
प्रेग्नेंसी के दौरान मां की मौत के रेश्यो में डेंजर जोन है मप्र, गवर्नमेंट और हॉस्पिटल्स को करने होंगे प्रयास
ग्वालियर डिलीवरी के दौरान मां की मौत का रेश्यो मप्र, बिहार, राजस्थान, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश में सबसे अधिक है। इसे रोकने के लिए सरकार के साथ ही हॉस्पिटल्स को भी प्रयास करने होंगे। इसका कारण महिलाओं में अवेयरनेस की कमी, हॉस्पिटल्स में पुख्ता इंतजाम न होना हैं। केरल, तमिलनाड़ु, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक में जहां यह रेश्यू 100 के अंदर है। वहीं मध्यप्रदेश में 150 से अधिक है। यह बात स्पीकर के रूप में उपस्थित बैंगलूरु की डॉ. शीला माने ने सीएमई के दौरान कही। वह ब्लीडिंग ऑफ्टर बर्थ विषय पर बोल रही थीं। यह कार्यक्रम गोग्स की ओर से रविवार को एक निजी होटल में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर स्पीकर के रूप में डॉ. स्नेहलता दुबे भी ने भी स्पीच दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता गोग्स की अध्यक्ष डॉ. यशोधरा गौर ने की।
रेश्यो कम करने के लिए टीम वर्क जरूरी
डॉ. यशोधरा गौर ने बताया कि प्रसूता के रक्तस्राव के रेश्यो को कम करने के लिए टीम वर्क की आवश्यकता है। समय पर ब्लड एवं कम्पोनेंट थेरेपी की मदद से मां का जीवन बचाया जा सकता है। हालांकि पहले की अपेक्षा मातृ मृत्यु दर में कमी आई है। इस अवसर पर सीएमई की चेयरपर्सन डॉ. बीना अग्रवाल, डॉ. अंजली जैन, डॉ. रोहिणी चोपड़ा, डॉ. अमित सक्सेना, डॉ. नीलम राजपूत उपस्थित रहीं।
प्रेग्नेंसी को महिलाएं बीमारी की तरह न लें
डॉ. स्नेहलता दुबे ने बताया कि देश में 10 परसेंट मां को 9वें महीने में पेन नहीं होते, जिस कारण उन्हें आर्टिफिशियल पेन दिया जाता है। इसके बचाव के लिए जरूरी है कि महिलाएं प्रेग्नेंसी को बीमारी की तरह न लें। बल्कि इसे सुखद क्षण मानकर चलें। प्रेग्नेंसी के दौरान भी योगा, एक्सरसाइज करें। रेगुलर चेकअप कराएं और किसी भी हाल में ब्लड कम न होने दें। इसके लिए डॉक्टर से चेकअप कराते रहें। उन्होंने बताया कि ब्लड प्रेशर पेशेंट, बच्चे की ग्रोथ कम होने पर, पीलिया होने पर, थैली फटने पर एवं एज अधिक होने पर आर्टिफिशियल पेन शुरू किए जाते हैं।
Published on:
03 Jun 2019 08:54 pm
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