25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पत्रिका अलर्ट : कहीं यह लापरवाही और अनदेखी न पड़ जाए जान पर भारी

पिछली घटनाओं से सबक नहीं, यात्री बसों में न आग बुझाने के इंतजाम और न इमरजेंसी गेटहाल ही में शहर के जज्जी बस स्टैंड पर बस में लग चुकी हैं आग, मौके पर नहीं थे आग बुझाने के इंतजाम

5 min read
Google source verification
पत्रिका अलर्ट : कहीं यह लापरवाही और अनदेखी न पड़ जाए जान पर भारी

कल घर-घर व मंदिरों में गणगौर पूजा का आयोजन,कल घर-घर व मंदिरों में गणगौर पूजा का आयोजन,पत्रिका अलर्ट : कहीं यह लापरवाही और अनदेखी न पड़ जाए जान पर भारी

गुना. तापमान बढ़ने के साथ ही अग्नि हादसे होने लगे हैं। ऐसा कोई दिन खाली नहीं जा रहा जब जिले के किसी न किसी हिस्से में आग लगने की घटना न हो। एक तरफ जहां खेतों में खड़ी पकी फसल तथा कटी हुई फसल में आग लगने की घटनाएं हो रही हैं तो वहीं वाहनों, घरों व दुकानों में भी शार्ट सर्किट से आग लग रही हैं। इस तरह की घटनाएं हर साल गर्मी के मौसम में होती हैं। इसके अलावा पिछले कुछ सालों में यात्री बसों में भी आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैंं। लेकिन इनसे अब तक शासन-प्रशासन के अलावा बस ऑपरेटरों ने कोई सबक नहीं लिया है। जिसका ताजा उदाहरण रविवार को शहर के जज्जी बस स्टैंड पर देखने को मिला। जब एक बस में अचानक आग लग गई। घटना का सुखद पहलु रहा कि बस में जब आग भड़की तब तक बस में सवार सभी यात्री निकल चुके थे। यह आग बस के पीछे हिस्से में लगी थी। जब आग ने सीट को जलाना शुरू किया तो काफी ज्यादा धुआं उठने लगा तक बस स्टाफ को आग लगने की जानकारी लगी।
लेकिन गौर करने वाली बात यह रही कि बस में आग बुझाने के लिए न तो फायर सेफ्टी सिलेंडर मौजूद था और न ही बस स्टैंड पर आग बुझाने पानी या अन्य इंतजाम। यही वजह है कि आग धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। स्टाफ को जब लगा कि वह आग को नहीं बुझा पाएगा तब जाकर उन्होंने डायल-100 के जरिए फायर बिग्रेड की मदद ली। चूंकि उस समय फायर बिग्रेड मौजूद थी इसलिए वह तत्काल मौके पर आ गई और आग पर काबू पा लिया गया। लेकिन इस एक घटना ने बसों में यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था की कलई खोल दी है। इस घटना के बाद बस ऑपरेटर और संबंधित विभाग के अलावा प्रशासन कितना सतर्क हुआ और उन्होंने क्या जरूरी कदम उठाए हैं। यह जमीनी हकीकत जानने के पत्रिका टीम ने जज्जी बस स्टैंड पर जाकर बसों का जायजा लिया। वहां खड़ी अलग-अलग बसों में जाकर देखा तो एक भी बस में फायर सेफ्टी सिलेंडर नहीं मिला। यही नहीं बस स्टाफ से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था करना बस मालिकों का काम है। चिंता की बात तो यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के रूट पर चलने वाली बसों में सिलेंडर के अलावा फर्स्ट एड बॉक्स भी नहीं मिला।


