
Crime: कर्ज से छुटकारा पाने मौत को लगाया गले न कर्ज कम हुआ ना ब्याज से मिली मुक्ति
गुना. जिले में सूदखोरों का अवैध कारोबार बेधड़क चल रहा है। उनके पास लाइसेंस नहीं है, लेकिन वे अपनी रंगदारी दिखाकर काम कर रहे हैं। किसी की जमीन बिकवा दी तो किसी को घर बेचना पड़ा। कुछ कर्ज तले ऐसे दबे कि मौत को गले लगा लिया। राशि लौटाने के बाद भी ब्याज कम होने का नाम नहीं रहा है।
उधर, कर्ज के बोझ में दबे किसान मौत को गले लगा रहे हैं। इस तरह के हर साल दो-चार मामले सामने आते हैं। कई कर्ज चुकाते-चुकाते बर्बाद हो गए। तो कइयों ने मौत को गले लगा लिया। पांच के भीतर कर्ज से छुटकारा पाने 20 से अधिक किसान साहूकारी के फंदे पर झूल गए। लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बदतर हो गए। आरोन, बमोरी और गुना जनपद में इस तरह के कई मामले सामने आए। साहूकारों के दबाव में लोग दम तोड़ रहे हैं, लेकिन न तो प्रशासन ने कोई सख्ती की है और ना ही जरूरतमंदों को लोन के लिए सरकारी योजनाओं को पारदर्शी बनाया जा सका है।
फल-फूल रहा है सूदखोरी का अवैध धंधा
सूदखोरी का अवैध धंधा व्यापक स्तर पर फलफूल रहा है। साहूकारी का धंधा करने वाले लोग बिना लाइसेंस के सूद पर राशि देते हैं और गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे ब्याज सहित मूल धनराशि वसूल कर रहे हैं। इन लोगों ने रकम की वसूली के लिए अपराधियों को अपना एजेंट बना रखा है। वह सूद पर उधार लेने वालों को डरा-धमकाकर, प्रताडि़त कर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का शोषण करते हैं। किसान, आटो चालक और सहित कई लोग 20 से 30 प्रतिशत की ब्याज दर पर लोन लेने मजबूर हैं। इस संबंध में जब सीएमओ संजय श्रीवास्तव से पूछा गया तो उनका मोबाइल स्विच ऑफ मिला। वहीं एसपी राहुल लोढ़ा का कहना था कि ऐसे लोगों पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।
केस 1: बदहाली में प्रकाश का परिवार
शहर से 8 किमी दूर मावन गांव में प्रकाश कोरी ने साहूकार से 9500 रुपए का कर्ज लिया था। कुछ दिनों में कर्ज 80 से 90 हजार रुपए पहुंच गया। मूल से ज्यादा ब्याज दे चुका था प्रकाश, लेकिन कर्ज है कि उसने कम होने का नाम नहीं लिया। साहूकार ने घर से उठा लेने की धमकी के बाद प्रकाश कोरी ने 7 मई 2016 को अपने घर की म्यार पर फंदा डालकर मौत को गले लगा लिया। तब से पत्नी और ३ बच्चे अब भी बदहाली में जीने को मजबूर हैं।
केस 2: कर्ज नहीं चुका तो खा लिया जहर
आरोन जनपद की बनवीर खेड़ी गांव में किसान नरेंद्र शिवहरे ने कर्ज की बोझ की वजह से मौत को लगे लगा लिया। किसान के परिजनों ने बताया, सोसायटी से 60 हजार रुपए और उधारी में बीज लिया था। कुछ और कर्ज था, कर्ज की बोझ की वजह से उसने जहरीला पदार्थ खा लिया और मौत हो गई। दो साल बाद भी न तो सरकारी कर्ज शून्य हुआ और ना परिजनों की आर्थिक स्थिति सुधरी।
Published on:
14 Dec 2019 03:03 am
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