
50 डोज के 3.50 लाख के इंजेक्शन, आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर
ग्वालियर. म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के इलाज में जरूरी माने जाने वाला लिपोसोमल एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन भले ही अभी बाजार में मौजूद नहीं है। लेकिन ये बीमारी एक गरीब व्यक्ति के लिए काफी महंगी साबित हो सकती है। जानकारों के मुताबिक इस बीमारी के एक मरीज को कम से कम 40 से 50 इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो ब्लैक फंगस से पीडि़त एक मरीज को 6890 रुपए वाले 50 डोज लगाने के लिए करीब 3 लाख 44 हजार 500 रुपए खर्च आएगा। इसके साथ ही अस्पताल और दवाइयों के साथ दूसरे खर्च अलग से होने पर एक गरीब व्यक्ति का इलाज करा पाना ही मुश्किल हो जाएगा। हालांकि दूसरे शहरों की अपेक्षा अभी हमारे यहां ब्लैक फंगल के मरीजों की संख्या कम है। इसे कम रखने के लिए प्रयास करने होंगे। ये इंजेक्शन भारत सीरम, यूफिक्स, मायलोन, सिप्ला और फाइजर जैसी कंपनियां बनाती हैं।
साल भर में होती थी 400 इंजेक्शन की डिमांड
लिपोसोमल एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन बनाने वाली कंपनी भारत सीरम एंड वैक्सीन लिमिटेड के रीजनल बिजनेस मैनेजर नीलम कुमार पाटीदार ने बताया कि अभी तक चिकित्सक इस इंजेक्शन को काफी कम लिखा करते थे, इस वजह से इसकी मांग भी नहीं होती थी। ऐसे में पहले इस इंजेक्शन की साल भर में सिर्फ 400 इंजेक्शन की डिमांड होती थी, जो अब हर रोज 500 से 600 इंजेक्शन हो गई है। 50 एमजी के ये इंजेक्शन मरीज को सात दिन या 14 दिन तक बीमारी के हिसाब से लगते हैं।
क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है जो दूसररी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित हैं और दवाइयां ले रहे हैं। इससे उनकी प्रतिरोधामत्मक क्षमता प्रभावित होती है। यदि व्यक्ति के शरीर में यह फंगस सूक्ष्म रूप में चला जाता है तो उसके साइनस या फेंफड़े प्रभावित होंगे। यह बीमारी कोविड-19 मरीजों में जो डायबिटिक मरीज हैं या अनियंत्रित डायबिटीज वाले व्यक्ति को, स्टेरायड दवाइयां ले रहे व्यक्ति को या आइसीयू में अधिक समय तक भर्ती रहने से हो रही है।
Published on:
17 May 2021 12:39 pm
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