
हाईकोर्ट के आदेश से हडक़ंप: DRDE की वजह से 10 हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति पर संकट
ग्वालियर। उच्च न्यायालय द्वारा डीआरडीई के 200 मीटर के प्रतिबंधित क्षेत्र में किए गए निर्माण तोडऩे के आदेश से हडक़ंप मचा है। न्यायालय के आदेश से दस हजार करोड़ रुपए से अधिक की सरकारी और निजी संपत्तियों पर संकट छा गया है। न्यायालय के आदेश पर कानूनविद् मंथन कर रहे हैं। वहीं वे लोग जिन्होंने रहने के लिए इस क्षेत्र में आशियाने बनाए थे, उनकी नजर सरकार और इस क्षेत्र में व्यवसाय कर रहे बड़े निजी संस्थानों पर लग गई है कि वे अब क्या करेंगे। न्यायालय के आदेश से एक ओर जहां भारत रत्न सचिन तेंदुलकर के वन डे के पहले दोहरे शतक का गवाह रूपसिंह स्टेडियम तथा सिंधिया कन्या विद्यालय के प्रेम मोटर्स के सामने वाली 25 एकड़ जमीन भी इसके दायरे में है।
एक अनुमान के अनुसार डीआरडीई के 200 मीटर के प्रतिबंधित क्षेत्र में निगम मुख्यालय सहित जो 37 शासकीय भवन हैं केवल उन्हीं के तोड़े जाने से शासन व निगम को छह हजार करोड़ से अधिक का नुकसान होने की आशंका है। इस क्षेत्र में आने वाले रूपसिंह स्टेडियम तथा स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स ही एक हजार करोड़ से अधिक की कीमत के बताए जा रहे हैं। खाद्य भंडार निगम के कार्यालय और भंडार गृह 350 करोड़ से अधिक के बताए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में आने वाले प्रत्येक सरकारी बंगले की कीमत 30 करोड़ से अधिक है। उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार 2005 से पहले जो भी भवन अनुमति लेकर बनाए गए हैं उन्हें क्षतिपूर्ति दिए जाने के बाद हटाया जाएगा जबकि 2005 के बाद के सभी भवन तोड़े जाएंगे।
आतंकी हमलों को लेकर जताई जा चुकी है चिंता
जम्मू-कश्मीर तथा देश के अन्य सैन्य स्थानों पर आतंवादियों के हमलों के बाद रक्षा अनुसंधान में लगे इस संगठन की सुरक्षा को लेकर यह याचिका प्रस्तुत की गई, जिसमें कहा गया कि डीआरडीई के प्रतिबंधित क्षेत्र में निरंतर निर्माण हो रहे हैं इस कारण इस क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को खतरा बढ़ता जा रहा है। जबकि 17 सितंबर 2005 में जारी अधिसूचना के अनुसार इस क्षेत्र में निर्माण नहीं किए जा सकते हैं। यहां राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर रक्षा अनुसंधान किए जाते हैं।
2005 से पहले बने हैं 32 सरकारी भवन
महापौर का बंगला सहित इस क्षेत्र में बने सभी बंगले 2005 से पहले के हंै, इस प्रकार 32 सरकारी भवन 2005 से पहले के हैं, जबकि बेंबू रेस्टोरेंट, स्पेाट्र्स क्लब, निगम मुख्यालय, टूरिज्म भवन, टेनिस कोर्ट2005 के बाद बने हैं।
2005 से पहले बने भवन
प्रमुख निजी भवन जो 2005 के बाद बने
प्रभावितों के पास रास्ता
यह है रेट
कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार 4 हजार रुपए वर्ग फीट प्राइवेट रेट 7 से 10 हजार रुपए वर्ग फीट
काफी नुकसान होगा
उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश से शासन की संपत्तियां प्रभावित हो रही हंै। इस आदेश के क्रियान्वयन से काफी नुकसान होगा। न्यायालय के आदेश की प्रति प्राप्त होने पर उसका अध्ययन करने के बाद कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। शासन द्वारा पुनर्विचार याचिका भी प्रस्तुत की जा सकती है।
अंकुर मोदी, एडिशनल एडवोकेट जनरल
आदेश की प्रति नहीं मिली है
न्यायालय के आदेश के दायरे में निगम के कई भवन आ रहे हैं। न्यायालय के आदेश की प्रति अभी प्राप्त नहीं हुई है। प्रति मिलने के बाद इस मामले में वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
दीपक खोत, अधिवक्ता नगर निगम
तरण पुष्कर
एकलव्य खेल परिसर
आयकर भवन
रुपसिहं स्टेडियम
Published on:
30 Mar 2019 10:01 am
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