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40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चली हवा, खैजरा और म्याना में गिरे ओले

बेईमान मौसम.. आड़ी हो गई फसलें, कटाई की लागत बढ़ी, फसल कटने के बाद कैसे होगा नुकसान का सर्वे

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40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चली हवा, खैजरा और म्याना में गिरे ओले

40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चली हवा, खैजरा और म्याना में गिरे ओले

गुना. जिले में बारिश का सिलसिला लगातार पांचवें दिन भी जारी रहा। सोमवार की शाम से जिले में कई स्थानों पर बारिश का सिलसिला शुरु हुआ और देर रात तक जारी रहा। इससे फसलों को काफी नुकसान हुआ। गुना सहित राघौगढ़, आरोन, चांचौड़ा, बमोरी, बमोरी में 40 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलने के साथ ही बारिश हुई।

गुना के खैजरा और बमोरी के म्याना क्षेत्र के पूनमखेड़ी, गाजीपुर, खजूरी, शायपुर, सेंदुआ, नसीरा, बांसखेड़ी में ओले गिरे हैं। इन गांवों में सबसे ज्यादा दो घंटे से अधिक देर तक तेज बारिश हुई है। इसलिए फसलों को नुकसान भी ज्यादा हुआ है। वहीं मंगलवार को धूप-छांव का दौर चलता रहा। ज्यादा समय अच्छी धूप खिली। जिससे कुछ हद तक फसलों को राहत मिली है। लेकिन शाम के बाद मौसम के तेवर बदले हुए नजर आए। जिससे एक बार फिर किसान चिंतित नजर आया।

ओलावृष्टि वाले गांवों में पहुंची सर्वे टीम

म्याना क्षेत्र के सबसे ज्यादा गांव में ओलावृष्टि की सूचना पर मंगलवार को राजस्व विभाग और कृषि विभाग की टीम सर्वे करने पहुंची। गांव के किसान लालाराम ने बताया कि ओलावृष्टि से किसानों की हजारों एकड़ में फसलें तबाह हो गई हैं। रात भर बारिश का दौर चलने के साथ ही ओले भी गिरे हैं। म्याना और आस पास क्षेत्र में बे मौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इलाके में तीन दिन से लगातार रिमझिम बारिश हो रही है। सोमवार की रात गाजीपुर, पूनमखेडी, खजूरी, शायपुर, सेंदुआ, नसीरा, बांसखेड़ी में ओले गिरे। इन दिनों खेतों में धनिया, गेहूं, चने की फसल पककर तैयार हो गई है। कृषि विभाग के एसएडीओ माहौर ने बताया कि रात्रि में जिन स्थानों पर अतिवृष्टि हुई है, ऐसे क्षेत्रों में राजस्व विभाग और कृषि विभाग का सर्वे दल पहुंचा है।

250 गांवों में फसलों को 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान

गुना . मार्च में अब तक तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से रबी फसल को 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है। इस दायरे में दोनों विकासखंड के करीब 250 गांव हैं। जहां गेहूं की फसल चक्रवाती हवाओं से खेत में आढ़ी हो गई है। जिससे दाना गिर गया है। फसल कटाई की लागत एक हजार रुपए प्रति बीघा से बढ़कर 3 हजार रुपए हो गई है। हार्वेस्टर से यह फसल नहीं कट पा रही है। ऐसे में मजदूरों से फसल कटवाना बहुत महंगा पड़ रहा है। अब तक सबसे ज्यादा नुकसान धनिया, गेहूं और सरसों को हुआ है। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नारायण सिंह चौहान ने बताया कि जितनी भी बार तेज हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि हुई है, हर बार किसानों ने जल्द सर्वे की मांग की। प्रशासन ने एक दो गांव में टीम भेजकर औपचारिकता की है लेकिन सभी इलाकों मेें प्रशासन और राजस्व विभाग की टीम नहीं पहुंची है।

प्रशासनिक दल लगातार सर्वे कर रहे हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट रूप से कहा जा सकेगा किस क्षेत्र में किस फसल को कितना नुकसान हुआ है। उसी आधार पर मुआवजा राशि तय होगी।

-अशोक उपाध्याय, उपसंचालक कृषि
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किसानों का दर्दचिंता सता रही है कि फसल कटने के बाद प्रशासन सर्वे कैसे कराएगा और मुआवजा कैसे मिलेगा।

-संतोष किरार, किसान

सर्वे में देरी से किसानों को और भी अधिक आर्थिक नुकसान होने की संभावना है।

-बहादुर सिंह, किसान