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पत्रिका फोकस : गुना जिला अस्पताल में सिर्फ नाम का ट्रोमा केयर सेंटर

- न मानकों के तहत बिल्डिंग बनी और न आज तक जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हो सकीं- जिन बड़े नेताओं ने उद्घाटन किया उन्होंने आज तक नहीं ली स्वास्थ्य सुविधाओं की सुध- न अलग से डॉक्टर की भर्ती हुई और न पैरामेडिकल स्टाफ- हालत ऐसी कि इमरजेंसी केस हैंडिल करने सर्वसुविधायुक्त माइनर ओटी तक उपलब्ध नहीं- गंभीर मरीज को भर्ती करने आईसीयू भी नहीं

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पत्रिका फोकस : गुना जिला अस्पताल में सिर्फ नाम का ट्रोमा केयर सेंटर

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गुना. जिले की इमरजेंसी सेवाएं पिछले काफी समय से बीमार हैं। स्थिति यह है कि आपातकालीन सेवाओं के लिए बनाए गए ट्रोमा केयर सेंटर होने के बावजूद गंभीर मरीजों को सही समय पर उपचार तक नहीं मिल पा रहा है। मरीजों को प्राइवेट अस्पताल और निजी पैथोलॉजी पर जांच कराने जाना पड़ रहा है। जिससे न सिर्फ मरीज की जान पर बन रही है बल्कि उसे शारीरिक व आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ रही है। जिला मुख्यालय पर ही जब इमरजेंसी सेवाओं के यह हाल हैं तो अंचल के स्वास्थ्य केंद्रों के क्या हालात होंगे यह आसानी से समझा जा सकता है। यहां बता दें कि बीते तीन सालों में विधायक, सांसद से लेकर प्रभारी मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तक जिला अस्पताल का कई बार निरीक्षण कर चुके हैं लेकिन आज तक न तो कमियां दूर हो सकी हैं और न स्वास्थ्य सुविधाओं में इजाफा।
जानकारी के मुताबिक जिस जिले से होकर राष्ट्रीय राजमार्ग और फोरलेन गुजरता है वहां के जिला अस्पताल में ट्रोमा केयर सेंटर यूनिट को होना अति आवश्यक होता है। जिसके तहत शासन ने गुना जिला अस्पताल में ट्रोमा केयर सेंटर की स्वीकृति दी। जिसका लोकार्पण 17 अक्टूबर 2015 को तत्कालीन गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र के सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा तत्कालीन गुना विधायक पन्नालाल शाक्य ने किया था। तब से लेकर अब तक ट्रोमा केयर सेंटर में जो स्टाफ शासन ने स्वीकृत किया था उस पर पूरी भर्ती नहीं हो सकी है। वर्तमान में जो डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ सेवाएं दे रहा है वह जिला अस्पताल का है।
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बिना मास्टर प्लान के बनवा दिया ट्रोमा सेंटर का भवन
जिन अधिकारियों पर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने तथा मानक अनुसार निर्माण कार्य कराने की जिम्मेदारी है, वे ही अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभा रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण अस्पताल की महत्वपूर्ण इकाई ट्रोमा केयर सेंटर का भवन है। जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइड लाइन के तहत इस तरह से बनाया जाना चाहिए जहां गंभीर मरीज को एक ही छत के नीचे संपूर्ण इलाज मिल सके। जिसमें ओपीडी से लेकर भर्ती और सभी जांच सुविधाएं शामिल हैं। इसके लिए एक ही कैंपस या परिसर में माइनर और मेजर ओटी के अलावा पैथोलॉजी, ब्लड बैंक , आईसीयू की सुविधा उपलब्ध हो। भवन का इन्फ्रास्ट्रक्चर इस तरह से होना जरूरी है जिसमें मरीजों को एक स्थान से दूसरे जगह पर ले जाने में किसी तरह की दिक्कत न आए। इन सभी मानकों को गुना जिला अस्पताल में बनाए गए ट्रोमा केयर सेंटर भवन में अनदेखा किया गया है। जिसका खामियाजा मरीज से लेकर डॉक्टर तक भुगत रहे हैं।
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वर्तमान में ट्रोमा यूनिट के यह हाल
जिला अस्पताल परिसर में स्थापित ट्रोमा केयर यूनिट की बात करें तो पहली बार में कोई भी मरीज या उसका अटैंडर इस वार्ड को खोज ही नहीं पाएगा। क्योंकि से संबंधित सूचना बोर्ड दो अलग-अलग स्थानों पर लगे हैं। ट्रोमा केयर यूनिट के लोकार्पण की शिला पट्टिका पर संयुक्त रूप से मेटरनिटी यूनिट का नाम भी लिखा है। जिस भवन के मेन गेट पर यह सूचना चस्पा है वहां वर्तमान में न तो मेटरनिटी वार्ड है और न ही ट्रोमा यूनिट। इस भवन में तो वर्तमान में मॉड्यूलर ओटी का निर्माण चल रहा है। वहीं ट्रोमा यूनिट से जुड़ा दूसरा सूचना बोर्ड मुख्य अस्पताल के ओटी व पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड के बीच लगा है। जहां फस्र्ट फ्लोर पर ट्रोमा के मरीज भर्ती किए जाते हैं। यहां बता दें कि इस वार्ड को भले ही ट्रोमा केयर सेंटर नाम दिया गया है। लेकिन सामान्य आर्थोपेडिक व सर्जिकल वार्ड की तरह ही है। यहां न तो गंभीर मरीजों के लिए अलग से आईसीयू है और न ही मेजर ओटी।
