
चैक बाउंस मामले में आरोपी को 1282792 रुपए अदा करने के आदेश
गुना. चैक बाउंस के एक मामले में न्यायालय ने आरोपी को दोषी मानते हुए 12 लाख 82 हजार 792 रुपए देने के आदेश दिए हैं। साथ ही उक्त राशि अदा न करने की स्थिति में 3 माह का सश्रम कारावास भुगतान होगा। चैक बाउंस का यह विवाद शहर की सिसौदिया कालोनी निवासी रामकुमार यादव तथा जीतेश शर्मा के बीच था। परिवादी रामकुमार यादव द्वारा कई बार किए गए प्रयास के बाद भी जब आरोपी जितेश शर्मा ने चैक बाउंस की राशि नहीं लौटाई तो उन्होंने अधिवक्ता सीपी राव के माध्यम से न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गुना सुनील कुमार खरे की अदालत में आरोपी जीतेश शर्मा के खिलाफ परिवाद पेश किया। जिसमें बताया गया कि परिवादी एवं अभियुक्त एक ही मोहल्ले के निवासी हैं और एक दूसरे को कई वर्षों से जानते हैं।
अभियुक्त द्वारा परिवादी के पक्ष में बहादुरगढ़, पटवारी हल्का नंबर 26 तहसील राघौगढ़ जिला गुना में स्थित अपने स्वत्व व आधिपत्य का एक भूखंड रकबा 0.022 हेक्टेयर का रजिस्टर्ड विक्रय अनुबंध पत्र 15 सिंबर 2017 को कुल कीमत 35 लाख रुपए में विक्रय करने का अनुबंध किया गया था। परिवादी ने अभियुक्त को अग्रिम राशि के रूप में 17 लाख रुपए दिए थे। अभियुक्त पर बाजार के अन्य लोगों का काफी कर्जा हो जाने के कारण उसे कर्जा चुकाने के लिए रुपयों की आवश्यकता थी। परिवादी रजिस्टर्ड साहूकार है। इस कारण अभियुक्त ने परिवादी से बाजार के लोगों का कर्जा चुकाने के लिए 9 लाख 50 हजार रुपयों की उधारी की मांग की।
परिवादी ने 13 नवंबर 2017 को 4 लाख अपने बैंक खाते से एवं 5 लाख 50 हजार रुपए अपने घर से लाकर अभियुक्त को कुल नगद 9 लाख 50 हजार रुपए उधार दिए। उक्त रुपयों की अदाएगी के लिए अभियुक्त ने परिवादी को आश्वासन दिया कि वह उधार लिए रुपयों को दो माह में रुपए सैकड़ा प्रतिमाह ब्याज दर के अनुसार ब्याज सहित अदा कर देगा। उसी समय अभियुक्त ने परिवादी के हित में प्रतिभूति बतौर प्रॉमिसरी नोट 13 नवंबर 2017 को राशि 9 लाख 50 हजार रुपए ब्याज दो रुपए सैकड़ा प्रतिमाह की दर से अपने हस्ताक्षर कर परिवादी को दी गई। परिवादी ने दो माह की अवधि गुजर जाने के पश्चात अभियुक्त से उक्त उधार दी गई राशि को मय ब्याज के अदा करने के लिए मौखिक तकाजा किया। लेकिन अभियुक्त ने अपने प्रोपराइटरी फर्म जीत इंडस्ट्रीज के खाते से 24 जनवरी 2018 को नकद राशि 9 लााख 50 हजार रुपए एवं ढाई महीने का ब्याज 50 रुपए, कुल 10 लाख रुपए का एक चैक भरा हुआ अपने हस्ताक्षर कर परिवादी के पक्ष में जारी किया। जिसे परिवादी ने अपने बचत बैंक खाते में लगाया तो वह बाउंस हो गया। इसके बाद परिवादी ने अभियुक्त को तथ्य सहित अवगत कराया तो उसने राशि अदाएगी के लिए एक माह का समय मांगा। लेकिन इसके बाद भी चैक क्लीयर नहीं हुआ। यही नहीं अभियुक्त और उसके माता-पिता उसे झूठे केस में फंसाने की धमकी देने लगे। इसके बाद परिवादी ने अपने अभिभाषक के माध्यम से 15 मार्च 2018 को अभियुक्त के रजिस्टर्ड पते पर सूचना पत्र भेजा। लेकिन 15 दिन बाद भी चैक राशि का भुगतान नहीं किया गया।
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एडिट रिकार्डिंग सोशल मीडिया पर डालने की दी धमकी
परिवादी द्वारा बार-बार राशि की मांग किए जाने पर अभियुक्त और उसके माता-पिता ने अपनी बहू को घर से भगाने के उद्देश्य से बहू पर दबाव बनाकर परिवादी से बात करने की उसकी एडिटिंग रिकार्डिंग तैयार कर ली। अभियुक्त व उसके माता-पिता परिवादी को धमकाने लगे कि यदि उसने चैक वापस नहीं किया और अनुबंध पत्र निरस्त नहीं कराया तो वह उसकी एडिटिंग रिकार्डिंंग सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे।
Published on:
19 Mar 2021 09:53 pm
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