
औरंगजेब के नाम से बना आलमगीरी गेट
प्राचीनकाल में दुर्ग अथवा मंदिरों की रक्षा के लिए उन्हें एक प्राचीर द्वारा घेरकर उसमें आवागमन के लिए प्रवेश द्वार अथवा गोपुर निर्मित किए जाते थे। ग्वालियर दुर्ग में आवागमन की सुविधा के लिए चार मार्ग निर्मित किए गए थे। इनमें से एक मार्ग पूर्व की ओर दो पश्चिम की ओर तथा एक दक्षिण की ओर है। वर्तमान समय में पूर्व की ओर उपनगर ग्वालियर में आलमगीरी गेट तथा पश्चिम की ओर का उरवाई गेट खुले हैं। शेष को सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया है। इतिहासकार लाल बहादुर सिंह के मुताबिक इस द्वार का निर्माण ग्वालियर के गर्वनर मुतैमिद खां ने 1660 ई. में किया तथा तत्कालीन मुगल सम्राट औरंगजेब आलमगीरी के नाम पर इसे आलमगीरी पौर नाम से संबोधित किया गया। द्वार की संपूर्ण ऊंचाई 6 मीटर है, लंबाई 3.60 मीटर, चौड़ाई 3.50 मीटर तथा निकास के ऊपर मुतैमिद खां का एक शिलालेख भी अंकित है, जिसकी लिखावट अब काफी कुछ नष्ट हो चुकी है। प्रवेश द्वार के पीछे एक छोटा सा प्रांगण तथा एक खुला हुआ बरामदा है, जिसे कचहरी कहते हैं। इसका उपयोग प्राय: मुस्लिम गर्वनरों द्वारा जनता को न्याय दिलाने में किया जाता था।
Published on:
09 Mar 2020 01:22 am
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