19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

ट्रेनों से तेंदूपत्ता की काला बाजारी

 झांसी और ग्वालियर के बीच तेंदूपत्ता की अवैध आवक जोरों पर है। झांसी, बीना और बबीना इलाके से आने वाली ट्रेनों के माध्यम से अवैध रूप से तेंदूपत्ता लाया जा रहा है। तेंदूपत्ता लाने वालों की रेलवे पुलिस से मिली भगत का ही परिणाम है कि तेंदूपत्ता बे-रोक टोक ग्वालियर आ रहा है। 

2 min read
Google source verification

image

Avdesh Shrivastava

Jul 29, 2017

tendoopatta

tendoopatta

ग्वालियर. झांसी और ग्वालियर के बीच तेंदूपत्ता की अवैध आवक जोरों पर है। झांसी, बीना और बबीना इलाके से आने वाली ट्रेनों के माध्यम से अवैध रूप से तेंदूपत्ता लाया जा रहा है। तेंदूपत्ता लाने वालों की रेलवे पुलिस से मिली भगत का ही परिणाम है कि तेंदूपत्ता बे-रोक टोक ग्वालियर आ रहा है। यहां से वह बीड़ी उत्पादकों के यहां खुलेआम पहुंचाया जा रहा है। ये तेंदूपत्ता बिना रॉयल्टी के लाया जा रहा है। बता दें कि तेंदूपत्ता दिन में सबसे अधिक मात्रा में झेलम एक्सप्रेस और रात की ट्रेनों से लाया जाता है। यह समय दोपहर का होता है इसलिए कोई भी ध्यान नहीं देता है।
ग्वालियर में बीड़ी बनाने का काम थोक में किया जाता है। इसलिए इसकी मांग बेहद अधिक होती है। वहीं शहर में सैकड़ों जगह बीड़ी बनाने का कार्य किया जाता है। जहां से बीड़ी बनाकर बड़ी फैक्ट्रियों को भेज दी जाती है। जहां से फैक्ट्री संचालक अपना मोनो लगाकर बीड़ी बेचने का कारोबार करते है। बता दें कि अंचल में तेंदूपत्ता की पैदावार कम ही होती है। ऐसे में तेंदूपत्ता की अधिक डिमांड होने पर बीना, बबीना और झांसी के आस-पास के इलाकों से तेंदूपत्ता शहर में लाया जाता है। इन इलाकों के किसानों से कुछ लोगों द्वारा तेंदूपत्ता खरीदकर इकठ्ठा कर लिया जाता है और इसके गठ्ठर बना लिए जाते है। तेंदूपत्ता को लाने का कार्य सबसे अधिक मात्रा में महिलाओं द्वारा किया जाता है, जिससे महिला होने के कारण उन पर कोई कार्रवाई नहीं करें। वहीं तेंदूपत्ता के गठ्ठर लाने वाली महिलाओं से झांसी से ट्रेन में चलने वाले आरपीएफ के जवानों द्वारा 100 से 150 रुपए प्रति गठ्ठर के हिसाब से लिए जाते है। तब जाकर महिलाएं गठ्ठरों को लेकर प्लेट फॉर्म 3 और 4 से होते हुए शहर के विभिन्न भागों में भेजा जाता है।

तेंदूपत्ता की कालाबाजारी
दरअसल ये समूचा घटनाक्रम तेंदुपत्ते की अवैध कालाबाजारी का हिस्सा है। इसमें बीड़ी उत्पादक समूह ठेकेदार से नहीं, अवैध तरीके से संग्राहकों से खरीदती हैं। ये लोग बेहद सस्ती कीमतों पर तेंदुपत्ता उपलब्ध करा देते हैं। बीड़ी उत्पादकों को इसका फायदा होता है। दरअसल ये तेंदुपत्ता रिकार्ड में नहीं होता। लिहाजा इन पर किसी प्रकार का कारोरोपण की संभावना भी नहीं बनती है।

झाड़ूओं की बीच छिपाकर लाया जाता है
तेंदूपत्ता लाए जाने के दौरान किसी की नजर नहीं पड़े और कार्रवाई से बचने के लिए महिलाएं तेंदूपत्ता के गठ्ठर बनाती है जिसके बींचों- बीच तेंदूपत्ता रहता है और ऊपर नीचे झाडू़ रखे जाते है। जिसको लेकर कोई भी गठ्ठर खोलकर देखे तो उसे केबल झाडू़ ही दिखे।

ली जाएगी जानकारी
ट्रेनों की बोगियों में रखकर तेंदूपत्ता लाया जा रहा है तो इस संबंध में शीघ्र ही जानकारी ली जाएगी और जिन आरपीएफ के जवानों द्वारा रुपए लिए जाते है उनकी भी जांच कर कार्रवाई के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।
आनंद पांडेय- टीआई, आरपीएफ ग्वालियर

इस तरह तेंदूपत्ता लाना अवैधानिक है। हमने पहले भी इस तरह की कार्रवाई की है। भविष्य में भी करेंगे।
जीके चंद, एसडीओ फॉरेस्ट, ग्वालियर