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ट्रोमा में जिन विशेषज्ञों की जरूरत वे ही नहीं
जिला अस्पताल में ट्रोमा केयर यूनिट सिर्फ नाम की संचालित है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि यहां गंभीर मरीजों का इलाज करने विशेषज्ञ चिकित्सक की जरूरत होती है लेकिन इनमें (आंख, कान, नाक, गला, हड्डी रोग) से एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक वर्तमान में मौजूद नहीं है। वहीं मेजर ऑपरेशन के लिए जो आधुनिक व सर्वसुविधायुक्त ऑपरेशन थियेटर की जरूरत होती है वह भी ट्रोमा यूनिट में अलग से नहीं है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि ट्रोमा में अक्सर दुर्घटना या झगड़े में घायल गंभीर मरीज आते हैं, जिन्हें तत्काल आईसीयू में भर्ती करना होता है। लेकिन ट्रोमा यूनिट में यह बेहद उपयोगी व संवेदनशील इकाई आईसीयू तक नहीं है। ऐसे में कोरोना के मरीजों के लिए जो मेडिकल आईसीयू बनाया गया था, उसी का उपयोग सभी तरह के गंभीर मरीजों को भर्ती करने किया जा रहा है। यहां बता दें तीन साल में कई बार ऐसे मौके आए हैं जब कोरोना का मरीज भर्ती करने न सिर्फ पूरे आईसीयू को खाली करा लिया गया था बल्कि वर्तमान में जिस डीईआईसी भवन के फस्र्ट फ्लोर पर यह आईसीयू है उस पूरे परिसर तक को खाली कराना पड़ा था। विशेषज्ञ चिकित्सक की मानें तो जिला अस्पताल में हर गंभीर बीमारी के मरीजों का आईसीयू अलग होता है, जिसमें मेडिकल, सर्जिकल, आर्थोपेडिक तथा कोविड आईसीयू शामिल है।
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जांच सुविधाएं भी बीमार
गंभीर मरीजों को त्वरित इलाज के लिए जिला अस्पताल में वर्ष 2015 ट्रोमा केयर यूनिट की स्थापना हुई थी। जिसके तहत एक ही छत के नीचे सभी तरह की जरूरी जांचें जिनमें एक्सरे, सोनोग्राफी, सीटी स्कैन शामिल हैं। लेकिन इनमें से एक भी सुविधा वर्तमान में नियमित रूप से चालू नहीं है। एक्सरे विभाग में पिछले तीन सालों से रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली है। वहीं सोनोग्राफी करने के लिए भी अधिकृत चिकित्सक नहीं है। सीटी स्केन मशीन आउट डेटेड हो चुकी है। शासन से स्वीकृति मिलने के बाद भी अब तक नई मशीन नहीं लग सकी है। मरीजों को मजबूरीवश बाजार मेें काफी ज्यादा पैसे खर्च जांचें करवानी पड़ रही हैं। वहीं अस्पताल में एक मात्र पैथोलॉजी है। जिसकी व्यवस्थाएं भी निजी हाथों में सौंप दी गई हैं। ऐसे में आपातकालीन सेवाएं खासकर रात के समय कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है।
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बेहद खास और उपयोगी इकाई है ट्रोमा सेंटर
किसी भी जिला अस्पताल में स्थापित ट्रोमा केयर सेंटर बेहद खास और उपयोगी इकाई होती है। जिसका काम गंभीर मरीज को कम से कम समय उचित इलाज पहुंचाना होता है। इसकी शुरूआत मरीज को एंबुलेंस से उठाकर माइनर ओटी में शिफ्ट करने, जरूरी जांचें करवाने तथा आवश्यक होने पर तुरंत ऑपरेशन करना। यही नहीं मरीज की कंडीशन यदि ज्यादा खराब है तो तत्काल उसे हायर सेंटर रैफर किया जाना शामिल है। इसके लिए अलग से विशेषज्ञ स्टाफ पूरे 24 घंटे ड्यूटी पर रहता है। जो आईसीयू में भर्ती मरीज पर लगातार नजर बनाए रखता है। लेकिन गुना जिला अस्पताल में ऐसी कोई इमरजेंसी सुविधा नहीं है।
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इनका कहना
जब से ट्रोमा केयर सेंटर का भवन बना है तब से ही यह कंबाइन रूप में संचालित हो रहा है। जहां तक ट्रोमा यूनिट के स्वीकृत स्टाफ की बात है तो लगभग सभी पद खाली हैं। इस यूनिट में खासकर विशेषज्ञ चिकित्सक की जरूरत होती है, जो हमारे पास पहले से ही नहीं हैं। ऐसे में जो स्टाफ है उसी काम चलाया जा रहा है।
डॉ हर्षवर्धन जैन, सीएस
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फैक्ट फाइल
जिला अस्पताल में डॉक्टर व स्टाफ की स्थिति
क्लास-1 : स्वीकृत पद 34, पदस्थ 9
क्लास 2 : स्वीकृत पद 42 पदस्थ 36
स्टाफ नर्स : स्वीकृत पद 160 पदस्थ 150