटर डालकर पानी खींचने का प्रयास किया। लेकिन कभी मोटर खराब तो कभी भू-जल स्तर नीचे चले जाने से समस्या बरकरार है। जल जीवन मिशन के तहत जो नई व्यवस्था की गई उसमें यह ध्यान नहीं रखा गया कि पानी कहां से आएगा। यही कारण है कि पेयजल के लिए जो नया स्ट्रक्चर बनाया गया, उसमें टोंटियां गायब हो गई।
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विकासखंड गुना
स्कूल : प्राथमिक विद्यालय मातापुरा
स्थिति : स्कूल परिसर में हैंडपंप के अलावा पेयजल का अन्य कोई साधन नहीं है। अधिकांश बच्चे घर से बॉटल लेकर आते हैं। गौर करने वाली बात है कि स्कूल परिसर में आदर्श आंगनबाड़ी केंद्र भी है। इसके बावजूद पेयजल के लिए टोंटी व्यवस्था नहीं की गई है। यदि किसी बच्चे को पानी पीना है तो उसे खुद ही हैंडपंप चलाना होगा। जब यह हैंडपंप खराब हो जाता है तो कई-कई दिनों तक ठीक नहीं हो पाता।