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अधिकारी नहीं दिखा रहे इच्छाशक्ति, नेता उदासीन, जनता लापरवाह

- दो दिन ही चल पाई शहर को सुधारने के हुई कोशिश-फिर पुराने ढर्रे पर लौटा शहर का ट्रैफिक-बस स्टैंड पर भी दो दिन ही दिखी सख्ती

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अधिकारी नहीं दिखा रहे इच्छाशक्ति, नेता उदासीन, जनता लापरवाह

अधिकारी नहीं दिखा रहे इच्छाशक्ति, नेता उदासीन, जनता लापरवाह

श्योपुर। बस स्टैैंड-सब्जी मंडी सहित बाजार के यातायात को बेहतर करने के लिए 6 और 7 जून को एसडीएम, तहसीलदार, सीएमओ, यातायात निरीक्षक सहित पूरी टीम ने दुकानदारों को नसीहत दी थी। बाजार में मैसेज देने के लिए 21 दुकानदारों पर अर्थदंड भी लगाया। इस कार्रवाई से दो दिन तक व्यवस्था ठीक रही लेकिन अब सब पुराने ढर्रे पर आ गया है। सब्जी और फल के ठेले सड़कों पर हैं, मेला मैदान के सामने लगभग पूरे दिन जाम की स्थिति बनी रहती है और बाजार में एक भी चार पहिया वाहन प्रवेश कर गया तो रास्ता जाम हो जाता है। व्यवस्था को सुधारने के लिए अधिकारी इच्छाशक्ति नहीं दिखा रहे, नेता प्रशासन को सहयोग करने की बजाय उदासीन हैं और जनता अपने ही शहर को व्यवस्थित करने की बजाय लापरवाह रवैया अपनाए है। पत्रिका ने प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई का असर देखने के लिए शहर में चार जगह कम से कम आधा घंटा समय बिताया। इस दौरान लोग नियमों को ताक पर रखकर आवाजाही करते रहे। दुकानदार बेखटक अपना सामान बाहर तक फैलाए दिखे। कोतवाली थाना, पुलिस कंट्रोल रूम के आसपास पुलिस कर्मी यातायात व्यवस्थित करने की बजाय गप्पे लड़ाते रहे।


उल्लेखनीय है कि सड़क सुरक्षा समिति की तीन बैठकों में कलेक्टर ने चरणबद्ध तरीके से शहर की व्यवस्था को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं। इसमें सबसे पहले ऑटो पार्किंग सही जगह करने के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही बाजार में खड़े होने वाले हाथठेला विक्रेताओं को हॉकर्स जोन भिजवाना था। जबकि बस स्टैंड और सब्जी मंडी के बाहर खड़े होने वाले सभी हाथठेला विक्रेताओं को मंडी के अंदर व्यवस्थित कराना था। स्थाई दुकानदारों को भी सामान बाहर न रखने की चेतावनी दी गई थी। यह सब दिशा निर्देश बेअसर रहे हैं। एक दिन की सख्ती के बाद सरकारी उदासीनता नेे सड़कों को फिर से संकरा कर दिया है। मेला मैदान के सामने अस्त व्यस्त ट्रैफिक के बीच सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को हो रही है।


ऐसी दिखी स्थिति
बस स्टैंड
-पाली रोड पर स्थित स्टैंड के नजदीक ही चंबल कॉलोनी का रास्ता है। बसों के अंदर आने जाने के समय कोई ध्यान नहीं देता। यहां अक्सर दुर्घटना की स्थिति बनी रहती है। ट्रैक्टर-ट्रॉली बेहद तेज गति से निकलते हैं। स्टैंड के दोनों ओर नाश्ते की दुकानों के बाहर सड़क पर लोगों की बाइक खड़ी रहती हैं। यहां फल के ठेले सड़क पर ही लगे रहते हैं। सबसे ज्यादा खतरा चंबल कॉलोनी से निकलकर मुख्य सड़क पर आने वाले लोगों को रहता है, क्योंकि किनारे पर ही बांस-बल्ली की दुकान होने से दूसरी ओर से आ रहे वाहन नजर ही नहीं आते।


सब्जी मंडी
-मंडी के गेट की दीवार से लगी चार दुकानें हैं। प्रवेश करते समय ही बाहर दो बुजुर्ग महिलाएं ठेले पर सब्जी बेचती हैं। कार्रवाई से बचने के लिए इनके पुत्र पीक टाइम में बुजुर्ग महिलाओं को ही ठेलों पर बैठा जाते हैं। मंडी के बाहर बांयी ओर बस स्टैंड के गेट के पहले तक सब्जी के ठेले ही सड़क घेरकर खड़े होते हैं। दायीं ओर दुकानदारों का सामान सड़क तक पसरा रहता है। ऐसे में करीब 80 फीट की सड़क बमुश्किल 30 फीट तक ही दिखती है।


मेला मैदान (अंबेडकर पार्क)
-वर्तमान में सबसे ज्यादा भीड़ मेला मैदान में है। मैदान के दूसरी ओर पार्किंग है, लेकिन अधिकतर लोग अपनी बाइक सड़क पर खड़ी कर जाते हैं। फल विक्रेता भी सड़क पर खड़े रहते हैं। अंबेडकर पार्क के आसपास नशैलची और असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। ये असामाजिक तत्व महिलाओं, किशोरियों और युवतियों पर फब्तियां कसते नजर आते हैं। गेट पर दो पुलिस कर्मियों की ड्यूटी है लेकिन वे पूरी तरह उदासीन दिखते हैं।


पटेल चौक
-पुराना बस स्टैंड के भीतरी क्षेत्र में नशैलची दिन में ही नशा करते दिख जाते हैं। बाहर तिराहे के एक ओर मटके सहित अन्य सामान बेचने वालों का और दूसरी ओर फल विक्रेताओं का अघोषित कब्जा है। अंदर मजार बनी है कौने पर यातायात पुलिस के जवान खड़े होते हैं और सब देखते रहते हैं।


जयस्तंभ-गांधी पार्क
-नगर पालिका और कोतवाली के सामने यह शहर की सबसे व्यस्त जगह है।धर्मशाला के सामने की सड़क चाऊमीन, फालूदा बेचने वालों के कब्जे में रहती है जबकि दूसरी ओर की सड़क फल विक्रेताओं के कब्जे में है।दुकानों के सामने करीब पांच फीट तक अस्थाई दासे बने हैं। इन पूरे दिन सामान रखा रहता है। गांधी पार्क के शनि मंदिर की ओर के हिस्से की दीवार फल विक्रेता और फुटपाथी दुकानदारों के कब्जे में है।


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