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परिस्थितियों ने खत्म किया अहंकार

आर्टिस्ट कम्बाइन ग्वालियर की ओर से 72वें वाय सदाशिव स्मृति दिवस के अवसर पर सोमवार को नाट्य मंदिर दाल बाजार में मराठी नाटक ‘मॉर्फोसिस’ का मंचन किया गया।

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 Marathi Drama

परिस्थितियों ने खत्म किया अहंकार

ग्वालियर. आर्टिस्ट कम्बाइन ग्वालियर की ओर से 72वें वाय सदाशिव स्मृति दिवस के अवसर पर सोमवार को नाट्य मंदिर दाल बाजार में मराठी नाटक ‘मॉर्फोसिस’ का मंचन किया गया। नाटक में दिखाया गया कि लोकप्रिय अभिनेता प्रसाद बहुत घमंडी है। अपने अहंकार के कारण वह अपनी सह कलाकार मालती को ज्यादा महत्व नहीं देता। उसका यह अहंकार उस उस समय स्पष्ट रूप से नजर आता है, जब वह अपने सेक्रेट्री मोहित से बातें करता है। नाटक में टर्निंग प्वॉइंट तब आता है, जब प्रसाद के एक्टिंग के क्षेत्र में संघर्ष के दिनों का साथी रहा भौमिक, उससे उससे मिलने आता है और किसी मुद्दे पर वह प्रसाद से बात करता है। दोनों के बीच बात नहीं बनती और बहस छिड़ जाती है, जिसके कारण गरमागरमी का माहौल बन जाता है। इस नाटक में कलाकार ऋ तिक मजूमदार ने प्रसाद का किरदार और कृतिका गेवराइकर ने मालती का किरदार निभाया है।
कई बार करना पड़ा अपमान का सामना : इस बहस के बीच भौमिक प्रसाद को मारफोसिस में काम करने की चुनौती दे देता है और कहता है कि उसे यह भूमिका मिल ही नहीं सकती। भौमिक की यह चुनौती सुनकर प्रसाद इसे स्वीकार कर लेता है। प्रसाद चुनौतीपूर्ण करने के लिए मॉर्फोसिस के निर्देशक दाऊजी के पास जाता है, जो की बेहद अक्खड़ स्वभाव के व्यक्ति हैं। दाऊजी प्रसाद को पास आया देखकर अपमानित करते हैं। वह इसके पहले भी कई मौको पर प्रसाद का अपमान कर चुके है, लेकिन नाटक के अंत में दाऊजी प्रसाद की मनोदशा को समझ वह उसे मानस की भूमिका के लिए चुन लेते हैे। प्रसाद नायक की भूमिका के लिए चुने जाने के बाद इस किरदार के लिए अथक तैयारी करता है। इस तैयारी को करते हुए उसमें समर्पण, प्रेम और स्वयं की खोज के कारण उसका मन परिवर्तित होने लगता है। वस्तुत: आरम्भिक प्रसाद को लेकर नाटक के पटाक्षेप तक की यात्रा का नाम ही मोरफॉसिस है।