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बड़ा फैसला….एक पक्ष को सुनकर नहीं दिया जा सकता ‘तलाक’, डिक्री निरस्त

MP News: शादी के 12 साल बाद दोनों के बीच विवाद होने लगा। पति को न समय पर खाना देती थी और न ससुराल में किसी का सम्मान करती थी।

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Divorce

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MP News: एमपी में ग्वालियर हाईकोर्ट की युगल पीठ ने मुरैना के कुटुंब न्यायालय से पारित एक पक्षीय तलाक की डिक्री को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अदालत मूक दर्शक नहीं रह सकती। उसे गवाहों को बुलाकर खुद सच्चाई पता करनी थी। पत्नी का पक्ष भी सुना जाना चाहिए। इसलिए पत्नी का पक्ष सुना जाए। कुटुंब न्यायालय फिर इस मामले में अपना फैसला करे।

पत्नी ने छोड़ा था ससुराल

दरअसल भगत व रानी (दोनों के परिवर्तित नाम) का विवाह 26 फरवरी 2009 को हुआ था। शादी के 12 साल बाद दोनों के बीच विवाद होने लगा। पति को न समय पर खाना देती थी और न ससुराल में किसी का सम्मान करती थी। अंजान लोगों से फोन पर बात करती थी। जब वह पत्नी को रोकता था, झगड़ा करने लगती थी।

इसके बाद पत्नी ने 2021 में ससुराल छोड़ दिया। इसके बाद पत्नी ने मुरैना के कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण सका आवेदन पेश किया। कोर्ट ने पत्नी को 5 हजार रुपए भरण पोषण दिए जाने का आदेश दिया है, लेकिन पति ने तलाक का आवेदन पेश किया। कुटुंब न्यायालय से नोटिस जाने के बाद पत्नी को तामील नहीं हुए। इसके चलते कुटुंब न्यायालय ने एक पक्षीय तलाक की डिक्री पारित कर दी।

साथ नहीं रहना चाहती

इसके खिलाफ पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। उसकी ओर से तर्क दिया कि बीमार रहती है। पढ़ी लिखी नहीं होने की वजह से कोर्ट की कार्रवाई समझ में नहीं आती है। बिन पक्ष सुने तलाक पर फैसला किया है, जबकि पति की ओर से अपील का विरोध किया गया।

उसने कई बार ससुराल लाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं आई। वह साथ रहना नहीं चाहती है। नोटिस को जानबूझकर तामील नहीं किया। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद तलाक की डिक्री निरस्त कर दी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद फिर से फैसला करने का आदेश दिया है।