
असम: CAA आंदोलन के बीच थम गई है बांग्लादेशियों को खदेड़ने की प्रक्रिया
(गुवाहाटी,राजीव कुमार): नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने अडिग रहने की बात कही है। हालांकि इसके खिलाफ राज्य में आंदोलन जारी है। इसी बीच राज्य में बांग्लादेशियों की शिनाख्त और उन्हें खदेड़ने की प्रक्रिया थम सी गई है।
राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के अद्यतन की पूरी प्रक्रिया बेकार साबित होने की ओर बढ़ रही है। 31 अगस्त 2019 को एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद भी रजिस्टार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने इसे अधिसूचित नहीं किया है। इसे प्रकाशित होने के छह महीने पूरे हो चुके हैं। एनआरसी की अंतिम सूची में जगह न बना पाने वाले 19 लाख लोगों को अब तक रिजेक्शन लेटर नहीं मिला है। नाम शामिल नहीं किए गए लोगों के मामले के निपटान के लिए सरकार ने दो सौ विदेशी न्यायाधिकरणों के गठन के लिए सदस्यों का चयन किया। लेकिन पिछले पांच महीनों में इन्हें कुछ काम नहीं मिला। इस बारे में गौहाटी उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अखिल असम छात्र संघ(आसू), असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद(अजायुछाप) और कृषक मुक्ति संग्राम समिति ने कहा है कि सीएए को लागू करने के चलते राज्य और केंद्र सरकार एनआरसी को अर्थहीन करने में लगी है।
मालूम हो कि हर महीने विदेशी न्यायाधिकरणों का कामकाज गौहाटी उच्च न्यायालय देखता है। हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय के समक्ष यह बात आई कि नए विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्यों को नियुक्त ही नहीं किया गया है। न्यायालय ने कहा कि 221 सदस्यों का चयन किया गया। इन्हें नियमित वेतन भी दिया जा रहा है। इसके बाद भी इनकी नियुक्ति नहीं की गई है। न्यायालय के इस सवाल पर गृह व राजनीतिक विभाग के ओएसडी की असहाय स्थिति हुई। ओएसडी ने अदालत को बताया कि अब तक एनआरसी अधिसूचित ही नहीं की गई है। इसके चलते सदस्यों को क्या काम दिया जाए इस पर ही अनिश्चितता है। तब अदालत ने केंद्र और राज्य सरकार को इस पर शपथनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। 11 फरवरी को मामले की फिर सुनवाई होगी।
Published on:
25 Jan 2020 09:51 pm
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