
दस बच्चों को साक्षर बनाने शुरू की थीं कक्षाएं, अब एक हजार सरकारी स्कूल के छात्रों को डिजिटल लर्निंग से जोड़ा
ग्वालियर.
आने वाला समय डिजिटल लर्निंग का है। गवर्नमेंट स्कूल के बच्चे अन्य बच्चों से पीछे न रह जाएं, इसके लिए मुस्कान ड्रीम्स फाउंडेशन ने गवर्नमेंट स्कूल के बच्चों को डिजिटल लर्निंग से जोड़ा। 2014 में मजदूरों के 10 बच्चों को पढ़ाने से शुरू की जर्नी आज एक लाख बच्चों का भविष्य संवारने तक का सफर तय कर चुकी है। फाउंडर एंड सीईओ अभिषेक दुबे ने बताया कि अभी तक हम 4 राज्यों के 18 जिलों में एक हजार सरकारी स्कूल में डिजिटल लर्निंग क्लास बना चुके हैं। 2025-26 तक हमारा लक्ष्य 5 हजार स्कूल को कवर करना है। अपने इस प्रयास के लिए अभिषेक को फोब्र्स ने अंडर-30 में शामिल किया। साथ ही लिंक्डइन के टॉप वॉइस 2023 में भी वे शामिल हुए।
एक कक्षा में आता है एक से दो लाख रुपए खर्च
अभिषेक ने बताया कि 2014 तके स्लम बच्चों को नि:शुल्क कक्षाएं देने के बाद जब समझ आया कि सरकारी स्कूल में काम करने की ज्यादा जरूरत है, तो ग्वालियर के ही एक स्कूल में डिजिटल लर्निंग क्लास बनाई। यह कॉन्सेप्ट सभी को पसंद आया, फिर हमने मप्र, उप्र, राजस्थान और महाराष्ट्र की गवर्नमेंट से अनुमति लेकर स्कूल्स में काम किया। सरकारी स्कूल की एक कक्षा को डिजिटल लर्निंग से जोडऩे के लिए एक से दो लाख का खर्च आता है। यह विभिन्न कंपनी से बात कर उनके सीसीआर फंड के माध्यम से करते हैं।
टीचर्स को भी टीम मेंबर करते हैं ट्रेंड
वर्तमान में 70 युवाओं की टीम 4 राज्यों में बटी है। हर स्कूल में 2 क्लासरूम तैयार किए हैं। इन क्लासरूम में डिवाइस के रूप में टेबलेट, स्मार्ट टीवी, इंटरनेट लगाया गया है। डिवाइस में क्लास के हिसाब से सिलेबस और वीडियो कंटेंट दिए गए हैं। इसके साथ ही टीचर्स को टीम द्वारा ट्रेंड भी किया जाता है। हर 25 स्कूल में टीम का एक मेंबर मॉनीटरिंग करता है।
गवर्नमेंट के साथ करते हैं एमओयू साइन
अभिषेक ने बताया कि जिन राज्यों के स्कूल्स में हम डिजिटल लर्निंग के लिए काम करते हैं, वहां की गवर्नमेंट के साथ हमारा एमओयू साइन होता है। खुशी तब होती है, जब टीचर्स हमें बताते हैं कि डिजिटल लर्निंग की वजह से बच्चे बढ़ गए हैं और पैरेंट्स भी रूचि ले रहे हैं।
Published on:
08 Sept 2023 12:30 pm
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