
Divorce cases (फोटो सोर्स: एआई जेनरेटेड)
Divorce Cases : घर में खाना न बनाना, छोटी-छोटी बातों पर तू तू.. मैं मैं… शक, शंका व माता पिता का हस्तक्षेप। इन सब कारणों से पति-पत्नी के रिश्ते ज्यादा नहीं टिक पा रहे हैं। चार दीवारी के अंदर हुआ झगड़ा न्यायालय तक पहुंच रहा है। यही कारण है 1 जनवरी से 31 मई 2025 के बीच पांच महीने में 1169 प्रकरण कुटुंब न्यायालय में पहुंचे हैं। 2024 की तुलना में 216 प्रकरण अधिक हैं। इस साल तलाक के 700 व घरेलू हिंसा व भरण पोषण के 469 मामले फैमिली कोर्ट में पेश हुए हैं, जबकि 2024 में तलाक के 506 व भरण पोषण, घरेलू हिंसा के 447 फैमिली कोर्ट में आए थे।
दरअसल कुटुंब न्यायालय में 2016 में 22 प्रकरण आए थे। केसों की संख्या काफी कम थी। इस कारण एक जज सुनवाई कर रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरा। पति-पत्नी के बीच विवाद बढ़ता गया। घर व सामाजिक पंचायतों में विवाद नहीं सुलझे तो न्यायालय की शरण ली। हर साल केसों की संख्या बढ़ती जा रही है। गांधी रोड पर जब कोर्ट संचालित किया जा रहा था, तब 3 तीन कोर्ट संचालित थी। अब इंदरगंज स्थित जिला न्यायालय की कोर्ट में न्यायालय पहुंच गया है। अब न्यायालयों की संख्या चार हो चुकी है। 2025 साल के पहले पांच महीने में दंपती खूब झगड़े। अलग होने के बाद तलाक के लिए न्यायालय पहुंचे हैं।
2. शादी के बाद लड़की के माता-पिता का हस्तक्षेप अधिक बढ़ा है। घरेलू काम नहीं करती है। परिवार में विवाद करती है, लेकिन इस तरह के विवाद में समझौते की उम्मीद दिखती है।
3. शादी के बाद महिलाएं एकल जिंदगी अधिक पसंद कर रही हैं। यदि पति ऐसा नहीं कर रहा है तो विवाद बढ़े हैं। पति बेरोजगार है। इसकी बेरोजगारी भी झगड़े का कारण बन रही है।
विवाह के बाद लड़कियां अकेला रहना चाहती हैं। घर के काम से उन्हें परहेज है और लड़की के माता-पिता का हस्तक्षेप बढ़ा है। इस कारण प्रकरणों की संख्या बढ़ रही है। परिवार को चलाने के लिए सामंजस्य जरूरी है इसमें माता पिता का हस्तक्षेप कम होना चाहिए।हरीश दीवान, काउंसलर कुटुंब न्यायालय
Updated on:
08 Jun 2025 01:44 pm
Published on:
08 Jun 2025 01:37 pm
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