
पत्रिका स्पॉट लाइट : बाउंड्रीवॉल न होने से असुरक्षित शिक्षा के मंदिर
गुना . सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए शासन बजट तो दे रहा है लेकिन इसका आवंटन सही नहीं हो रहा है। जिसकी वजह से सरकारी स्कूलों की अधोसंंरचना नहीं सुधर पा रही है। जिला मुख्यालय पर ही ऐसे कई स्कूल हैं जहां भवन बनने के बाद से आज तक बाउंड्रीवॉल नहीं बनाई गई है। जिसका खामियाजा स्कूल के बच्चों सहित स्टाफ को उठाना पड़ रहा है। स्कूल में मैदान होने के बाद भी इसका उपयोग बच्चे नहीं कर पा रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी असामाजिक तत्वों की अवैध गतिविधियों से हो रही है।
-ये स्कूल झेल रहे बाउंड्रीवॉल न होने की सजा
-शासकीय प्राथमिक विद्यालय गोपालपुरा
स्कूल प्रबंधन ने पत्रिका को बताया कि जब से स्कूल भवन बना है तब से यहां बाउंड्रीवाल नहीं बनाई गई है। जबकि पास में ही स्थित छात्रावास के चारों तरफ बिल्डिंग निर्माण के समय ही बाउंड्रीवॉल बनाई गई। स्कूल भवन ऐसे रिहायशी क्षेत्र से घिरा है। जहां सुबह, दोपहर और शाम को असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बना रहता है। जानवर और सुअरों का विचरण स्कूल समय में भी बना रहता है। जब बच्चे स्कूल आते हैें तो परिसर में गंदगी ही मिलती है। नपा द्वारा कभी कभार ही इसकी सफाई की जाती है। खुला मैदान और गंदगी होने के कारण बच्चे यहां नहीं खेल पाते हैं। कमरों से बाहर कोई भी सामान छोड़कर नहीं जा पाते। पौधरोपण भी नहीं कर पा रहे हैं।-
शासकीय मिडिल स्कूल जाटपुरायह स्कूल काफी पुराना है। परिसर के अंदर ही पांच साल पहले उत्कृष्ट छात्रावास की बिल्डिंग बनी है, उस दौरान स्कूल की बाउंड्रीवॉल कई तरफ से तोड़ दी गई। तब से लेकर अब तक इसे फिर से नहीं बनाया है। तत्समय लगाए गए पौधों का नामोनिशान नहीं रहा है जबकि उनकी सुरक्षा के लिए ट्रीगार्ड लगाए गए थे। स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि परिसर कई इलाकों में खुला है। जिसकी वजह से स्कूल समय के बाद असामाजिक तत्वों का आना शुरू हो जाता है। कई बार भवन के ऊपर रखी पानी की टंकी सहित ढक्कन तक चोरी हो चुका है। जिसके बाद उसे ढकने पत्थर रखना पड़ा है।
-यह बोले जिम्मेदार
जिन स्कूलों में बाउंड्रीवॉल नहीं हैं, वहां बनवाने के लिए फिलहाल विभाग की कोई योजना नहीं है। यदि शासन इसके लिए बजट देती है तो बनवाई जाएगी।ऋषि शर्मा, डीपीसी
Published on:
28 Feb 2024 09:59 pm
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