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राबर्ट वाड्रा-भूपेन्द्र हुड्डा मामले में पुलिस को शिकायतकर्ता का इंतजार

इधर इस मामले पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में किए गए संशोधन के प्रभाव को लेकर विधि विशेषज्ञ बंटे हुए है...

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(चंडीगढ): हरियाणा के गुरूग्राम जिले के खेडकीदौला थाने में राबर्ट वाड्रा की कम्पनी स्काईलाईट हाॅस्पिटेलिटी और डीएलएफ के बीच जमीन सौदे के मामले में जालसाजी और भ्रष्टाचार के आरोप के तहत दर्ज कराई गई एफआईआर की आगे जांच के लिए पुलिस को शिकायतकर्ता का इंतजार है।

इधर इस मामले पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में किए गए संशोधन के प्रभाव को लेकर विधि विशेषज्ञ बंटे हुए है। गुरूग्राम जिले के पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें शिकायतकर्ता के बयान दर्ज करने है। इसके लिए शिकायतकर्ता सुरेन्द्र शर्मा का इंतजार किया जा रहा है। शिकायतकर्ता ने अपने आप को छिपा लिया है।

जानकार सूत्रों का कहना है कि शिकायतकर्ता राजस्थान में कहीं चला गया है। पुलिस अधिकारियों का यह भी कहना है कि उन्हें मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की अनुमति का भी इंतजार है। मौजूदा केन्द्र सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन पारित करवाया है, जिसके अनुसार भ्रष्टाचार के मामले में जांच के लिए राज्य सरकार या सम्बन्धित प्राधिकार की अनुमति की जरूरत होगी।


दूसरी ओर मामले पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में किए गए संशोधन को लेकर पडने वाले प्रभाव को लेकर विधि विशेषज्ञ बंटे हुए है। इसी साल जुलाई में संसद में संशोधन पारित कर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में धारा 17ए शामिल की गई थी। इस धारा के अनुसार किसी लोकसेवक के खिलाफ जांच के लिए राज्य सरकार की पूर्व अनुमति अनिवार्य होगी। हरियाणा के अधिकारियों के एक वर्ग का कहना है कि गुरूग्राम पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से पहले राज्य सरकार की अनुमति न लेकर गलती की है। इस मामले में हुड्डा और राबर्ट वाड्रा के अलावा कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का भी जिक्र है। हालांकि इनके नाम नहीं है। मामले से जुडे करीब छह वरिष्ठ अधिकारियों में से दो तो रिटायर हो गए हैं।


हरियाणा के महाधिवक्ता बलदेवराज महाजन का कहना है कि संशोधित कानून भी पुलिस को एफआईआर दर्ज करने से नहीं रोकता। हालांकि जांच और चालान पेश करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति का प्रावधान भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन के जरिए किया गया है। आपराधिक मामलों के वरिष्ठ वकीलों का कहना है कि कोई भी कानून पिछले समय से प्रभावी नहीं होता। भूपेन्द्र हुड्रा और राबर्ट वाड्रा से संबन्धित यह मामला वर्ष 2008 का है।