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हेलमेट पर सख्ती खत्म, सुविधाएं भी नहीं

बोतल और कैन में पेट्रोल न देने के नियम को भी अनदेखा किया जा रहा है।

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Petrol and diesel prices going up in September

Petrol and diesel prices going up in September

गुना. जिले के पेट्रोल पंपों पर कुछ महीनों तक दिखी सतर्कता अचानक खत्म हो गई है। हाई कोर्ट के निर्देशन के पालन में बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं देने की व्यवस्था कुछ दिन तो अमल में लाई गई, इसके बाद पंप संचालक लापरवाही बरतने लगे हैं। इसी तरह बोतल और कैन में पेट्रोल न देने के नियम को भी अनदेखा किया जा रहा है।

गुना। सड़क पर दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं मिलने की व्यवस्था अब जिले में कहीं भी नहीं दिखाई दे रही है। दरअसल, बिना हेलमेट पेट्रोल न मिलने के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने हेलमेट लगाना शुरु कर दिया था, जिससे दुर्घटनाओं में कमी आ रही थी।

इस संबंध में पेट्रोल पंप संचालकों को जिला पुलिस के सख्त निर्देश थे कि बिना हेलमेट किसी को भी पेट्रोल नहीं दिया जाए। इसको लेकर लगभग दो महीने पंप संचालकों ने इस आदेश का सख्ती से पालन किया। इसके लिए बकायदा पंपों पर छोटे-छोटे बैनर यह लिखकर लटकाए गए कि बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं दिया जाएगा।

कुछ दिन सामने आए विवादों के बाद लोगों को भी हेलमेट लगाने की आदत पड़ गई थी। लेकिन धीरे-धीरे तमाम सख्तियों के बावजूद पंप संचालकों ने पहले पंपों से बैनर हटाए और बाद में बिना हेलमेट पेट्रोल देना भी शुरु कर दिया। पेट्रोल पंपों के संचालन में एक और बड़ी चूक सामने आई है कि जिले के ज्यादातर पेट्रोल पंपों के साथ आग बुझाने के संसाधन उपलब्ध नहीं है।

दरअसल नियम यह है कि आग बुझाने के लिए गैस के सिलेंडर और बाल्टियों में रेत भरकर रखी जाए। अधिकतर पेट्रोल पंपों पर सिर्फ खाली बाल्टी ही रखी दिखाई देती है।

शहर के पंपों पर न हवा की व्यवस्था, न सुरक्षा गार्ड
सुविधाओं और सुरक्षा के नाम पर भी जिले के पेट्रोल पंप खरे नहीं उतर रहे हैं। ग्राहकों की अक्सर यह शिकायत रहती है कि पेट्रोल पंप पर हवा नहीं मिल पा रही है। जबकि इस बात के सख्त निर्देश है कि प्रत्येक पंप पर हवा और सुरक्षा गार्ड के साथ-साथ पुरुष एवं महिला प्रसाधन होना अनिवार्य हैं।

इसके बावजूद सिर्फ दिखावे के लिए कंप्रेशर रखे गए हैं। किसी भी ग्राहक को सुविधा नहीं मिल पा रही हैं। बता दें कि सुरक्षा गार्डों के अभाव में समय-समय पर जिले के पेट्रोल पंपों पर वारदातों की घटनाएं सामने आते रही हैं। इसके बावजूद पंप संचालकों का ध्यान इस ओर नहीं गया है।

वारदात होने के बाद सारा ठीकरा पुलिस और प्रशासन के सिर फोड़ दिया जाता है, जबकि पंप संचालक लगातार लापरवाही बरत रहे हैं। इसके चलते उपभोक्ता पेट्रोल पंपों पर परेशान होते रहते हैं और हवा भरवाने के लिए सबसे ज्यादा दिक्कत ग्रामीण अंचलों के पेट्रोल पंपों की वजह से होती है, जहां हवा नहीं रहती है।

पेट्रोल की वजह से बड़ी वारदातें
जिले में पेट्रोल की मदद से कई बड़ी वारदातों को अंजाम देने के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं पेट्रोल पंप संचालकों को दी गई नियम पुस्तिका में यह साफ है कि वह सिर्फ वाहन में ही पेट्रोल डालेंगे। इसके बावजूद नियमों को ताक पर रखते हुए पंप संचालक बोतल और केन में पेट्रोल देने से नहीं झिझकते हैं।

गौरतलब है कि साल 2017 में जून माह में कैंट क्षेत्र के ट्रिपल मर्डर कांड में तीन हत्याओं में पेट्रोल का इस्तेमाल किया गया था। आरोपियों ने बकायदा स्वीकार किया कि उन्होंने केन के जरिए पेट्रोल खरीदा और मृतकों को उसी से जलाया गया।

हैरानी की बात है कि इतनी गंभीर वारदातों के सामने आने के बावजूद पंप संचालकों ने इसपर अंकुश नहीं लगाया। दूर-दराज के पंपों पर भले ही विभाग का ध्यान नहीं जाता हो, लेकिन शहर के पेट्रोल पंपों पर भी यह गंभीर लापरवाही नजर आ रही है।

नहीं हो रही पंपों की नियमित जांच
पेट्रोल पंपों पर लापरवाही की वजह आपूर्ति विभाग द्वारा समय-समय पर जांच का अभाव भी है। दरअसल जिले का आपूर्ति विभाग ऐसी परिस्थितियों में ही पेट्रोल पंपों की जांच करता है जब कोई गंभीर मामला चलन में हो। आखिरी बार पेट्रोल पंपों की जांच उस समय की गई थी, जब देशभर में एक संदिग्ध चिप मिलने की बात कही जा रही थी। जिसमें पंप संचालकों द्वारा कम मात्रा में पेट्रोल देना बताया जा रहा था।