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Gwalior fair 2018 : सिर पर पांच मटकी रख इस लड़की ने गिलास पर किया डांस,देखने वाले रह गए हैरान

लोकगीत में दिखा राजस्थानी कल्चर, 22 राज्यों में दे चुके हैं 356 प्रस्तुति

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gwalior vyapar mela

gwalior vyapar mela 2018

ग्वालियर। सिर पर पांच मटकी रख गिलास में खड़े होकर नृत्य करते कलाकारों की प्रस्तुति ने हर एक को हैरत में डाल दिया। कभी नृत्य करते-करते जमीन से नोट को मुंह में दबाना, तो कभी सिर पर कलश में जलती आग के साथ परफॉर्मेंस ने हर एक का दिल जीता। यह करतब तो नहीं था, लेकिन करतब से कम भी नहीं था। इसमें कलाकारों की कला के साथ उनका साहस भी साफ झलक रहा था। शहर में लगे ग्वालियर व्यापार मेला में इंडियन परफॉर्मिंग आट्र्स एंड क्राफ्ट सेंटर लखनऊ की ओर से कला रंगमंच में आयोजित लोकगीत और मनमोहक नृत्य कमा, जिसमें राजस्थान के लोकरंग देखने को मिले। देर रात तक सभागार तालियोंं से गंूजता रहा।

यह टीम अभील तक २२ राज्यों में परफॉर्म कर चुकी है। कलाकारों ने हम दिल चुके सनम फि ल्म में ऐश्वर्या राय पर फि ल्माया गया राजस्थानी लोकगीत निंबुड़ा-निंबुड़ा पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किया। राजस्थानी लोकगीत और नृत्य की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति से संगीत की रसधारा बहने लगी।

गणेश वंदना जय गणेश-जय गणेश के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में केशरिया बालम पधारो म्हारे देश..., लोकगीत के साथ ही राजस्थानी रंग बिखरने लगे। सिर पर कलश रख बारात के स्वागत के लिए किए जाने वाले चरी नृत्य में कलाकारों की मनमोहक प्रस्तुति ने लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

नृत्य में दिखा महिलाओं का दर्द
अब बारी थी भवई नृत्य की जो राजस्थान के रेगिस्तान में मीलों दूर से सिर पर घड़े रखकर पानी लाते वक्त के दृश्य को जीवंत कर दिया। लेकिन दर्द की बेला में ही खुशी का वो पल भी आ गया जब गोरबंद लोकगीत के माध्यम से ऊंट के प्रति लगाव और अपनी खुशी का इजहार किया।

दमादम मस्त कलंदर
घूमर के बाद कालबेलिया नृत्य की प्रस्तुति हुई, जिसमें कलाकारों ने आकर्षक एवं मनमोहक नृत्य कर समां बांधा। फि र तो राजस्थानी संस्कृति के ऐसे रंग बिखरे की हर कोई अपने आपको थिरकने से नहीं रोक सका। दमादम मस्त कलंदर..., मोरनी बागा में बोले आधी रात मां..., हमरे जियरो में लागी झांझरी... और रंगीला मारो ढोलना... पेश कर खूब तालियां बटोरीं।

दिखी रजवाड़ी झलक
घूमर नृत्य में रजवाड़ों की रानियों के उस अकेलेपन को बयां किया गया जब राजा युद्ध करने जाते थे, तो रानियां कैसे समय व्यतीत करने के लिए घूमर नृत्य करती थीं।

महफि ल-ए-कव्वाली आज
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत मंगलवार को कलामंदिर रंगमंच पर शाम सात बजे से महफि ल-ए-कव्वाली का आयोजन होगा। इसमें नागपुर के कव्वाल चांद यूसुफ नियाजी और साथी कव्वाली पेश करेंगे।


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