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निशुल्क शिविर के नाम पर मरीजों से हो रहा धोखा !

पत्रिका स्पॉट लाइटडॉक्टर को दिखाने के बाद पता चलता है कि एक ही मेडिकल से खरीदनी पड़ेंगी दवा और जांचें भी चिन्हित पैथोलॉजी परमरीज बोले, प्रचार प्रसार में नहीं दी जाती सही जानकारीसीएमएचओ आफिस को बिना जानकारी दिए बाहर के डॉक्टर गुना में आकर कमा रहे लाखों रुपएकमीशन के खेल में मरीजों के साथ हो रही धोखाधड़ी

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निशुल्क शिविर के नाम पर मरीजों से हो रहा धोखा !

निशुल्क शिविर के नाम पर मरीजों से हो रहा धोखा !

गुना . शहर में नि:शुल्क शिविर आयोजित कराने के नाम पर मरीजों से धोखा हो रहा है। इनके प्रचार-प्रसार के दौरान सही जानकारी नहीं दी जा रही है। जिसके कारण मरीज जब शिविर स्थल पर पहुंचता है तब उसे पता चलता है कि यहां तो दवा खरीदने से लेकर जांचें अपने पैसे से ही करवानी पड़ेंगी। ऐसे में कुछ मरीज तो मजबूरी के चलते दवा व जांचें करवा लेते हैं लेकिन जो आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं हैं उन्हें निराश होकर वापस ही लौटना पड़ता है। ताजा मामला जिला अस्पताल के पास भगतसिंह चौक स्थित एक काम्पलैक्स में आयोजित शिविर का सामने आया है। जहां ग्वालियर से एक जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ आए थे। इनके शिविर के प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी शिविर स्थल पर ही संचालित एक मेडिकल स्टोर संचालक ने उठाई थी। उन्होंने प्रचार-प्रसार के लिए जिस पेम्पलेट का उपयोग किया, उसमें कहीं भी यह उल्लेख नहीं था कि मरीज को डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाईयां नजदीक ही संचालित चिन्हित मेडिकल स्टोर से ही खरीदनी पड़ेंगी। यही नहीं जांचें भी चिन्हित पैथोलॉजी पर ही करवानी पड़ेंगी।
जानकारी के मुताबिक गुना में दूसरे जिले से लेकर राज्यों से डॉक्टर आकर मरीजों से धोखा कर लाखों रुपए कमाकर ले जा रहे हैं। लेकिन इस ओर जिले का स्वास्थ्य महकमा व प्रशासन बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है। जिसके कारण मरीजों को न सिर्फ आर्थिक हानि हो रही है बल्कि इलाज में भी गंंभीर लापरवाही हो रही है। जिसकी शिकायत मरीज चाहकर भी कहीं नहीं कर पा रहा है। क्योंकि न तो डॉक्टर का कोई स्थायी ठिकाना है और न ही कॉन्टेक्ट नंबर। जिससे मरीज दवा के साइड इफेक्ट या अन्य परेशानी होने पर डॉक्टर को बता सके।
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अपने फायदे के लिए निजी अस्पताल और मेडिकल वाले बुलाते हैं डॉक्टर को
जब से सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क दवा वितरण शुरू हुआ है तब से निजी मेडिकल स्टोर का व्यवसाय निजी डॉक्टर पर ही निर्भर होकर रह गया है। ऐसे में कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों ने अपना व्यवसाय बढ़ाने नया तरीका अपनाया है। जिसके तहत वे बाहर से डॉक्टर को बुलाने लगे हैं। यह डॉक्टर गुना में आकर मरीजों को देखते हैं और दवाओं के नाम ऐसे लिखते हंै जो सिर्फ चिन्हित मेडिकल पर ही मिले। खास बात यह है कि मेडिकल स्टोर वाले दवाएं बिकवाने के एवज में उक्त डॉक्टर को बड़ा कमीशन भी देते हंै। यही तरीका पैथौलॉजी सेंटर वाले भी अपना रहे हैं। जिसके कारण मरीजों को वह जांचें भी लिखी जा रही हैं जो वास्तव में मरीज के लिए जरूरी भी नहीं है।
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प्रचार प्रसार में शिविर नि:शुल्क बताया था
ुप्रचार-प्रसार के दौरान मुझे नि:शुल्क शिविर की जानकारी लगी थी। लेकिन जब शिविर स्थल पहुंची तो पता चला कि पास वाली ही मेडिकल से दवाएं खरीदवाई जा रही हैं। यही नहीं जांचों के लिए भी एक चिन्हित पैथोलॉजी पर भेजा गया। जो दवाएं दी गईं वह बहुत महंगी थी। जब दवाओं का सेवन किया गया तो एक दवा के खाने के बाद चक्कर आना व कमजोरी महसूस होने लगी। पर्चे पर जो नंबर लिखा था वह भी नहीं उठा। मेडिकल वाले ने दवाएं वापस करने से भी इंकार कर दिया।
अनीता, मरीज
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दूसरे राज्यों से आकर गुना में इलाज करने वाले व दवाएं बेचने वाले कथित डॉक्टर्स को लेकर मैं पिछले काफी समय से सीएमएचओ कार्यालय व कलेक्टर तक को शिकायत कर चुका हूं। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ रस्म अदाएगी की कार्रवाई कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। नियम विरुद्ध तरीके से इलाज करने वाले और दवाएं बेचने वाले डॉक्टर्स पर विभाग ठोस कार्रवाई नहीं कर सका है।
वीरेंद्र शर्मा, जागरुक नागरिक
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क्या कहता है नियम
इंडियन मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी गाइड लाइन के मुताबिक कोई भी डॉक्टर यदि दूसरे जिले व राज्य में जाकर शिविर लगाकर मरीजों का इलाज करता है तो उसे इससे पहले वहां के सीएमएचओ कार्यालय में अपने आपको रजिस्टर्ड कराना होगा। जिससे उसकी पहचान हो सके कि फलां डॉक्टर के पास जो डिग्री है वह सही है तथा सिर्फ मरीजों का इलाज कर सकता है न कि दवाओं का वितरण। क्योंकि इसके लिए अलग लाइसेंस की जरूरत होती है। वहीं इस तरह के मामलों की पड़ताल करने के लिए सीएमएचओ कार्यालय में डॉक्टर का एक अलग से पैनल होता है। जिसमें ड्रग इंसपेक्टर भी मौजूद रहता है।
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यह बोले जिम्मेदार
शासन के जो नियम हैं उसका पालन सभी को करना होगा। बाहर से आने वाले डॉक्टर सीएमएचओ कार्यालय में बिना सूचना दिए शिविर लगाकर इस तरह मरीजों का इलाज नहीं कर सकते हैं। हम ऐसे मेडिकल स्टोर व निजी अस्पतालों की जांच करवाएंगे जो नियम विरुद्ध काम कर रहे हैं। मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ व उन्हें आर्थिक हानि नहीं होने दी जाएगी।
डॉ राजकुमार ऋषीश्वर, सीएमएचओ