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AQI Level 441 पहुंचा: दिल्ली जैसे हालात, यहां भी होगा वर्क फ्रॉम होम?

AQI level : राजधानी दिल्ली से सटे उत्तरी मध्य प्रदेश में भी प्रदूषण के चलते इमरजेंसी जैसे हालात बनने लगे हैं। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के ग्वालियर की जहां, लोगों को सांस लेने में घुटन महसूस हो रही है। शहर की आबोहवा जहरीली हो गई है, क्योंकि एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार पहुंच गया है।

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AQI Level : वैसे तो भारत की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 500 पर पहुंच चुका है। वहां इमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं, स्कूलों में छुट्टी हो गई है, कई दफ्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों को वर्क फ्रॉम होम करने को कहा है, लेकिन राजधानी दिल्ली से सटे उत्तरी मध्य प्रदेश में भी प्रदूषण का असर देखने को मिल रहा है। लोग यहां भी वर्क फ्रॉम होम की उम्मीद व्यक्त कर रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के ग्वालियर की जहां, लोगों को सांस लेने में घुटन महसूस हो रही है। शहर की आबोहवा जहरीली हो गई है, क्योंकि एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार पहुंच गया है। ग्वालियर के दीनदयाल नगर और सिटी सेंटर इलाके में तो एयर क्वालिटी इंडेक्स 441 पर पहुंच गया है।

वहीं, शहर के हृदय स्थल महाराज बाड़ा पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 434 दर्ज किया गया है, ये बहुत ज्यादा खराब होता है। ग्वालियर की तुलना मध्य प्रदेश के दूसरे महानगरों से की जाएं तो भोपाल में 268, इंदौर में 136 और जबलपुर में 147 एयर क्वालिटी इंडेक्स दर्ज हुआ है। ऐसे में मध्य प्रदेश का ग्वालियर वायु प्रदूषण से जूझ रहा है।

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एयर क्वालिटी पर कलेक्टर ने जताई चिंता

शहर के एयर क्वालिटी इंडेक्स को लेकर ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि आने वाले 2 से 3 महीने शहर की एयर क्वालिटी को लेकर बहुत ज्यादा चैलेंजिंग है। क्योंकि, इस समय हाई प्रेशर नीचे आ जाने के कारण एयर पार्टिकल्स नीचे ही रह जाते हैं और फ्लो नहीं कर पाते हैं, जिसके चलते शहर की हवा पर उसका बुरा असर पड़ता है।

ग्वालियर कलेक्टर के अनुसार, शहर की नगर निगम सीमा में करोड़ों के निर्माण कार्य भी जारी है, जो शहर के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन मौजूदा स्थिति चैलेंजिंग है, जिसके चलते डस्ट पार्टिकल बढ़ रहे हैं। वर्तमान में अर्थ वर्क चल रहा है, जो की बारिश के समय नहीं हो सका। ऐसे में टारगेट बनाया गया है कि जो भी अर्थ वर्क चल रहा है, वो टारगेट सीमा में पूरा हो जाए। साथ ही, ग्रीन शैड और टीन शैड से कवर करके ही निर्माण कार्य किए जाएं।