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बोल रही जनता- फिर नहीं लौटकर आए वो मंजर, जिसे देखकर कांप उठती थी रूह

ऐसा समय भी लोगों की जिंदगी में आया था, जिसे देखकर ही लोगों रूह कांप उठती थी.

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गुना. हर बार बीता साल लोगों को कई अच्छी बुरी यादें देकर जाता था, ऐसे में हर कोई आनेवाले साल को सलाम और जानेवाले साल को भी सलाम करता था, लेकिन 2021 में ऐसा समय भी लोगों की जिंदगी में आया था, जिसे देखकर ही लोगों रूह कांप उठती थी, ऐसे में गुना जिले की जनता 2021 के वो दिन फिर से बिल्कुल नहीं देखना चाहती है।

हे भगवान! अप्रेल-मई जैसा मंजर दोबारा न आए
2020 के बाद वर्ष 2021 आया, सोचा कि यह साल अच्छा निकलेगा, लेकिन कोरोना संक्रमण ने हमारा पीछा नहीं छोड़ा। अप्रेल-मई में स्थिति यह हो गई थी कि गुना शहर के श्मशान घाटों पर लोगों को शव जलाने इंतजार करना पड़ता था। गुना की जनता तो उस मंजर को देखकर कहती है कि हे भगवान अप्रेल-मई माह जैसा मंजर कभी दोबारा न आए। ऑक्सीजन सिलेण्डर और गैस के लिए जमकर राजनीति भी हुई, इसका श्रेय लूटने में दल और नेता पीछे नहीं रहे।

अपने नहीं दे पाए अपनों का साथ
कोरोना संक्रमण काल का अप्रेल-मई माह के समय को हम याद करते हैं तो रूह कांप उठती है। जिला या निजी अस्पताल में कोरोना के शिकार मरीज के पास न होने से उसका ध्यान नहीं रख पा रहे थे। इसी बीच मरीज ने अपने प्राण त्याग दिए, न उनके परिजन अपने प्रिय को देख पाए और न मृत व्यक्ति अंतिम समय अपनों को न देख पाया और न कुछ कह पाया। इतना कुछ होने के बाद ऐसी स्थिति निर्मित हुई जब उनके दाह संस्कार में परिजन भी शामिल नहीं हो पाए।

आगे आए दानवीर
सबसे Óयादा ऑक्सीजन कंस्ट्रेटर, ऑक्सीमीटर, कूलर, वाटर कूलर, दवाई जिला अस्पताल में उपलब्ध कराई। कई ने कोरोना वार्ड में पॉजीटिवों की मदद की।

नाश्ता-भोजन भी बांटने मेें कमी नहीं

रा जस्थान, महाराष्ट्र समेत दूसरे राÓयों से आने वाले लोगों को नाश्ता-भोजन उपलब्ध कराने में समाजसेवी पीछे नहीं रहे। प्रेमनारायण राठौर (भजन सेठ), राजेन्द्र सलूजा, रजनीश शर्मा,सीईओ राकेश शर्मा,काके सरदार,वंदना मांडरे, पुष्पराग शर्मा,प्रदेश सरकार के मंत्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया, अरविन्द गुप्ता जैसे लोग भोजन उपलब्ध कराते रहे।

अस्पताल के हर वार्ड में संक्रमित
को रोना के मरीज मार्च के बाद बढ़ते चले गए, अप्रेल-मई माह मेें तो जिला अस्पताल की हालत ये हो गई थी कि जिला अस्पताल के हर वार्ड में कोरोना के मरीजों को भर्ती कराया गया। इस दौरान हमारे शहर, अंचल ने कई अपनों को खोया है, जिनकी याद करते ही उनके परिजन, रिश्तेदारों व मित्रों की आंखें नम हो जाती हैंं।

सड़कें बनी रहीं सूनी
कोरोना के बढ़ते प्रभाव से अप्रेल-मई माह में मरने वालों का ग्राफ बढ़ा तो गुना शहर में दहशत फैल गई और आवाजाही रोकने के लिए सड़कों पर बेरीकेट्स लगाकर रास्ते बंद किए। हनुमान चौराहा जैसे व्यस्ततम चौराहा सूना था। दुकानें बंद थीं।
जान जोखिम में डालकर देते रहे सेवाएं

कोरोना काल को याद किया जाए तो उनको अवश्य याद करेंंगे जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर कोविड वार्ड में मरीजों की सेवा की थी। मरीज और जिला अस्पताल को बेहतर सेवा और सामान दिलाने में तत्कालीन कलेक्टर एस. विश्वनाथन,कुमार पुरुषोत्तम, तत्कालीन एसपी तरुण नायक, राजेश कुमार सिंह, की अह्म भूमिका रही। विशेषज्ञों में डॉ. सुनील यादव, डा. रीतेश कांसल, डा. रामवीर सिंह रघुवशी, डा. वीरेन्द्र रघुवंशी, कोविड आईसीयू इंचार्ज नमिता खादिकर, उर्मिला मंडावी जैसे कई लोग रहे। जिन्होंने कई मरीजों की जान बचाई।