
सिटी सेंटर की बेशकीमती जमीनों के 69 वाद लंबित, 5 हजार करोड़ की जमीन दाव पर, शासन हो रहा एक्स पार्टी
शासन एक के बाद एक सरकारी जमीन हार रहा है। हार के बाद भी सबक नहीं लिए हैं। सिटी सेंटर की क्षेत्र में जमीनों की कीमत आसमान छू रही है। इस बेशकीमती जमीन पर माफिया की नजर लग गई है। सिटी सेंटर क्षेत्र की अलग-अलग जमीनों को लेकर 2022 से लेकर 2023 के बीच 69 दावे न्यायालय में दायर हुए हैं। इन जमीनों को बचाने के लिए शासन की ओर से वकालत नामे नहीं आए हैं कि कौन सरकारी वकील इसमें पैरवी करेगा। इन केसों में वकीलों की मर्जी चल रही है। उपस्थित दर्ज कराने के बाद भूल गए। इससे सिटी सेंटर क्षेत्र की करीब 5 हजार करोड़ की जमीन दाव पर लगी है। एक्स पार्टी (एक पक्षीय) दावे भी होने लगे हैं।
दरअसल जिला कोर्ट में अधिवक्ताओं को काम का विभाजन है। इस विभाजन के चलते केस में पैरवी की जिम्मेदारी भी उसी अधिवक्ता है, लेकिन जिस अधिवक्ता को क्षेत्र व कोर्ट आवंटित है, उसे दावे के केसों की जानकारी नहीं दी जाती है। इसमें दूसरे सरकारी वकील चुपके से उपस्थित हो जाते हैं। अपनी हाजिर डालने के बाद दुबारा उस केस को नहीं देखते हैं। न अधिकारी को बुलाने की कवायद करते हैं। कोर्ट के सामने जमीन का वास्तविक तथ्य सामने नहीं लाया जाता है। जब एक्स पार्टी आदेश हो जाता है, उसके बाद मामला नामांतरण के लिए पहुंचता है, तब जमीन की चिंता होने लगती है। सिटी सेंटर पर जमीन के रेट 2 से 3 हजार स्क्वायर फीट तक चल रहे हैं। यहां जमीन का छोटा हिसास करोड़ में पहुंच जाता है।
माफी की जमीन में पार्टी ही नहीं बनाया जा रहा
- मंदिरों की जमीनें सबसे ज्यादा खुर्दबुर्द हुई हैं। माफिया ने दावे लगाकर अपने नाम जमीनें कराई हैं। दावे में माफी औकफ को पार्टी ही नहीं बनाया जा रहा है। जो सरकारी वकील पैरवी के लिए जा रहे हैं, वह भी इसकी जानकारी कोर्ट को नहीं देते हैं।
- माफी की अधिकतर जमीनों का बंदरबाट इसी तरह से हुआ है।
इस तरह से पेश हो रहे हैं दावे
- दो लोग जमीन विवाद का दावा पेश करते हैं। इसमें शासन को भी प्रतिवादी बनाया जाता है। जब इस मामले की सुनवाई होती है तब शासन को एक्स पार्टी कराया जाता है। एक पक्ष केस हारता है।
- शासन के एक्स पार्टी होने से जवाब नहीं आता है। जमीन की वास्तविक स्थिति कोर्ट के समक्ष नहीं आती है। एक पक्षीय आदेश वादियों के पक्ष में हो रहे हैं।
- सरकारी जमीन में शासन का जवाब पहुंचता तो वास्तविक सामने आ जाती है। अभी तक शासन जो केस हारे हैं, उनमें उपस्थित नहीं है। तहसीलदार भी नहीं आते हैं।
कोई भी अधिकारी व सरकारी वकील जवाब पेश करने में मना नहीं कर सकता है, लेकिन जो भी अधिकारी व सरकारी वकील लापरवाही करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अक्षय कुमार सिंह, कलेक्टर ग्वालियर
सिटी सेंटर क्षेत्र व माफी विभाग मुझे आवंटित है। सिटी सेंटर के दो साल में 69 दावे आए हैं। मुझे जानकारी नहीं देते हैं। एक पक्षीय आदेश हो रहे है। शासन सिटी सेंटर की करीब 5 हजार करोड़ की जमीन हारने की स्थिति में है। कलेक्टर को इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर अवगत कराने जा रहा हूं। मंदिर की जमीन में माफी औकाफ को भी पार्टी नहीं बनाया जा रह है।
गिरीश शर्मा, अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता
Published on:
19 Dec 2023 11:13 am
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