
गुरुग्राम. (गणेश चौहान ) गुरुग्राम नगर परिषद पिछले दो वर्षों से अपने सदनों से कूड़ा उठाने वाली कंपनी इको ग्रीन कंपनी के खिलाफ प्रस्ताव पास कर ठेका निरस्त करने के लिए सरकार को भेज चुके है, लेकिन सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए। अब इको ग्रीन कंपनी इतनी प्रभावशाली बन गई है कि सीएम खट्टर भी इसे हटाने की हिम्मत नहीं जुटा कर पा रहे हैं। भाजपा के एक विधायक और कार्यकर्ताओं ने गृहमंत्री को शिकायत दी है कि इको ग्रीन कंपनी का ठेका निरस्त किया जाए। माना जा रहा है कि नगर निगम अनिल विज के पास है और वे शिकायतों को नजर अंदाज नहीं करते हैं।
जल्द कार्रवाई की जाएगी
गृहमंत्री ने कहा यह मामला गंभीर है। कुछ दिनों में ही हरियाणा के नगर निगम में सफाई मिलेगी और खासकर दिल्ली के निकटवर्ती गुरुग्राम में जल्द सफाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इकोग्रीन कंपनी की कार्य प्रणाली, ठेका नियम व शर्तों और उसकी शिकायतों की जानकारी नहीं है, लेकिन पूरी जानकारी लेकर गंभीरता बरती जाएगी।
100 करोड़ खर्च, फिर भी शहर में गंदगी
हर साल सफाई पर 100 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च होने के बावजूद हर तरफ कचरे के ढेर नजर आते हैं। एनजीटी के एक्शन के बाद मुख्यमंत्री ने सख्ताई तो दिखाई, लेकिन अब भी असरकारक सफाई का अभाव है। घरों से निकलने वाले कचरे के लिए शहर में कुल 6 बड़े व 22 छोटे गार्बेज कलेक्शन सेंटर बने हुए हैं, जहां 10 से 50 टन कचरा जमा करने की क्षमता है। 100 फीसदी डोर टू डोर कलेक्शन नहीं होने के कारण लोग रेहडी वालों को कूड़ा दे रहे हैं, यही कारण है कि शहर में जगह-जगह कूडे का ढेर लगा हुआ है।डूंडाहेड़ा कलेक्शन प्लांट में 150 से 200 टन गार्बेज कलेक्शन की क्षमता के बावजूद 400 टन से अधिक कूडा जमा हो रहा। इको ग्रीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को इस साइट पर कचरा निस्तारण के काम के साथ बिजली उत्पादन प्लांट स्थापित करना था, जो जून 2019 में चालू होना था मगर यह काम अधूरा पडा है।
Published on:
23 Nov 2019 01:36 am
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