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सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के सिलेबस को दो भागों में किया डिवाइड

सिलेबस डिवाइड होने से बच्चों को आराम, इस बार का रिजल्ट बेहतर रहने की उम्मीद

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सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के सिलेबस को दो भागों में किया डिवाइड

सीबीएसई ने 10वीं और 12वीं के सिलेबस को दो भागों में किया डिवाइड

ग्वालियर. सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंडरी एजुकेशन) ने क्लास 10वीं और 12वीं के सिलेबस को दो भागों में डिवाइड किया है। पहला भाग है टर्म फस्र्ट और दूसरा है टर्म सेकंड। टर्म फस्र्ट में आधे सिलेबस को लिया गया है और सेकंड टर्म में उसके बाद शेष आधे सिलेबस को। स्टूडेंट्स को इसका फायदा यह है कि उन्हें पूरी किताब के बजाए आधा सिलेबस ही तैयार करना पड़ रहा है। इससे उनके लिए माक्र्स गेन करना ईजी हो गया है। कोरोना अब जाने वाला नहीं है। यह कभी कम तो कभी पीक पर होगा। यह डब्ल्यूएचओ (वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) ने अनुसार कहा गया है।

पेंडेमिक होने पर इसी के आधार पर बनेगा फाइनल रिजल्ट

क्लास 10वीं और 12वीं के टर्म फस्र्ट के एग्जाम दिसंबर माह में हुए थे। इनका रिजल्ट भी इसी हफ्ते आने की उम्मीद है। यदि ज्यादा पेंडेमिक होता है तो इन्हीं माक्र्स के अनुसार बच्चों का एनुअल रिजल्ट एसेसमेंट किया जाएगा। ग्वालियर सहोदय कॉम्प्लेक्स के संरक्षक विनय झलानी ने बताया कि दो भाग में सिलेबस को डिवाइड करने का फायदा बच्चों को मिला है। वे इस बार अच्छा परफॉर्म कर पाए हैं। उनका रिजल्ट भी बेहतर रहने की उम्मीद है।

बच्चों में 90 परसेंट वैक्सीनेशन पर पहले जैसा सिलेबस करने की उम्मीद

सूत्रों के अनुसार यदि 10वीं और 12वीं क्लास के बच्चों में 90 परसेंट वैक्सीन लग जाती है तो सीबीएसई एक बार फिर सिलेबस को पहले जैसा कर देगा। क्योंकि वैक्सीन लगने के बाद बच्चों पर संक्रमण का खास फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन अभी इसमें समय है। संभवत: अगले साल इसे करने की उम्मीद है।

प्री बोर्ड एग्जाम 28 जनवरी से

स्कूल्स में प्री बोर्ड एग्जाम की शुरुआत 28 जनवरी से 2 मार्च के बीच होने जा रही है। हर स्कूल्स ने विद्यार्थियों को मैसेज कर दिया है। ये एग्जाम ऑनलाइन होंगे।

लास्ट ईयर दिए गए थे एवरेज मार्क्स

उल्लेखनीय है कि लास्ट ईयर सीबीएसई को एग्जाम कैंसिल करने पड़े थे। बच्चों को एवरेज माक्र्स देकर पास किया गया था। इस स्थिति से बचने के लिए यह निर्णय लिया गया है। यदि यह बदलाव नहीं किया जाता तो स्टूडेंट्स को आगे कॅरियर में दिक्कत आती और कहीं न कहीं एजुकेशन सिस्टम पर सवाल खड़े होते।