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बापू बोले- ये मेरे सपनो का भारत नहीं

नाट्य मंदिर में 'मोनिया दि ग्रेटÓ का मंचन

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बापू बोले- ये मेरे सपनो का भारत नहीं

बापू बोले- ये मेरे सपनो का भारत नहीं

आर्टिस्ट्स कंबाइन के 82वें स्थापना दिवस व महात्मा गांधी के 150वीं जयंती के अवसर पर हिंदी नाटक 'मोनिया दि ग्रेटÓ का मंचन गुरुवार को दाल बाजार स्थित नाट्य मंदिर में किया गया। नाटक में महात्मा गांधी से जुड़ी प्रेरणादायक घटनाएं बताई गईं। नाटक में एक दृश्य ऑडियंस के दिलों को छू गया, जिसमें गांधी ने कहा ये तो मेरे सपनों का भारत नहीं, क्या इसी दिन के लिए हमने आजादी के लिए जंग लड़ी थी? इतने में गांधी को गोली लग जाती है। इस नाटक को कई दृश्यों में पिरोया गया, जिसे हर एक ने सराहा।

मूर्ति चोरी की घटना पर सही बोला
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर के सुदामापुरी में हुआ था। गांधी के बचपन का नाम 'मोनियाÓ था। नाटक की शुरुआत बच्चों के खेलने से होती है। मोनिया को बचपन मे आंगन में खेलना बहुत पसंद था। आपस मे बच्चे खेलते-खेलते लडऩे लगते हैं। मोनिया सबको रोकता है और उसे चोट आ जाती है। मोनिया छोटे होने के बावजूद लड़ाई-झगड़ा न करना। जात-पात, बदले की भावना सब समझता था, और सभी को समझाता था। छुआ-छूत का चलन होने होने बाद भी हरिजन बच्चे के साथ खेलना, मंदिर से मूर्ति चुराने पर पंडित जी से सच बोलना, नकल न करना, बड़ों का आदर करना, देश के प्रति प्रेम, खुद की शादी आदि दृश्यों को दिखाया गया।

कबूलनामा लिख पिता को बताई पूरी बात
एक बार मोनिया को अपने पिता से झूठ बोलकर मांस खाने पर पछतावा हुआ, तो उस पछतावे को लेकर उन्होंने एक पत्र में माध्यम से कबूलनामा लिखा और अपनी सारी बातें पिता को बता दीं और 18 वर्ष के होने पर पढऩे के लिए विलायत चले गए।