
मधुसूदनगढ़ नगर परिषद: पहले कर्मचारी हटे नहीं, 40 और अवैध नियुक्यिां कर ली
गुना. नगर परिषद मधुसूदनगढ़ का जिस दिन से गठन हुआ है, उस दिन से विवादित बनी हुई है। कहीं अवैध भर्ती तो कहीं मनमाना राज। हाल ही में नगर परिषद मधुसूदनगढ़ का एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ है जिसमें कलेक्टर कोर्ट के आदेश के बाद भी तीस अवैध नियुक्तियों को निरस्त नहीं किया,बल्कि 40 और अवैध नियुक्तियां कर लीं। नगर परिषद के अध्यक्ष श्यामलाल अहिरवार ने इन दैनिक वेतन भोगी कर्मियों की नियुक्ति में अपने एक बेटे को भी नौकरी दे दी।
यह अलग बात है कि वे यह स्वीकार रहे हैं कि मैंने अपने बेटे विनोद को नौकरी दी है बाकी नियुक्तियां तो पार्षदों के दबाव में की है। कलेक्टर ने कहा कि इस मामले की शिकायत अभी उनके पास आई नहीं हैं, परियोजना अधिकारी डूडा को इस मामले को देखने के लिए बोला है। मधुसूदनगढ़ नगर परिषद में चल रही कचरा उठाने वाले वाहन, फायर बिग्रेड, ट्रैक्टर आदि का परिवहन विभाग में अभी तक कोई रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया है। बिना रजिस्ट्रेशन के वाहन मधुसूदनगढ़ की सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
कलेक्टर के पास पहुंची शिकायतएक बार फिर नगर परिषद मधुसूदनगढ़ के अध्यक्ष की शिकायत करने परिषद उपाध्यक्ष कौशलेंद्र अग्रवाल दो-तीन पार्षदों के साथ बीते रोज कलेक्ट्रेट पहुंचे और पूर्व विधायक ममता मीना के लेटरहेड पर नगर परिषद अध्यक्ष की शिकायत भी की। जिसमें बताया कि नप अध्यक्ष ने अपने दो बेटे देवी सिंह और विनोद को अवैध तरीके से नौकरी पर नगर परिषद मेें रखा है। साथ ही 70 अवैध कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई हैं। बगैर जीएसटी बिलों को लगाकर लाखों रुपए का भुगतान कर दिया है। इनके अध्यक्षीय कार्यकाल के सारे मामलों की जांच की जाए। शिकायतकर्ता ममता मीना ने कहा कि इसकी शिकायत नगरीय प्रशासन आयुक्त और ज्वाइन डायरेक्टर समेत अन्य अधिकारियों को भी की है।
एक बेटे को पीएम आवास कर दिया स्वीकृत
उधर मधुसूदनगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष श्यामलाल अहिरवार अवैध नियुक्तियों के मामले में ही विवादित नहीं हुए उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपने बेटे के लिए आवास स्वीकृत करा दिया। जिसमें वे स्वयं मान रहे हैं कि यह आवास मेरे चुनाव से लड़ने से पहले स्वीकृत किया गया था, जिसको मैंने अपने मकान की दूसरी मंजिल की छत पर निर्माण कराया है।
मधुसूदनगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष श्यामलाल अहिरवार और तत्कालीन सीएमओ सगीर खान ने परिषद के गठन के बाद यानि दिसम्बर 2022 में तीस अवैध नियुक्तियां कर ली थीं, जबकि नियुक्तियों का अधिकार नगरीय प्रशासन के संयुक्त संचालक को होता है। यह मामला गरमाया, कलेक्टर ने शिकायत मिलने पर सीएमओ और अध्यक्ष के प्रति नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद भी उनको नहीं हटाया, बल्कि 40 कर्मचारी और रख लिए, इन पर लगभग 10 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया।
नगर परिषद अध्यक्ष लगातार नियमों के विपरीत काम कर रहे हैं। इन चालीस अवैध नियुक्तियों का मामला भी नगर परिषद की बैठक में उठेगा। कलेक्टर को इस संबंध में अवगत करा दिया है।
कौशलेंद्र अग्रवाल नगर परिषद उपाध्यक्ष
Published on:
08 Apr 2023 10:23 pm
बड़ी खबरें
View Allगुना
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
