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इस IAS अफसर के आसान टिप्स ‘क्लिन एंड फिट इंडिया’ बनाने में कर रहे मदद, आप भी जानें

Natural Health Tips: वैसे तो आईएएस अफसर साहब कहलाते हैं, लेकिन इनके (Tura District Deputy Commissioner) काम करने (IAS Officer Ram Singh) का ढंग कुछ अलग है। (Health Tips) इन्होंने जो आसान (Beauty Tips) टिप्स बताए हैं उन्हें अपनाकर हम फिट (Fit India) और क्लिन इंडिया (Clean India) बनाने के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं...

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Natural Health Tips

इस IAS अफसर के आसान टिप्स 'क्लिन एंड फिट इंडिया' बनाने में कर रहे मदद, आप भी जानें,इस IAS अफसर के आसान टिप्स 'क्लिन एंड फिट इंडिया' बनाने में कर रहे मदद, आप भी जानें,इस IAS अफसर के आसान टिप्स 'क्लिन एंड फिट इंडिया' बनाने में कर रहे मदद, आप भी जानें

(गुवाहाटी,राजीव कुमार); भारतीयों की जीवनशैली में शुरुआत से ही कई ऐसी आदतें शामिल है जो उन्हें ग्रीन इंडिया, क्लिन इंडिया और फिट इंडिया के लिए प्रेरित करती है। अफसोस इस बात का है कि समय के साथ हमने इन आदतों और उन पारंपरिक साधनों को भूला दिया है जो हमे प्रकृति के करीब ले जाते है। इन सभी की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास असम-मेघालय काडर के एक आईएएस अफसर ने शुरु किया है। वैसे तो आईएएस अफसर साहब कहलाते हैं, लेकिन इनके काम करने का ढंग कुछ अलग है।


हम बात कर रहे है मेघालय के तुरा के जिला उपायुक्त राम सिंह (43) की। वह मूलत: हिमाचल प्रदेश के निवासी हैं। 2008 बैच के आईएएस अधिकारी राम सिंह ने मेघालय को अपनी कर्मभूमि बनाया है। वे फिट इंडिया को अपना मिशन बना चुके हैं। हर रोज सुबह मार्निंग वॉक करने के अलावा हर हफ्ते वे पहाड़ी इलाके में दस से 12 किलोमीटर पैदल चलते हैं। ऐसा वे साप्ताहिक बाजारों से जैविक सब्जियां खरीदने के लिए करते हैं। उनके पीछे परंपरागत बांस की टोकरी कंधों से लगी रहती है। उनके इस तरीके को अनेक अधिकारी भी अपनाने लगे हैं। सिंह ने सोशल मीडिया पर अपनी जीवनशैली को साझा किया तो कई लोगों ने इसे अपने जीवन में उतारान शुरु कर दिया।

यह कहते है रामसिंह...

वे कहते हैं कि मुख्य आइडिया पैदल चलने का है ताकि ट्रैफिक समस्या व पार्किंग की समस्या से निजात पाने के साथ ही खुद को फिट रखा जा सके। मैं यह पिछले छह महीने से कर रहा हूं। मैं अपनी पत्नी को भी साथ ले लेता हूं जो कि फिटनेस के प्रति काफी सजग है। हमारे यहां ट्रैफिक जाम और पार्किंग की समस्या है। इसके अलावा प्लास्टिक भी एक बड़ा मुद्दा है। इसलिए हम लोगों को बांस की टोकरी का इस्तेमाल करने को कहते हैं। लोग कहते है कि बहुत सब्जियां लाना दिक्कत है। इसलिए मैंने उन्हें कोकचेंग(एक स्थानीय बांस की टोकरी) लेने को कहा है। इस पर वे हंसते है तो मैं खुद इसे लेकर पत्नी के साथ निकल आता हूं। यह टोकरी मुझे बेहद काम की लगती है।

आधुनिक चुनौतियों का पारंपरिक समाधान...

मुझे लगता है कि आधुनिक चुनौतियों का सामना हम पारंपरिक समाधानों के जरिए कर सकते हैं। यदि हम पारंपरिक तरीके अपना लेंगे तो हम फिट रह सकेंगे। सिंह ने अपने कार्यालय में मिठाई परोसने पर भी पाबंदी लगा रखी है। वे खुद भी इसका इस्तेमाल नहीं करते। वे शेयर के टैम्पो में जाने के साथ ही मिनी ट्रक के पीछे भी सवार होकर यात्रा कर लेते हैं।

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