चलती बस में दुर्घटना होने पर हो सकता था बड़ा हादसा
जज्जी बस स्टेंड पर बस में लगी आग की घटना ने सभी को एक बड़ा सबक दिया है। यदि यह घटना चलती बस में होती तो यह हादसा और भी ज्यादा बड़ा हो सकता था। क्योंकि उस समय बस में यात्री बैठे हुए थे। वहीं बीच रास्ते में यदि बस को रोका भी जाता तो इतनी जल्दी आग पर काबू नहीं पाया जा सकता था। जब तक कि आसपास से फायर बिग्रेड आती तब तक आग पूरी बस को अपनी चपेट में ले लेती। चूंकि उक्त घटना शहर के बीच स्थित बस स्टैंड पर हुई। जहां तक आने में फायर बिग्रेड को न तो ज्यादा समय लगा और न ही रास्ते में कोई रुकावट आई।
-
गर्मी बढ़़ी, एयर कंडीशनर चालू, बिजली लाइन पर बढ़ा लोड, शार्ट सर्किट की आशंका बढ़ी
इन दिनों तापमान 40 डिग्री से ऊपर चल रहा है। ऐसे में लोग गर्मी से राहत पाने कूलर, पंखा के अलावा एयर कंडीशनर यानी एसी चलाने लगे हैं। इनका इस्तेमाल घरों के अलावा दुकान, मॉल, अस्पतालों में भी होने लगा है। गौर करने वाली बात है कि आमतौर पर देखा जाता है कि एसी चलाने के लिए अलग से लाइन का उपयोग न कर नॉर्मल वाली सर्विस लाइन से ही कनेक्शन जोड़ लिया जाता है। ऐसे में एसी चलने से विद्युत लाइन पर अतिरिक्त बोझ बढ़ जाता है। यही स्थिति स्पार्किंग के साथ शार्ट सर्किट का कारण बनती है। जिससे कई बार बड़ी अग्नि दुर्घटना हो जाती हैं। ऐसे कई मामले हर साल सामने आते हैं। इसलिए इस तरह की घटनाओं को रोकने ज्यादा लोड वाले उपकरण खासकर एसी के लिए अलग से सर्विस लाइन का उपयोग किया जाए। साथ ही जब इन उपकरणों का उपयोग न हो तब उन्हें बंद रखा जाए।
-


जिला अस्पताल के डीईआईसी भवन में कई बार लगी आग
सरकारी संस्थाओं में अग्नि हादसों की बात करें तो सबसे पहला नाम सरकारी जिला अस्पताल का आता है। जहां सबसे अधिक अग्नि हादसे जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र भवन जिसे डीईआईसी कहते हैं, में हुए हैं। यहां प्रथम तल से लेकर ऊपरी मंजिल पर आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं।
पहली घटना उस समय हुई जब कोविड वैक्सीनेशन की शुरूआत हुई। इस भवन के प्रथम तल पर बने हॉल को वैक्सीनेशन सेंटर बनाया गया था। जिसमें एक नहीं बल्कि तीन एसी लगे हुए हैं। जिन्हें शाम के बाद चालू छोड़ दिया गया था। रात भर चालू रहने के दौरान बायरिंग गर्म हुई और शार्ट सर्किट होते ही पूरी बायरिंग में आग लग गई। आग लगने की घटना का तब पता चला जब सुबह के समय सफाईकर्मी आए। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को जानकारी दी। फायर बिग्रेड को बुलाया गया लेकिन तब तक पूरी बायरिंग जल चुकी थी। फायर बिग्रेड ने इतना काम किया कि आग और ज्यादा क्षेत्र में नहीं पहुंच पाई।
इसके अलावा इस भवन के फर्स्ट फ्लोर पर स्टोर रूम में शार्ट सर्किट से दो बार आग लग चुकी है। जिसे यहां मौजूद स्टाफ नर्स ने फायर सेफ्टी सिलेंडर की मदद से बुझा दिया। तीन घटना इसी भवन के छत पर भी हो चुकी है। जिसे फायर बिग्रेड ने आकर बुझाया था। इन तमाम घटनाओं के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने कोई सबक नहीं लिया है। आज भी ट्रॉमा केयर सेंटर के नीचे बड़ी संख्या में बैटरी रखी हैं, जहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। पूरा क्षेत्र खुला पड़ा है। यदि कोई मरीज अटैंडर गलती से बीड़ी, सिगरेट फेंक दे तो बड़ा हादसा हो सकता है। यही नहीं अस्पताल में जगह-जगह खुले तार निकले पड़े हैं।
-
गर्मी के दिनों में शार्ट सर्किट व अन्य मानवीय भूलों की वजह से आग लगने की घटनाएं होती हैं। हमारे पास जितनी फायर बिग्रेड हैं वह आबादी और क्षेत्रफल की दृष्टि से कम हैं। वैसे भी फायर बिग्रेड सूचना मिलने के बाद ही आग बुझाने पहुंचती है। यदि घटना स्थल दूर है तथा वहां तक पहुंचने में कई तरह की बाधाएं हैं तो अग्नि हादसों से जानमाल को बचाना संभव नहीं हो पाता। ऐसे में बेहद जरूरी है कि प्रत्येक परिवार व नागरिक को ऐसे हालातों से निपटने के लिए जरूरी जानकारी होना चाहिए। जैसे कि सिलेंडर में आग लगे तो तत्काल गीला कपड़ा कर सिलेंडर पर लपेट दो। जहां तक संभव हो हर जगह फायर सेफ्टी सिलेंडर मौजूद होना चाहिए तथा उसके उपयोग का तरीका भी सीखना चाहिए।
रामकुमार जाटव, इंचार्ज फायर ब्रिगेड यूनिट